सरिय्या खालिद बिन वलीद (बनू जज़िमा)

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सहाबा अरबी भाषा सुलेख

सरिय्या खालिद बिन वलीद (बनू जज़िमा) (अंग्रेज़ी: Expedition of Khalid ibn al-Walid (Banu Jadhimah)) इस्लामिक अभियान है जिस में 350 घुड़सवारों के साथ 8 हिजरी में इस्लाम के पैग़म्बर मुहम्मद के आदेश पर सहाबी ख़ालिद बिन वलीद को बनू जज़िमा जनजाति को इस्लाम में आमंत्रित करने के लिए भेजा गया था।

विवरण[संपादित करें]

जनजाति के कई सदस्यों ने प्रस्ताव स्वीकार कर लिया और इस्लाम में परिवर्तित हो गए। हालाँकि खालिद इब्न वलीद का इस जनजाति के साथ एक इतिहास था। पहले स्वयं इस्लाम विरोधी थे। उनके धर्म परिवर्तन को एक चाल या धोका समझ कर उन्हें फांसी देने का आदेश दिया। इससे पहले कि अधिक रक्तपात करते कुछ अन्य मुसलमान जो मदीना के नागरिक थे, साथ आगये और खालिद को रोकते हुए हस्तक्षेप किया। रक्तपात की खबर मुहम्मद तक पहुँची। वह बहुत दुखी हुआ और इन शब्दों का उच्चारण करते हुए स्वर्ग की ओर हाथ उठाया: "हे अल्लाह! खालिद ने जो कुछ किया है, मैं उससे निर्दोष हूं," दो बार कहा। उसने तुरंत 'अली' को उन जनजातियों के लिए हर संभव क्षतिपूर्ति करने के लिए भेजा, जिनके साथ अन्याय हुआ था। सावधानीपूर्वक पूछताछ के बाद,'अली ने उन सभी को रक्त-धन दिया (इस्लाम) का भुगतान किया, जिन्हें नुकसान हुआ था। शेष भाग भी जनजाति के सदस्यों के बीच उनकी पीड़ा को कम करने के लिए वितरित किया गया था। खालिद, 'अब्दुर रहमान बिन' अवफ के साथ असहमत थे। यह सुनकर, मुहम्मद क्रोधित हो गए और खालिद को उस विवाद को रोकने का आदेश दिया।[1][2][3]

खालिद सैन्य नेत्तृव[संपादित करें]

सैन्य नेत्तृव[संपादित करें]

वर्ष लड़ाई/युध्द नेतृत्व/विवरण
23 मार्च 625 हुद की लड़ाई
629 ग़ज़वा ए मूता खालिद बिन वालिद ने विशाल रोम सेना के सामने एक छोटी सी मुस्लिम सेना का नेत्तृव किया और रोमन सेना को बुरी तरह पराजित कर विजय प्राप्त की ।
अप्रैल 633 चेन्स की लड़ाई खालिद बिन वालिद की फारसी साम्राज्य के विरुध्द पहली लड़ाई थी
मई 633 बलाजा की लड़ाई खालिद बिन वालिद निर्णाक पैंतरेबाजी का उपयोग कर फारसी साम्राज्य की बड़ी ताकतों को हरा दिया ।
मई 633 उल्लेश की लड़ाई
नबम्वर 633 जुमाइल की लड़ाई फारसी साम्राज्य को पराजित करके मेसोपोटामिया, इराक पर विजय प्राप्त की ।
जनवरी 634 फिराज की लड़ाई इस लड़ाई में खालिद बिन वालिद ने फारसी साम्राज्य और ईसाई अरबो की बड़ी संयुक्त सेना को हरा दिया था ।
जून–जूलाई 634 बोसरा की लड़ाई खालिद बिन वालिद के नेत्तृव में अरब मुस्लिम सेना ने रोमन और ईसाई अरबों की एक विशाल सेना को हरा कर सीरिया के छोटे से शहर वोसरा जीता,
जूलाई 634 अजंदायन की लड़ाई मुस्लिम सेना खालिद बिन वालिद के नेत्तृव तथा रोमन सेना हरक्यूलस के नेत्तृव में एक बड़ी लड़ाई हुई थी जिसमें मुस्लिम सेना ने विजय प्राप्त की ।
635 फाल्ह की लड़ाई खालिद बिन वालिद ने रोमन साम्राज्य को हरा कर रोमन साम्राज्य से फिलिस्तीन, जार्डन और सीरिया को जीता जिसका नेत्तृव हरक्यूलस ने किया था ।
अगस्त 636 यर्मोक का युद्ध खालिद बिन वालिद के नेत्तृव में रोमन साम्राज्य को अरब मुस्लिम सेना ने बुरी तरह पराजित किया ।
637 आयरन ब्रिज की लड़ाई हरक्यूल्स को पराजित किया , अन्तिम लड़ाई थी खालिद बिन वालिद ने जिसमें रोमन सेना को हराकर उत्तरी सीरिया तथा दक्षिण तुर्की पर विजय प्राप्त की ।
637 हजिर की लड़ाई खालिद बिन वालिद के नेत्तृव में मुस्लिम सेना ने सीरिया में स्थित वाईजेंटाईन चौकी किन्नासरीन से रोमन सेना को भगाया !

सराया और ग़ज़वात[संपादित करें]

अरबी शब्द ग़ज़वा [4] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया,इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह(सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[5] [6]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "List of Battles of Muhammad". मूल से 26 July 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 10 May 2011.
  2. Abu Khalil, Shawqi (1 March 2004). Atlas of the Prophet's biography: places, nations, landmarks. Dar-us-Salam. पृ॰ 226. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-9960-897-71-4.
  3. Muir, Sir William (1861). The Life of Mahomet and History of Islam to the Era of the Hegira. Smith, Elder & Company. पृ॰ 135. अभिगमन तिथि 17 December 2014.
  4. Ghazwa https://en.wiktionary.org/wiki/ghazwa
  5. siryah https://en.wiktionary.org/wiki/siryah#English
  6. ग़ज़वात और सराया की तफसील, पुस्तक: मर्दाने अरब, पृष्ट ६२] https://archive.org/details/mardane-arab-hindi-volume-no.-1/page/n32/mode/1up

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]