परिवर्ती तारा

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द्वितारे में एक तारे के कभी खुले चमकने और कभी ग्रहण हो जाने से उसकी चमक परिवर्तित होती रहती है - नीचे की लक़ीर पृथ्वी तक पहुँच रही चमक को माप रही है

परिवर्ती तारा ऐसे तारे को बोलते हैं जिसकी पृथ्वी तक पहुँचती हुई चमक बदलती रहती हो, यानि उसका सापेक्ष कान्तिमान बदलता रहता हो। इसकी दो वजहें हो सकती हैं -

  • वास्तव में तारे की अंदरूनी चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) बदल रहा हो सकता है।
  • तारे की अपनी चमक में कोई बदलाव नहीं लेकिन उसके और पृथ्वी के बीच कोई चीज़ हो सकती है जो बदल रही है जिस वजह से हम तक पहुँचती चमक बदल रही है। उदहारण के लिए किसे द्वितारे के एक तारे की पृथ्वी तक पहुँचती चमक बदल सकती है क्योंकि कभी वह तारा अपने साथी के आगे है और कभी पीछे।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]