अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद्

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
Round Table

अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् भारत की एक अराजनीतिक, लाभ-निरपेक्ष, स्वयंसेवी संस्था है जो दुनियाभर में रह रहे भारतवंशियों और भारत के बीच वह सांस्कृतिक कड़ी है। यह उन्हें अपने पूर्वजों की मातृभूमि से जोड़कर रखती है। आज विश्व के कोने-कोने में फैले 2.5 करोड़ प्रवासी भारतीयों के मित्र, शुभचिंतक एवं पथप्रदर्शक के रूप में यह संस्था निरंतर कार्य कर रही है। परिषद् की स्थापना 27 जनवरी 1978 को की गई थी। इसका उद्देश्य विदेशों में रहने वाले भारतवंशियों के साथ निकट सम्बन्ध स्थापित करना और विश्वभर के मानव समुदाय के बीच स्नेह और सद्भाव कायम करना है। 'वसुधैव कुटुम्बकम्' परिषद का ध्येय वाक्य है।

परिचय[संपादित करें]

आज भारत सहित पूरा संसार वैश्वीकरण के मनमोहक मंत्र से इतना प्रभावित है कि लोग अपनी परम्परा, रीति-रिवाज और संस्कृति को त्याग कर उन मूल्यों को अपनाने लगे हैं, जो उनके समाज और संस्कृति तथा राष्ट्र की पहचान पर प्रश्न चिह्न लगा रहे हैं। ऐसी स्थिति में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद् भारत की सांस्कृतिक परम्परा और आधुनिक उपलब्ध्यिों को वैश्विक आधार प्रदान कर रही है।

विगत 36 वर्षों में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग परिषद् ने अपनी गतिविधियों और क्रियाकलापों में काफी विस्तार किया है। भारत के 10 राज्यों के 20 नगरों में इसकी शाखाएं काम कर रही हैं। इस संस्था का नेतृत्व प्रारंभ से ही भारत के बड़े-बड़े बुद्धिजीवियों और राजनेताओं ने किया है। इसके अध्यक्ष पश्चिम बंगाल के पूर्व राज्यपाल डॉ धर्मवीर, फिजी में भारत के प्रथम उच्चायुक्त श्री भगवान सिंह, भारत सरकार की पूर्व केन्द्रीय मंत्री डॉ़ सरोजिनी महिषी, विदेश मंत्रालय के पूर्व सचिव श्री लखनलाल मेहरोत्रा और पूर्व केन्द्रीय मंत्री श्री वेद प्रकाश गोयल रह चुके हैं। इस समय वरिष्ठ उपाध्यक्ष के पद पर माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व निदेशक तथा प्रसिद्ध पत्रकार श्री अशोक टंडन हैं। हिन्दी के प्रसिद्ध कवि एवं पत्रकार श्री बी़ एल. गौड़ तथा पूर्व रेल राज्यमंत्री और फिजी में भारत के पूर्व उच्चायुक्त श्री अजय सिंह उपाध्यक्ष हैं।

गतिविधियाँ[संपादित करें]

अन्तरराष्ट्रीय सहयोग परिषद् की गतिविधियों में विदेशों में परिषद् के सांस्कृतिक शिष्टमंडलों की यात्राएं, महत्त्वपूर्ण अन्तर्राष्ट्रीय विषयों पर संगोष्ठियां, विदेशी छात्रों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम, विदेशों से आने वाले प्रवासी छात्रों के साथ बातचीत और उनके लिए स्वागत समारोह का आयोजन शामिल हैं। परिषद् भारत के मित्र देशों के साथ सम्बंधोंं को सुदृढ़ करने में प्रभावी भूमिका निभाती रही है। मॉरीशस, फिजी, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद एवं टोबैगो, नेपाल, भूटान आदि देशों के भारत स्थित उच्चायुक्तों और राजदूतों के सम्मान में भी स्वागत समारोह आयोजित करती है। इन राजनयिकों से निकट सम्पर्क स्थापित कर परिषद् वहां के भारतवंशियों की समस्याओं के समाधान के लिए सदैव कार्य करती रही है। जब कभी विदेशों में रहने वाले प्रवासी भारतीयों के समक्ष कोई राजनीतिक संकट उपस्थित होता है तो परिषद् भारत सरकार और विश्व समुदाय से सम्पर्क स्थापित कर उनकी समस्याओं के समाधान के लिए हर संभव प्रयत्न करती है। परिषद् पड़ोसी देशों में भी भारतीयों के प्रति भेदभाव के मामलों को उचित मंचों पर उठाती रही है। वर्ष 2005 से परिषद् की सहयोगी संस्था अन्तरराष्ट्रीय सहयोग न्यास विदेशों में रहने वाले किसी विशिष्ट एवं वरिष्ठ प्रवासी भारतीय को 'प्रवासी भारतीय गौरव सम्मान' प्रदान करती है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]