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अब्दुल्लाह बिन उनैस

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सहाबा अरबी भाषा सुलेख

अब्दुल्लाह बिन उनैस रज़ि० (अंग्रेज़ी: Abdullah ibn Unais इस्लाम के पैगंबर मुहम्मद के अंसार में से साथी (सहाबा) थे। उन्होंने मुहम्मद द्वारा आदेशित कई सैन्य अभियानों में भाग लिया। पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के एक अभियान का नाम उनके नाम पर अब्दुल्लाह बिन उनैस रज़ि० की मुहिम है।

इस्लामिक स्रोत अनुसार माह मुहर्रम 4 हि० की पांच तारीख़ को यह ख़बर मिली कि खालिद बिन सुफियान हुज़ली मुसलमानों पर हमला करने के लिए फौज तैयार कर रहा है। उहुद की लड़ाई के बाद कई जनजातियों ने पैगंबर मुहम्मद और उनके साथियों का खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया। उनमें से एक हैं बनू लहयान। अल्लाह के रसूल ने यह खबर सुनी कि खालिद बिन सुफयान नाम की बनी लिहयान के नेता मुसलमानों पर हमला करने के लिए सेना इकट्ठा कर रहे थे। यह खबर बहुत महत्वपूर्ण थी क्योंकि बनी लहयान बनी हुधैल परिवार का हिस्सा थीं। बनी हुदैल एक बड़ी जनजाति है। यदि बनी हुदैल हमले में शामिल होने के लिए प्रभावित हुई, तो मुसलमानों की स्थिति बहुत महत्वपूर्ण हो जाएगी। खासकर जब वे कुरैश में शामिल होने आते हैं। इस पर काबू पाने के लिए, 625 ईस्वी में रसूलुल्लाह स.अ.व. ने तुरंत सेना नहीं भेजी, बल्कि केवल एक व्यक्ति भेजा। एक आदमी चतुर था और कार्य के लिए उपयुक्त था। जो चुना गया वह अब्दुल्लाह बिन उनैस था।

अब्दुल्लाह बिन उनैस रज़ि० मदीना से 18 दिन बाहर रहकर 23 मुहर्रम को वापस तशरीफ लाए। वह ख़ालिद को क़त्ल करके उस का सर भी साथ लाए थे। जब नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की ख़िदमत में हाज़िर होकर उन्होंने यह सर आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सामने पेश किया तो आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उन्हें एक डंडा दिया और फ़रमाया कि वह मेरे और तेरे दर्मियान कियामत के दिन निशानी रहेगा। चुनांचे जब उनकी वफात का वक्त आया तो उन्होंने वसीयत की कि यह डंडा भी उनके साथ उनके कफन में लपेट दिया जाए।"[1][2] [3]

इन्हें भी देखें

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सन्दर्भ

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  1. Mubarakpuri, The Sealed Nectar, pp. 186-187. (online)
  2. Safiur Rahman Mubarakpuri, en:Ar-Raheeq Al-Makhtum -en:seerah book. "The Mobilization of Abdullah bin Unais". पृ॰ 394.
  3. सफिउर्रहमान मुबारकपुरी, पुस्तक अर्रहीकुल मख़तूम (सीरत नबवी ). "अब्दुल्लाह बिन उनैस रज़ि० की मुहिम". पृ॰ 583. अभिगमन तिथि 13 दिसम्बर 2022.

बाहरी कड़ियाँ

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