अथर्ववेद संहिता
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है। कृपया विश्वसनीय सन्दर्भ या स्रोत जोड़कर इस लेख में सुधार करें। स्रोतहीन सामग्री ज्ञानकोश के लिए उपयुक्त नहीं है। इसे हटाया जा सकता है। (जून 2015) स्रोत खोजें: "अथर्ववेद संहिता" – समाचार · अखबार पुरालेख · किताबें · विद्वान · जेस्टोर (JSTOR) |
अथर्ववेद संहिता | |
---|---|
वेदों की १९ वी शताब्दी की पाण्डुलिपि
| |
ग्रंथ का परिमाण
|
|
श्लोक संख्या(लम्बाई)
|
६००० ऋचाएँ |
रचना काल
|
७००० - १५०० ईसा पूर्व |
अथर्ववेद संहिता (ब्राह्मी:𑀅𑀣𑀭𑁆𑀯𑀯𑁂𑀤) हिन्दू धर्म के पवित्रतम वेदों में से चौथे वेद अथर्ववेद की संहिता अर्थात् मन्त्र भाग है। इस वेद को ब्रह्मवेद भी कहते हैं। इसमें देवताओं की स्तुति के साथ, चिकित्सा, विज्ञान और दर्शन के भी मन्त्र हैं। अथर्ववेद संहिता के बारे में कहा गया है कि जिस राजा के राज्य में अथर्ववेद जानने वाला विद्वान् शान्तिस्थापन के कर्म में निरत रहता है, वह राष्ट्र उपद्रवरहित होकर निरन्तर उन्नति करता जाता हैः
अथर्ववेद का ज्ञान भगवान ने सबसे पहले महर्षि अंगिरा को दिया था, फिर महर्षि अंगिरा ने वह ज्ञान ब्रह्मा को दिया |
- यस्य राज्ञो जनपदे अथर्वा शान्तिपारगः।
- निवसत्यपि तद्राराष्ट्रं वर्धतेनिरुपद्रवम्।। (अथर्व०-१/३२/३)।
'ये त्रिषप्ताः परियन्ति' अथर्ववेद का प्रथम मंत्र है |
अथर्ववेद का महत्व
[संपादित करें]अथर्ववेद (Atharvaveda) हिन्दू धर्म के चार मुख्य वेदों में से एक है और इसका महत्वपूर्ण स्थान है। अथर्ववेद को ऋग्वेद के बाद की वेदांत अवस्था माना जाता है। इसमें मन्त्रों के साथ विभिन्न प्रायोगिक उपयोग, उपचार, सुरक्षा और संपदा के लिए प्रार्थनाएं, व्याधि निवारण, वशीकरण और प्रभावशाली मंत्र आदि दिए गए हैं।
अथर्ववेद का अर्थ होता है "अथर्वण के वेद"। अथर्वण एक ब्राह्मण कुल के ऋषि थे, जिन्होंने इस वेद के मंत्रों को ग्रहण किया था। इसमें मनुष्य के जीवन के विभिन्न पहलुओं, उपचारों, अद्भुत शक्तियों और विशेष आयामों का वर्णन किया गया है।
अथर्ववेद का महत्वपूर्ण कार्य उपचार, रक्षा, स्वास्थ्य, शांति, भयनिवारण, सुख-शांति, समृद्धि और शारीरिक-मानसिक रोगों के निदान के लिए मंत्रों का उपयोग करना है। यह वेद लोगों को शक्ति, उर्जा, सुख, समृद्धि, सुरक्षा और प्राचीन सामर्थ्यों का अनुभव कराता है।
अथर्ववेद मन्त्रों में अद्भुत शक्तियों, आध्यात्मिकता के अवधारणाओं, उपचार, यन्त्र, टोटके और वर्तमान जीवन के विभिन्न पहलुओं का विवरण होता है। इस वेद में विज्ञान, आयुर्वेद, ज्योतिष, शास्त्रीय गणित, रसायन, संगणक विज्ञान, भूगर्भ विज्ञान और भूत-प्रेतों संबंधी ज्ञान आदि भी मिलता है।
अथर्ववेद का अध्ययन और समझने से व्यक्ति को आरोग्य, भूत-प्रेतों से संबंधित समस्याओं का समाधान, उच्च कर्मशीलता, शान्ति और संतोष की प्राप्ति हो सकती है। इसके व्यापारिक उपयोग सम्बंधी मंत्रों का प्रयोग व्यापार, नौकरी, धन, सफलता और आर्थिक प्रगति में भी किया जाता है।
अथर्ववेद हिन्दू धर्म के विभिन्न पहलुओं को सम्पूर्णता से शामिल करता है और जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में उच्चतर ज्ञान, सुख, समृद्धि और समस्त चर्याओं की सुविधा प्रदान करता है।[1]
परिचय
[संपादित करें]भूगोल, खगोल, वनस्पति विद्या, असंख्य जड़ी-बूटियाँ, आयुर्वेद, गंभीर से गंभीर रोगों का निदान और उनकी चिकित्सा, अर्थशास्त्र के मौलिक सिद्धान्त, राजनीति के गुह्य तत्त्व, राष्ट्रभूमि तथा राष्ट्रभाषा की महिमा, शल्यचिकित्सा, कृमियों से उत्पन्न होने वाले रोगों का विवेचन, मृत्यु को दूर करने के उपाय, मोक्ष, प्रजनन-विज्ञान अदि सैकड़ों लोकोपकारक विषयों का निरूपण अथर्ववेद में है। आयुर्वेद की दृष्टि से अथर्ववेद का महत्त्व अत्यन्त सराहनीय है। अथर्ववेद में शान्ति-पुष्टि तथा अभिचारिक दोनों तरह के अनुष्ठन वर्णित हैं।
चरणव्यूह ग्रंथ के अनुसार अथर्वसंहिता की नौ शाखाएँ हैं-
- १. पैपल, २. दान्त, ३. प्रदान्त, ४. स्नात, ५. सौल, ६. ब्रह्मदाबल, ७. शौनक, ८. देवदर्शत और ९. चरणविद्या
वर्तमान में केवल दो शाखा की जानकारी मिलता है- १.जिसका पहला मन्त्र- शन्नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु..... इत्यादि है वह पिप्पलाद संहिताशाखा तथा २.ये त्रिशप्ता परियन्ति विश्वारुपाणि विभ्रत....इत्यादि पहला मन्त्रवाला शौनक संहिता शाखा |जिसमें सेशौनक संहिता ही उपलब्ध हो पाती है। वैदिकविद्वानों के अनुसार ७५९ सूक्त ही प्राप्त होते हैं। सामान्यतः अथर्ववेद में ६००० मन्त्र हैं। परन्तु किसी-किसी में ५९८७ या ५९७७ मन्त्र ही मिलते हैं।
- अथर्ववेद के विषय में कुछ मुख्य तथ्य निम्नलिखित है-
-
- अथर्ववेद की भाषा और स्वरूप के आधार पर ऐसा माना जाता है कि इस वेद की रचना सबसे बाद में हुई ।
- वैदिक धर्म की दृष्टि से ॠग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद चारों का बड़ा ही महत्त्व है।
- अथर्ववेद से आयुर्वेद में विश्वास किया जाने लगा था। अनेक प्रकार की चिकित्सा पद्धतियों का वर्णन अथर्ववेद में है।
- अथर्ववेद गृहस्थाश्रम के अंदर पति-पत्नी के कर्त्तव्यों तथा विवाह के नियमों, मान-मर्यादाओं का उत्तम विवेचन करता है।
- अथर्ववेद में ब्रह्म की उपासना संबन्धी बहुत से मन्त्र हैं।
इन्हें भी देखें
[संपादित करें]बाहरी कड़ियाँ
[संपादित करें]- "अथर्ववेद" हिन्दी अर्थ सहित पढिए, हर पेज की पीडीएफ फाइल भी है।
- वेद-पुराण - यहाँ चारों वेद एवं दस से अधिक पुराण हिन्दी अर्थ सहित उपलब्ध हैं। पुराणों को यहाँ सुना भी जा सकता है।
- महर्षि प्रबंधन विश्वविद्यालय-यहाँ सम्पूर्ण वैदिक साहित्य संस्कृत में उपलब्ध है।
- ज्ञानामृतम् - वेद, अरण्यक, उपनिषद् आदि पर सम्यक जानकारी
- वेद एवं वेदांग - आर्य समाज, जामनगर के जालघर पर सभी वेद एवं उनके भाष्य दिये हुए हैं।
- जिनका उदेश्य है - वेद प्रचार[मृत कड़ियाँ]
- वेद-विद्या_डॉट_कॉम
- अथर्ववेद का परिचय (विश्व संवाद केन्द्र)
hero
.
- ↑ Vedogram, Vedicgyan (01.06.2023). "How many vedas are there ?". https://vedogram.blogspot.com/.
|date=
में तिथि प्राचल का मान जाँचें (मदद);|website=
में बाहरी कड़ी (मदद)