अजमेर जिला

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अजमेर
—  जिला  —
समय मंडल: आईएसटी (यूटीसी+५:३०)
देश  भारत
राज्य राजस्थान
जिलाधीश अंशदीप
नगर निगम अध्यक्ष ब्रजलता हाड़ा
जनसंख्या
घनत्व
25,83,052 (2011 के अनुसार )
• 292/किमी2 (756/मील2)
क्षेत्रफल
ऊँचाई (AMSL)
8,481 km² (3,275 sq mi)
• 870 मीटर (2,854 फी॰)
आधिकारिक जालस्थल: ajmer.nic.in/index.html

निर्देशांक: 26°16′N 74°25′E / 26.27°N 74.42°E / 26.27; 74.42

अजमेर भारतीय राज्य राजस्थान का एक जिला है। राजस्थान राज्य का हृदयस्थल अजमेर जिला राजस्थान राज्य के मध्य में 25 डिग्री 38’ से 26 डिग्री 50’ उतरी अक्षांश एवं 73 डिग्री 54’ से 75 डिग्री 22’ पूर्वी देशान्तर के मध्य स्थित हैं। अजमेर उत्तर-पश्चिमी रेल्वे के दिल्ली-अहमदाबाद मार्ग पर स्थित हैं जो जयपुर के दक्षिण-पश्चिम में लगभग 135 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं। अजमेर तारागढ़ की पहाड़ी, जिसके शिखर पर किला है, निचली ढलानों पर यह शहर स्थित है। पर्वतीय क्षेत्र में बसा अजमेर अरावली पर्वतमाला का एक हिस्सा है, जिसके दक्षिण-पश्चिम में लूणी नदी व पूर्वी हिस्से में बनास की सहायक नदियाँ बहती हैं। मुग़लों की बेगम और शहजादियाँ यहाँ अपना समय व्यतीत करती थी। इस क्षेत्र को इत्र के लिए प्रसिद्ध बनाने में उनका बहुत बड़ा हाथ था। कहा जाता है कि नुरजहाँ ने गुलाब के इत्र को ईजाद किया था। कुछ लोगों का मानना है यह इत्र नूरजहाँ की माँ ने ईजाद किया था। अजमेर में पान की खेती भी होती है। इसकी महक और स्वाद गुलाब जैसी होती है। वर्तमान में जिला 12 उपखण्ड, 11 पंचायत समिति समिति व 19 तहसील में विभाजित है।

चित्र:अजमेर में आनासागर झील.JPG
अजमेर में आनासागर झील

परिचय[संपादित करें]

अजमेर शहर का नाम अजयमेरू के नाम पर पड़ा हैं। जिसकी स्थापना 1113 ई. में चौहान राजा अजयराज ने की थी। [1] अजमेर से 10 किलोमीटर दूर स्थित अजयपाल का मंदिर आज भी अजमेर के संस्थापक की याद दिलाता हैं। अजमेर नगर घुुुुघरा घाटी को केंद्र मानकर बसाया गया।12 वीं शताब्दी में चौहान राजा अजयराज के समय यह एक महत्त्वपूर्ण नगर बन गया था। अजमेर का वास्तविक संस्थापक अजयराज चौहान को माना जाता हैं। चौहान राजा अजयराज ने 1113 ई. में अजमेर नगर की स्थापना की थी । अजयराज ने अपनी राजधानी का नाम अजयमेरु रखा । जबकि अजयपाल ने 7 वी सदी में बिठली पहाड़ी पर एक क़िला गढ़-बिठली नाम से बनवाया था। जो बाद में अजयराज के द्वारा स्थापित 1113 ई. में अजमेर नगर के नाम से अजयमेरु कहलाया । जिसे कर्नल टाड ने अपने सुप्रसिद्ध ग्रंथ में राजपूताने की कुँजी कहा है। पर ये चोहनो की कुँजी है जिसका मुख्यालय अजमेर है।जिसका क्षेत्रफल - 8841 वर्ग कि॰मी॰ है। 2011 की जनगणना के अनुसार जनसंख्या 2584913 है।

इतिहास[संपादित करें]

राजपुताना व बंबई गजट के अनुसार अजमेर पर 700 वर्षों तक चेची गुर्जरों का राज था। [1] अजमेर में 1153 ई में प्रथम नरेश बीसलदेव चौहान ने एक मन्दिर बनवाया था, जिसे 1192 ई. में मुहम्मद ग़ोरी ने नष्ट करके उसके स्थान पर अढ़ाई दिन का झोंपड़ा नामक मस्जिद बनवाई थी। कुछ विद्वानों का मत है, कि इसका निर्माता कुतुबुद्दीन ऐबक था। कहावत है, कि यह इमारत अढ़ाई दिन में बनकर तैयार हुई थी, किन्तु ऐतिहासिकों का मत है, कि इस नाम के पड़ने का कारण इस स्थान पर मराठा काल में होने वाला अढ़ाई दिन का मेला है। इस इमारत की क़ारीगरी विशेषकर पत्थर की नक़्क़ाशी प्रशंसनीय है। इससे पहले सोमनाथ जाते समय (1124 ई.) में महमूद ग़ज़नवी अजमेर होकर गया था। मुहम्मद ग़ौरी ने जब 1192 ई. में भारत पर आक्रमण किया, तो उस समय अजमेर पृथ्वीराज के राज्य का एक बड़ा नगर था। पृथ्वीराज की पराजय के पश्चात दिल्ली पर मुसलमानों का अधिकार होने के साथ अजमेर पर भी उनका क़ब्ज़ा हो गया और फिर दिल्ली के भाग्य के साथ-साथ अजमेर के भाग्य का भी निपटारा होता रहा। 1193 में दिल्ली के ग़ुलाम वंश ने इसे अपने अधिकार में ले लिया। मुग़ल सम्राट अकबर को अजमेर से बहुत प्रेम था, क्योंकि उसे मुईनुद्दीन चिश्ती की दरगाह की यात्रा में बड़ी श्रृद्धा थी। एक बार वह आगरा से पैदल ही चलकर दरग़ाह की ज़ियारत को आया था। मुईनुद्दीन चिश्ती 12वीं शती ई. में ईरान से भारत आए थे। अकबर और जहाँगीर ने इस दरग़ाह के पास ही मस्जिदें बनवाई थीं। शाहजहाँ ने अजमेर को अपने अस्थायी निवास-स्थान के लिए चुना था। निकटवर्ती तारागढ़ की पहाड़ी पर भी उसने एक दुर्ग-प्रासाद का निर्माण करवाया था, जिसे विशप हेबर ने भारत का जिब्राल्टर कहा है। यह निश्चित है, मुगलकाल में अजमेर को अपनी महत्त्वपूर्ण स्थिति के कारण राजस्थान का नाक़ा समझा जाता था। अजमेर के पास ही अनासागर झील है, जिसकी सुन्दर पर्वतीय दृश्यावली से आकृष्ट होकर शाहजहाँ ने यहाँ पर संगमरमर के महल बनवाए थे। यह झील अजमेर-पुष्कर मार्ग पर है। सन् 1878 में अन्ग्रेजों ने वर्धनोरा (बदनोरा) राज्य में अजमेर और केकड़ी प्रान्त को शामिल कर अजमेर मेरवाड़ा के नाम से संयुक्त स्टेट बनाकर केन्द्रीय शासक प्रदेश बनाया था। 1956 में यह राजस्थान राज्य का हिस्सा बन गया। वर्तमान में अजमेर के जिला प्रमुख विश्वमोहन शर्मा है। बीसलदेव चौहान या विग्रहराज प्रथम 8 वी. शताब्दी के चौहान -राजवंश के प्रतापी राजा थे l अरबों से युद्ध भूमि में लड़ते हुए राणा सांगा की भाती इनका दाहिना हाथ कट गया था l बीसलदेव चौहान चौहान वंश की सबसे प्रतापी राजा जिन्होंने अजमेर पर शासन किया वह अजमेर का साम्राज्य आधुनिक मेवाड़ का साम्राज्य भी इसमें सम्मिलित था जैसे भीलवाड़ा राजसमंद इन्हीं के साम्राज्य में आते थे l

इनके छोटे भाई मांडलजी चौहान ने जिन्होंने मेवाड़ में भीलवाड़ा जिले के पास प्रसिद्ध मंडल झील की स्थापना की थी। मंडलजी, अजमेर के राजा बिसाल देव चौहान (विशाल देव चौहान) केे भाई थे, जिन्होंने ने संभवत: 8 वीं शताब्दी में अजमेर पर शासन किया था और साथ ही अरब घुसपैठ का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया और तोमर वंश के शासकों को दिल्ली पर नियंत्रण पाने में मदद की।[7]

यातायात और परिवहन[संपादित करें]

अजमेर पहुँचने के लिए सबसे बेहतर विकल्प रेल मार्ग है। दिल्ली से दिल्ली-अहमदाबाद एक्सप्रेस द्वारा आसानी से अजमेर पहुँचा जा सकता है। रेलमार्ग के अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग 8 से निजी वाहन द्वारा भी बेहरोड और जयपुर होते हुए अजमेर पहुँचा जा सकता है।

कृषि और खनिज[संपादित करें]

अजमेर में कृषि मुख्य व्यवसाय है और मुख्यतः मक्का, गेहूँ, बाजरा, चना, कपास, तिलहन, मिर्च व प्याज़ उगाए जाते हैं। यहाँ पर अभ्रक, लाल स्फटिक घातु और इमारती पत्थर की खुदाई होती है।

उद्योग और व्यापार[संपादित करें]

सड़क व रेल मार्गों से जुड़ा अजमेर नमक, अभ्रक, कपड़े व कृषि उत्पादों का प्रमुख व्यापारिक केन्द्र है और यहाँ तिलहन, होज़री, ऊन, जूते, साबुन व दवा निर्माण से जुड़े छोटे-छोटे अनेक उद्योग हैं। अजमेर कपड़ों की रंगाई व बुनाई तथा अपने हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है।

== प्रमुख दर्शनीय स्थल ==कल्पवृक्ष-मांगलियावास,श्री मसाणिया भैरव धाम-राजगढ़, दौलत बाग, आनासागर झील, तारागढ़ का किला, श्री देवनारायण भगवान मंदिर ((देव धाम देवमाली मसूदा तहसील)), चामुंडा माता मंदिर बोराज, जगतपीता ब्रम्हा मंदिर पुष्कर, नसीराबाद छावनी, सावित्री माता मंदिर पुष्कर, पृथ्वीराज चौहान स्मारक, मार्बल नगरी किशनगढ़, श्री धोलिया वीर तेजाजी महाराज मंदिर सुरसुरा (रूपनगढ़), पुष्कर झील, ब्यावर, दरगाह शरीफ, अजमेर के क़रीब तीर्थराज पुष्कर है। कहा जाता है कि यह वही स्थान है जहाँ सुफी संत हजरत ख़्वाजा मोईनुद्दीन चिश्ती ने आख़िरी बार विश्राम किया था। जहाँ लोग दूर-दूर से दर्शन के लिए आते हैं। मकबरा हजरत ख्वाजा हुसैन चिश्ती (औलाद-ए-ख़्वाजा), मकबरा हजरत अलाउद्दीन चिश्ती (औलाद-ए-ख़्वाजा), सोनी जी की नस्सिया, नारेली तीर्थ, अढाई दिन का झोपडा, फोयसागर, अकबर का किला। अकबर की मैगजीन इसी को कहा जाता है। अजमेर में तारागढ़ है| तारागढ़ को गढवीठली दुर्ग के नाम से जाना जाता है।

बाहरी कड़ियां[संपादित करें]

अजमेर

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 13 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 मार्च 2016. Archived 2016-03-13 at the Wayback Machine