दण्डासन

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दण्डासन को सामान्य बोलचाल के भाषा में `दण्ड लगान´ भी कहते हैं। पुराने समय में कुश्ती के अखाड़े में भी इस आसन को किया जाता था। इस आसन को करने का एक और प्रकार भी है जिसमें शरीर को कमर से ऊपर के भाग को तब तक उठाया जाता है जब तक की शरीर व फर्श के बीच त्रिभुज का आकार न बन जाएं। इस आसन का अभ्यास स्व्च्छ वातावरण व हवादार स्थान पर दरी या चटाई बिछाकर करें। सभी की इच्छा होती है कि उनका स्वस्थ और निरोगी शरीर हो और इसके साथ ही मजबूत कद-काठी हो तो क्या कहने। हमेशा से ही सुडोल शरीर बनाने के लिए सभी प्रयत्न करते ही है। योगासन के द्वारा हमारा शरीर आकर्षक और निरोगी बनता है। यदि आप चौड़ी और मजबूत छाती बनाना चाहते हैं तो दण्डासन सबसे अच्छा उपाय है। इससे कम समय में ही लाभ दिखाई देने लगता है।

दण्डासन की विधि[संपादित करें]

किसी साफ-स्वच्छ, शुद्ध वातावरण व हवादार स्थान पर कंबल आदि बिछा लें। इस आसन के लिए पहले पेट के बल लेट जाएं। अपने दोनों पैरों को मिलाकर व तानकर रखें। इसके बाद अपने दोनों हाथों के बीच थोड़ी दूरी रखते हुए छाती के बिल्कुल सीध में हाथ को कोहनियों से मोड़कर रखें। अब पूरे शरीर को तानते हुए धीरे-धीरे सांस अन्दर खींचे और पंजों पर शरीर का भार देते हुए दोनों हाथों के सहारे शरीर को तब तक ऊपर उठाएं जब तक दोनों हाथ बिल्कुल सीधा न हो जाएं। फिर सांस छोड़ते हुए धीरे-धीरे शरीर को नीचे फर्श से थोड़ा ऊपर रखें और पुन: श्वास लेकर शरीर को ऊपर ले जाएं। इस प्रकार से श्वास लेकर ऊपर और श्वास छोड़ते हुए नीचे आते हुए इस क्रिया को कई बार करें। इस आसन के अंत में सांस को छोड़कर आराम करें।

दण्डासन के लाभ[संपादित करें]

इस आसन के अभ्यास से बाएं कन्धें तथा छाती के स्नायुओं का विकास होता है। यह आसन हाथ-पैरों को सख्त तथा छाती को चौड़ी व मजबूत बनाता है। यह पंजों व हथेलियों को मजबूत करता है। इससे सांस लेने की शक्ति बढ़ती है तथा कंठ फूलता है और शरीर के सभी अंग पुष्ट होते हैं। इस आसन से हाथों, कंधों तथा छाती के स्नायुओं का विकास होता है। यह हाथ-पैरों को शक्तिशाली तथा छाती को चौड़ी व मजबूत बनाता है। यह पंजों व हथेलियों को मजबूत करता है। इससे सांस लेने की शक्ति बढ़ती है तथा कण्ठ फूलता है तथा शरीर के सभी अंग पुष्ट होते हैं। यह आसन उन लोगों के लिए काफी फायदेमंद है जिन्हें पहलवानी पसंद है और जो पहलवानों जैसा शरीर बनाना चाहते हैं।