शिबू सोरेन

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शिबू सोरेन
Soren in 2006

पदस्थ
कार्यालय ग्रहण 
22 June 2020
पूर्वा धिकारी Prem Chand Gupta
चुनाव-क्षेत्र Jharkhand

पद बहाल
30 December 2009 – 31 May 2010
पूर्वा धिकारी President's rule
उत्तरा धिकारी President's rule
पद बहाल
27 August 2008 – 18 January 2009
पूर्वा धिकारी Madhu Koda
उत्तरा धिकारी President's rule
पद बहाल
2 March 2005 – 12 March 2005
पूर्वा धिकारी Arjun Munda
उत्तरा धिकारी Arjun Munda

पद बहाल
29 January 2006 – 28 November 2006
प्रधानमंत्री Manmohan Singh
पूर्वा धिकारी Manmohan Singh
उत्तरा धिकारी Manmohan Singh
पद बहाल
27 November 2004 – 2 March 2005
प्रधानमंत्री Manmohan Singh
पूर्वा धिकारी Manmohan Singh
उत्तरा धिकारी Manmohan Singh
पद बहाल
23 May 2004 – 24 July 2004
प्रधानमंत्री Manmohan Singh
पूर्वा धिकारी Mamata Banerjee
उत्तरा धिकारी Manmohan Singh

पद बहाल
2002–2019
पूर्वा धिकारी Babulal Marandi
उत्तरा धिकारी Sunil Soren
चुनाव-क्षेत्र Dumka
पद बहाल
1989–1998
पूर्वा धिकारी Prithvi Chand Kisku
उत्तरा धिकारी Babulal Marandi
चुनाव-क्षेत्र Dumka
पद बहाल
1980–1984
पूर्वा धिकारी Babulal Marandi
उत्तरा धिकारी Prithvi Chand Kisku
चुनाव-क्षेत्र Dumka

जन्म 11 जनवरी 1944 (1944-01-11) (आयु 80)
Ramgarh, Bihar, British India
(now in Jharkhand, India)
राजनीतिक दल JMM
जीवन संगी Roopi Soren
बच्चे
निवास Bokaro
As of 25 September, 2006
Source: [1]

शिबू सोरेन (जन्म ११ जनवरी, १९४४) एक भारतीय राजनेता है।[1] वे झारखंड मुक्ति मोर्चा के अध्यक्ष है। २००४ में मनमोहन सिंह की सरकार में वे कोयला मंत्री बने लेकिन चिरूडीह कांड जिसमें 11 लोगों की ह्त्या हुई थी के सिलसिले में गिरफ़्तारी का वारंट जारी होने के बाद उन्हें केन्द्रीय मंत्रीमंडल से 24 जुलाई 2004 को इस्तीफ़ा देना पड़ा। वे झारखंड के दुमका लोकसभा सीट से छठी बार सांसद चुने गये हैं।[1]

शिबू का जन्म पुराने बिहार के हजारीबाग जिले में नामरा गाँव में हुआ था।[1] उनकी स्कूली शिक्षा भी यहीं हुई। स्कूली शिक्षा समाप्त करने के बाद ही उनका विवाह हो गया और उन्होंने पिता को खेती के काम में मदद करने का निर्णय लिया | पिता शोभराम सोरेन कि हत्या की गयी थी । उनके राजनैतिक जीवन की शुरुआत 1970 में हुई। उन्होंने 23 जनवरी, 1975 को उन्होंने तथाकथित रूप से जामताड़ा जिले के चिरूडीह गाँव में "बाहरी" लोगों (आदिवासी जिन्हें "दिकू" नाम से बुलाते हैं) को खदेड़ने के लिये एक हिंसक भीड़ का नेतृत्व किया था। इस घटना में 11 लोग मारे गये थे। उन्हें 68 अन्य लोगों के साथ हत्या का अभियुक्त बनाया गया।

शिबू पहली बार 1977 में लोकसभा के लिये चुनाव में खड़े हुये परन्तु पराजित हुए। 1980 में वे लोक सभा चुनाव जीते। इसके बाद क्रमश: 1986, 1989, 1991, 1996 में भी चुनाव जीते।[1] 10 अप्रैल 2002 से 2 जून 2002 तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे। 2004 में वे दुमका से लोकसभा के लिये चुने गये।

सन 2005 में झारखंड विधानसभा चुनावों के पश्चात वे विवादस्पद तरीक़े से झारखंड के मुख्यमंत्री बने, परंतु बहुमत साबित न कर सकने के कारण कुछ दिनो के पश्चात ही उन्हें इस्तीफ़ा देना पड़ा।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Shibu Soren|National Portal of India". भारत सरकार. मूल से 3 सितंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 3 सितम्बर 2018.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]

[[श्रेणी:झारखंड मुक्ति मोर्चा के राज