अंधकासुर
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अंधकासुर एक पौराणिक दैत्य का नाम है ।उसका वध भगवान शिव ने भैरव का रूप लेकर किया था। अंधकासुर भगवान शिव का ही पुत्र था। उसके पालक पिता का नाम हिरण्याक्ष था जोकि असुरराज हिरण्यकशिपु का छोटा भाई था और महर्षि कश्यप और दिति का पुत्र था। कुछ स्थानों पर अंधकासुर को महर्षि कश्यप और दिति का पुत्र भी लिखा गया है। माना जाता है कि इसी ने ही लोहितांग का लालन पालन किया था।[1][2][3] [4]

जन्म
[संपादित करें]लिंगपुराण में वर्णित एक प्राचीन कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव शंकर ध्यान में लीन थे क्रीड़ा पूर्वक माता पार्वती ने उसी समय उनके दोनों नेत्र बंद कर दिए। उनके आंखो से आंसू की एक बूंद टपकी और भगवान शंकर के तीसरे नेत्र की दिव्य ज्योति को छूकर चली गई उसी पसीने और दिव्य ज्योति के मिश्रण से एक बालक का जन्म हुआ जो अंधा एवम् कुरूप था। यही बालक आगे चलकर अंधकासुर कहलाया।
सन्दर्भ
[संपादित करें]- ↑ Charles Dillard Collins (1988). The Iconography and Ritual of Siva at Elephanta. SUNY Press. p. 58. ISBN 978-0-7914-9953-5.
- ↑ George M. Williams (2008). Handbook of Hindu Mythology. Oxford University Press. p. 54. ISBN 978-0-19-533261-2.
- ↑ B. K. Chaturvedi (2004). Shiva Purana. Diamond Pocket Books (P) Ltd. p. 106. ISBN 978-81-7182-721-3.
- ↑ Gopal, Madn (1990). K.S. Gautam (ed.). India through the ages. Publication Division, Ministry of Information and Broadcasting, Government of India. p. 67.