अक्षरांकन

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महाभारत में किया गया अक्षरांकन
आटोमान क्षेत्र से प्राप्त १८वीं शताब्दी का एक अक्षरांकन जिसमें 'बिस्मिल्लाह' शब्द को बड़े ही कलात्मक शैली मीं लिखा गया है।
चीनी सुलेखन

अक्षरांकन या सुलेखन लेखन सम्बन्धित एक दृश्य कला है और एक लेखनी, स्याही ब्रश, या अन्य लेखनोपकरण के साथ अक्षरकरण का सज्जन और निष्पादन है। समकालीन सुलेखन को "अभिव्यंजक, सामंजस्यपूर्ण और कौशल्य से प्रतीकों को रूप देने की कला" के रूप में परिभाषित किया जा सकता है।[1]

आधुनिक सुलेखन कार्यात्मक शिलालेखों और सज्जाओं से लेकर ललित कला के भागों तक है जहां अक्षर सुपाठ्य हो या नहीं भी हो सकते हैं। शास्त्रीय सुलेखन, मुद्राक्षरांकन और अशास्त्रीय हस्ताक्षरकरण से भिन्न होती है, यद्यपि एक सुलेखक दोनों का अभ्यास कर सकता है।

सुलेखन विवाह निमन्त्रण और आयोजन निमन्त्रण, मुद्राक्षरांकन और अक्षर कला, मूल हस्तलिखित चिह्नांकन, धार्मिक कला, घोषणा, चित्रात्मक सज्जन और अधिकृत सुलेख कला, पाषाणच्छेदित शिलालेख, और स्मारक दस्तावेजों के रूप में प्रफुल्लित होता रहता है। इसका प्रयोग चलच्चित्र और दूरदर्शन हेतु रंगमंच की सज्‍जा और गतिशील चित्रों हेतु भी किया जाता है, और प्रशंसापत्र, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र, मानचित्र और अन्य लिखित कार्यों के लिए भी किया जाता है।

उपकरण[संपादित करें]

कैलीग्राफी के लिए प्रयोग किए जाने वाले प्रमुख उपकरण हैं पेन और ब्रश. इसके लिए ऐसे पेन का प्रयोग किया जाता है जिनकी निब चपटी, गोल अथवा नुकीली होती है। [2] कुछ विशेष प्रकार के सजावटी उद्देश्यों के लिए कई निब वाले पेन अथवा स्टील के ब्रश का भी प्रयोग किया जाता है. विशिष्ट शैली वाली कैलीग्राफी - जैसे कि गॉतिक स्क्रिप्ट - के लिए ठूंठदार निब काम आती है.

लिखने के लिए प्रयुक्त स्याही पानी के आधार वाली होती है और चित्रकारी में काम आने वाली तेल आधारित स्याही से कम गाढ़ी होती है. अच्छी गुणवत्ता वाला कागज जिसमें सोखने की क्षमता अधिक होती है प्रयोग करने से लिखावट स्पष्ट होती है हालाँकि परचामनेट और वेल्यूम का भी अक्सर प्रयोग होता है क्योंकि इंसमे आई त्रुटियों को चाकू से खुरेदा जा सकता है.

आधुनिक कैलीग्राफी[संपादित करें]

पुनरुत्थान[संपादित करें]

१५ वीं सदी में मुद्रण कला के व्यापक प्रसार के साथ ही सुसज्जित पांडुलिपियों के प्रचलन में काफ़ी कमी आ गई. [3] फिर भी मुद्रण कला के विस्तार का अर्थ कैलीग्राफी का ख़त्म होना नहीं था। १९वीं सदी के अंत में विलियम मॉरिस और द आर्ट्स आंड क्रॅफ्ट्स मूवमेंट के दर्शन और एस्थेटिक्स संबंधी प्रभाव के कारण आधुनिक कैलीग्राफी के पुनरुत्थान का आरंभ हुआ। एड्वर्ड जॉनस्टन को आधुनिक कैलीग्राफी का जनक भी कहा जाता है। वास्तुविद् विलियम हॅरिसन कोवलीशव की प्रकाशित पुस्तक के पांडुलिपि के अध्ययन के बाद उनकी मुलाकात १८९८ में द सेंट्रल स्कूल ऑफ आर्ट्स आंड क्रॅफ्ट्स के प्रिन्सिपल विलियम लेताबी से हुई जिन्होने उन्हे ब्रिटिश म्यूज़ीयम में रखी पांडुलिपियों का भी अध्ययन करने को कहा. [4]

इस सब के कारण जॉनस्टन के मन में चौड़े कोने वाले पेन से की जाने वाली के प्रति कैलीग्राफी रूचि उत्पन्न हुई. उन्होने सितंबर १८९९ से सेंट्रल स्कूल इन साउथँप्टन रो, लंडन में पढ़ाने का काम शुरू किया और वहीं एरिक गिल भी उनके प्रभाव में आ गये. उसी साल फ्रँक पिक ने उन्हे लंडन अंडरग्राउंड के लिए एक नये प्रकार का टाइपफेस डिज़ाइन करने के लिए अनुबंधित किया जो आज भी थोड़े बहुत सुधार के साथ प्रयोग की जाती है. [5]

वैश्विक परम्पराएँ[संपादित करें]

पूर्वी एशिया[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Calligraphy: From Calligraphy to Abstract Painting. Scirpus-Publications. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-90-803325-1-5.
  2. चाइल्ड, ह., संपा॰ (१९८५). डी कैलीग्राफर'स हैंडबुक. तपलींगर पब्लिशिंग को.
  3. लांब, C.M., संपा॰ (१९७६) [१९५६]. कैलीग्राफर'स हैंडबुक. पेंतालिक.
  4. "फॉण्ट डिज़ाइनर — एडवर्ड जोहनस्टोन". लिओटीपी GmbH. मूल से 15 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ५ नवम्बर २००७.
  5. सच अस डी रामसे पसलटेर, BL, हार्ले MS २९०४

यह भी देखिये[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]