सूरजकुण्ड हस्तशिल्प मेला

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[[चित्र ताज महल Fair.jpg|thumb|right|300px|उत्तराखंड राज के थीम पर बना बद्रीनाथ मंदिर की तरह का मेले का प्रवेशद्वार]] सूरजकुंड हस्तशिल्प मेला, भारत की एवं शिल्पियों की हस्तकला का १५ दिन चलने वाला मेला लोगों को ग्रामीण माहौल और ग्रामीण संस्कृति का परिचय देता है। यह मेला हरियाणा राज्य के फरीदाबाद शहर के दिल्ली के निकटवर्ती सीमा से लगे सूरजकुंड क्षेत्र में प्रतिवर्ष लगता है। यह मेला लगभग तीन दशक से आयोजित होता आ रहा है। वर्तमान में इस मेले में हस्तशिल्पी और हथकरघा कारीगरों के अलावा विविध अंचलों की वस्त्र परंपरा, लोक कला, लोक व्यंजनों के अतिरिक्त लोक संगीत और लोक नृत्यों का भी संगम होता है।[1][2]

इस मेले में हर वर्ष किसी एक राज्य को थीम बना कर उसकी कला, संस्कृति, सामाजिक परिवेश और परंपराओं को प्रदर्शित किया जाता है। वर्ष २०१० में राजस्थान थीम राज्य है। इसे दूसरी बार यह गौरव प्राप्त हुआ है। मेले में लगे स्टॉल हर क्षेत्र की कला से परिचित कराते हैं। सार्क देशों एवं थाईलैंड, तजाकिस्तान और मिस्र के कलाशिल्पी भी यहां आते हैं।[1]

पश्चिम बंगाल और असम के बांस और बेंत की वस्तुएं, पूर्वोत्तर राज्यों के वस्त्र, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश से लोहे व अन्य धातु की वस्तुएं, उड़ीसा एवं तमिलनाडु के अनोखे हस्तशिल्प, मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब और कश्मीर के आकर्षक परिधान और शिल्प, सिक्किम की थंका चित्रकला, मुरादाबाद के पीतल के बर्तन और शो पीस, दक्षिण भारत के रोजवुड और चंदन की लकड़ी के हस्तशिल्प भी यहां प्रदर्शित हैं।

यहां अनेक राज्यों के खास व्यंजनों के साथ ही विदेशी खानपान का स्वाद भी मिलता है। मेला परिसर में चौपाल और नाट्यशाला नामक खुले मंच पर सारे दिन विभिन्न राज्यों के लोक कलाकार अपनी अनूठी प्रस्तुतियों से समा बांधते हैं। शाम के समय विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम होते हैं। दर्शक भगोरिया डांस, बीन डांस, बिहू, भांगड़ा, चरकुला डांस, कालबेलिया नृत्य, पंथी नृत्य, संबलपुरी नृत्य और सिद्घी गोमा नृत्य आदि का आनंद लेते हैं। विदेशों की सांस्कृतिक मंडलियां भी प्रस्तुति देती हैं।

मेला २०१०[संपादित करें]

भगवान गणेश की प्रतिमा, सूरजकुण्ड मेले में प्रदर्शित

२४वां सूरजकुंड मेला १ से १५ फरवरी, २०१० तक होगा। मेले का उद्घाटन उपराष्ट्रपति मोहम्मद हामिद अंसारी करेंगे। इस मेले का थीम राज्य राजस्थान है। इस राज्य को दूसरी बार ये अवसर मिला है।[2] इससे पूर्व २००९ में थीम र्ज्य मध्य प्रदेश रहा था। राजस्थान के ५० से अधिक भागीदार अपनी कला का यहां प्रदर्शन करेंगे। इनके अलावा देश भर से ३५० से अधिक हस्तशिल्पी और हरकरघा कारीगर यहां आये, जिनमें पुरस्कार प्राप्त शिल्पकार भी शामिल होते हैं। राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र की प्रसिद्घ हवेली परंपरा का प्रतीक शेखावाटी स्वरूप का प्रवेशद्वार पर्यटकों के स्वागत के लिये बना है। वहां के लघु चित्र, सांगानेरी बांधनी वस्त्र, जोधपुरी जूतियां, उदयपुर की कठपुतलियां आदि के अलावा पारंपरिक खानपान में दाल बाटी, चूरमा, जोधपुर की मावा कचौड़ी, पुष्कर का मालपुआ, बीकानेरी नमकीन और मिठाई भी हैं।

इनके अलावा यहां सार्क देशों के हस्तशिल्प, विदेशी खाद्य हैं। स्वयं हस्तशिल्प बनाने के लिए खास वर्कशॉप आयोजित होंगीं। पतंग बनाने एवं उड़ाने की स्पर्धाएं भी होंगी। बच्चों के लिए पेंटिंग, फेस पेंटिंग स्पर्धाएं, ऊंट सफारी एवं अन्य कई मनोरंजक गतिविधियां जैसे मेले में जादू के शो आदि भी आयोजित होंगे। मेले का समय प्रात: ९:३० से रात ८:०० बजे तक होता है।[1]

थीम राज्य[संपादित करें]

ये राज्य रहे अब तक के थीम स्टेट[3]--

वर्ष थीम स्टेट
१९८७ -----
१९८८ -----
१९८९ राजस्थान
१९९० पश्चिम बंगाल
१९९१ केरल
१९९२ मध्य प्रदेश
१९९३ उड़ीसा
१९९४ कर्नाटक
१९९५ पंजाब
१९९६ हिमाचल प्रदेश
१९९७ गुजरात
१९९८ नॉर्थ ईस्टर्न स्टेट
१९९९ आंध्र प्रदेश
२००० जम्मू-कश्मीर
२००१ गोवा
२००२ सिक्किम
२००३ उत्तरांचल
२००४ तमिलनाडु
२००५ छत्तीसगढ़
२००६ महाराष्ट्र
२००७ आंध्र प्रदेश
२००८ पश्चिम बंगाल
२००९ मध्य प्रदेश

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. लोक परंपराओं का महाकुंभ Archived 2017-12-01 at the वेबैक मशीन। हिन्दुस्तान लाइव। २८ जनवरी २०१०
  2. "सूरजकुण्ड हस्तशिल्प मेला". मूल से 5 मार्च 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 29 जनवरी 2010.
  3. राजस्थान होगा दूसरी बार सूरजकुंड मेले का थीम स्टेट। हिन्दुस्तान लाइव। २३ अक्टूबर २०१०

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]