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अजीत जोगी

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अजीत जोगी

कार्यकाल
9 नवम्बर 2000 – 6 दिसम्बर 2003
पूर्वा धिकारी Post Created
उत्तरा धिकारी रमन सिंह

पद बहाल
2004–2009
चुनाव-क्षेत्र महासमुन्द

पूर्वा धिकारी रामदयाल उईक
उत्तरा धिकारी अमित जोगी
चुनाव-क्षेत्र मारवही

जन्म 29 अप्रैल 1946 (1946-04-29) (आयु 78)
बिलासपुर, मध्य भारत, ब्रिटिश भारत
(अब छत्तीसगढ़, भारत)
मृत्यु 29 मई 2020(2020-05-29) (उम्र 74 वर्ष)
राजनीतिक दल छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस
अन्य राजनीतिक
संबद्धताऐं
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
जीवन संगी डॉ. रेणु जोगी
बच्चे अमित जोगी
निवास रायपुर

अजीत जोगी एक भारतीय राजनेता थे तथा छत्तीसगढ़ के प्रथम मुख्यमंत्री भी थे। बिलासपुर के पेंड्रा में जन्में अजीत जोगी ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद पहले भारतीय पुलिस सेवा और फिर भारतीय प्रशासनिक की नौकरी की। बाद में वे मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के सुझाव पर राजनीति में आये। वे विधायक और सांसद भी रहे। बाद में 1 नवंबर 2000 को जब छत्तीसगढ़ बना तो राज्य का पहला मुख्यमंत्री अजीत जोगी को बनाया गया। 29 मई 2020 को अजीत जोगी की दिल का दौरा पड़ने से एक नारायण अस्पताल में मृत्यु हो गई।[1]



राजनीतिक जीवनपॉलिटिक्स में एंट्री वाया राजीव गांधी

कहा जाता है कि इंदौर का कलेक्टर रहते हुए अजीत जोगी ने पूर्व प्रधानमंत्री और पायलट रहे राजीव गांधी से उनके जो रिश्ते बने, वही उन्हें राजनीति में लाने में मददगार बने। 1986 में कांग्रेस को मध्य प्रदेश से ऐसे शख्स की जरूरत थी जो आदिवासी या दलित समुदाय से आता हो और जिसे राज्यसभा सांसद बनाया जा सके. बताया जाता है कि मध्य प्रदेश के तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दिग्विजय सिंह अजीत जोगी को राजीव गांधी के पास लेकर गए तो उन्होंने फौरन उन्हें पहचान लिया और यही से उनकी सियासी दुनिया में एंट्री हुई।

अजीत जोगी का राजनीतिक सिक्का ऐसा चमका कि वह कांग्रेस से 1986 से 1998 तक राज्यसभा के सदस्य रहे। इस दौरान वह कांग्रेस में अलग-अलग पद पर कार्यकरत रहे, वहीं 1998 में रायगढ़ से लोकसभा सांसद भी चुने गए। साल 2000 में जब छत्तीसगढ़ राज्य का गठन हुआ, तो उस क्षेत्र में कांग्रेस को बहुमत था। कांग्रेस ने बिना देरी के अजीत जोगी को ही राज्य का मुख्यमंत्री बना दिया। जोगी 2003 तक राज्य के सीएम रहे।


सौदागर का सपना, सपना ही रह गया

हालांकि, उसके बाद जोगी की तबीयत खराब होती रही और उनका राजनीतिक ग्राफ भी गिरता गया। लगातार वह पार्टी में बगावती तेवर अपनाते रहे और अंत में उन्होंने अपनी अलग राह चुन ली। अजीत जोगी ने 2016 में कांग्रेस से बगावत कर अपनी अलग पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ के नाम से गठन किया। जबकि एक दौर में वो राज्य में कांग्रेस का चेहरा हुआ करते थे। 2018 में उन्होंने कांग्रेस से दो-दो हाथ करने के लिए बसपा के साथ गठबंधन किया। लेकिन उन्हें सियासी कामयाबी नहीं मिली और सपने के सौदागर का सपना, सपना ही रह गया।


जाति का विवाद

भाषण देने की कला में माहिर माने जाने वाले अजीत जोगी अपनी जाति को लेकर भी विवादों में रहे। कुछ लोगों ने दावा किया कि अजीत जोगी अनुसूचित जनजाति से नहीं हैं। मामला अनुसूचित जनजाति आयोग से होते हुए हाईकोर्ट फिर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। लेकिन अजीत जोगी कहते रहे हैं कि हाईकोर्ट ने दो बार उनके पक्ष में फैसला दिया है। मगर सुप्रीम कोर्ट ने इसकी जांच करने की बात कही। यह जांच छत्तीसगढ़ सरकार के पास है।

नंगे पैर जाते थे स्कूल

छत्तीसगढ़ में वर्ष 1946 में अजीत जोगी का जन्म हुआ। वह उन दिनों नंगे पैर स्कूल जाया करते थे। उनके पिता ने ईसाई धर्म स्वीकार कर लिया था, इसलिए उन्हें मिशन की मदद मिली थी। अजीत जोगी जितने प्रतिभावान रहे हैं, उतने ही उनमें नेतृत्व के गुण भी रहे हैं, इंजीनियरिंग कॉलेज से लेकर मसूरी में प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थान तक सब जगह वे अव्वल आने वालों में भी शामिल रहे और राजनीति करने वालों में भी।


2004 में हुए थे हादसे का शिकार

वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव के दौरान वह एक दुर्घटना के शिकार हुए, जिससे उनके कमर के नीचे के हिस्से ने काम करना बंद कर दिया। उनके राजनीतिक विरोधी यह मान बैठे कि अब वे ज्यादा दिनों के मेहमान नहीं हैं, लेकिन इतने बरसों तक वह राजनीति में सक्रिय बने रहे। अपनी शारीरिक कमजोरी के बावजूद राजनीतिक रूप से सक्रिय रहे।

इन्हें भी देखें

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बाहरी कड़ियाँ

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  1. "ajit jogi death : रायपुर स्थित नारायणा हॉस्पिटल में अजीत जोगी ने ली अंतिम सांसें, कुछ ऐसा रहा राजनीतिक सफर". Independent News. अभिगमन तिथि 29 मई 2020.