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अन्तर्वाह धारा

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२३०वोल्ट, ६० वोल्ट-अम्पीयर के एक ट्रान्सफॉर्मर की अन्तर्वाह धारा का ग्राफ : यह धारा दस-पन्द्रह सायकिल तक बनी रहती है तथा इसमें डीसी कम्पोनेन्ट भी होता है।

ट्रान्सफॉर्मर, स्विच मोड पॉवर सप्लाई, विद्युत मोटर, प्रकाश बल्ब आदि विद्युत उपकरण चालू करते ही जो धारा लेते हैं वह उनके द्वारा सामान्य अवस्था में ली जाने वाली धारा से बहुत अधिक (दस-बीस गुना) हो सकती है। इस अत्यधिक धारा को अन्तर्वाह धारा (inrush current) कहते हैं। यह धारा कुछ मिलीसेकेण्ड से लेकर कुछ सेकेण्ड तक बहती है जो अलग अलग लोड के लिए अलग अलग होती है। इस धारा को रोकने के लिए तरह-तरह के उपाय किए जाते हैं। इसके अलावा फ्यूज और परिपथ विच्छेदक इस प्रकार की रेटिंग के चुने जाते हैं ताकि उनसे होकर कुछ देर (जैसे, १ सेकेण्ड तक) बहुत अधिक धारा भी बहे (और फिर कम हो जाय) तो भी वे ट्रिप न हों।

अलग-अलग उपकरणों में अन्तर्वाह धारा की उत्पत्ति का कारण भी अलग-अलग होता है। उदाहरण के लिए प्रकाश बल्ब में अन्तर्वाह धारा का कारण कम ताप पर फिलामेण्ट का प्रतिरोध अत्यन्त कम होना है। ट्रान्सफॉर्मर को चालू करने पर कुछ देर के लिए कोर संतृप्त (saturate) हो जाता है जिसके कारण बहुत अधिक धारा बहती है। ट्रांसफॉर्मर की अन्तर्वाह धारा इस बात पर भी निर्भर करती है कि चालू करते समय एसी वोल्टेज किस फेज में था। एसएमपीएस में प्राय: संधारित्रों की तेजी से आवेशित होना के कारण अन्तर्वाही धारा की उत्पत्ति का कारण बनती है। डीसी मोटरों को चालू करते ही बहुत अधिक धारा बहती है जो इनमें इस समय 'बैक ईएमएफ' की अनुपस्थिति के कारण होता है।

ट्रान्सफॉर्मर के संतृप्त होने के कारण जो अन्तर्वाह धारा बहती है उसमें डीसी तथा द्वितीय हार्मोनिक बहुत अधिक होता है। इस अतिशय धारा के कारण फ्यूज उड़ सकते हैं या अन्य सुरक्षा-रिले परिपथ को तोड़ सकते हैं (जबकि यह कोई शॉर्ट-सर्किट धारा नहीं है)। इसके अलावा अन्तर्वाह धारा के कारण ट्रान्सफॉर्मर की कुण्डलियों में यांत्रिक गड़बड़ी भी आ सकती है (अतिशय चुम्बकीय बल पैदा होने के कारण)। इसके कारण थोड़ी देर के लिए लाइन का वोल्टेज्ज गिर सकता है जिससे उस पर लगे हुए मोटर या अन्य उपकरण बन्द हो जाँय, या गलत कार्य कर दें।