मुंबई के दर्शनीय स्थल

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मुंबई में ढेरों दर्शनीय स्थल हैं।

ताज महल होटल : शहर की सबसे बड़ी पहचान और भारत के सर्वश्रेष्ठ होटलों में से एक। 1903 में जे.एन.टाटा द्वारा निर्मित इस होटल के नए और पुराने दो विंग हैं। नए विंग की अपेक्षाकृत पुराना विंग अधिक महंगा और भव्य है। पुराने विंग में ग्रांड सेंट्रल स्टेयरकेस देखने लायक है।

गेटवे ऑफ इंडिया : 1911 में किंग जॉर्ज-V के भारत में स्वागत के लिए इसका निर्माण कराय गया था। कोलाबा में अपोलो बंदर के सिरे पर मुंबई बंदरगाह के किनारे यह विजय-द्वार पीले बैसाल्ट पत्थरों से निर्मित है। यह मुंबई का एक प्रसिद्ध स्थान है जहां स्थानी निवासी भी काफी संख्या में आते हैं। इसके नजदीक ही, घोड़े पर बैठे मराठा नायक शिवाजी और विवेकानंद की प्रतिमाएं हैं। यहां से एलिफेंटा द्वीप के लिए बोट चलती हैं।

फ्लोरा फाउंटेन : इस फाउंटेन का नाम रोम में समृद्धि के देवता के नाम पर पड़ा, इसका निर्माण 1869 में सर बार्टले फरेरे के सम्मान में किया गया, जिन्होंने आज दिखने वाले मुंबई के निर्माण में बहुत सहयोग दिया था। अब यह फाउंटेन उस क्षेत्र में है, जहां महाराष्ट्र राज्य के लिए शहीद होने वालों की याद में स्मारक बनाया गया है।

मुंबई विश्वविद्यालय एवं उच्च न्यायालय : 1860 से 70 के दौरान जब भवनों का निर्माण तेजी से किया जा रहा था, उस समय, विशेषकर ओवल मैदान के किनारे, अधिकांश विक्टोरियन भवनों का निर्माण हुआ। उन दिनों मैदान समुद्र के नजदीक हुआ करता था और मुंबई विश्वविद्यालय, पश्चिम रेलवे मुख्यालय का भवन तथा उच्च न्यायालय सीधे अरब सागर के सामने थे। इनमें मुंबई विश्वविद्यालय भवन सबसे शानदार है। गिलबर्ट स्कॉट ने इसका डिजाइन तैयार किया था, यह 15वीं शताब्दी का इटेलियन भवन जैसा दिखता है। इसका भवन, इसका विशाल पुस्तकालय, कन्वोकेशन हॉल और 80 मी. ऊंचा राजाबाई टावर बहुत सुंदर है।

हॉर्निमन सर्किल : 1860 में फोर्ट एरिया में राज्य सरकारी भवनों का निर्माण किया गया था। इसके समीप ही क्लासिक टाउन हाल (मुंबई का गौरव) है।

मरीन ड्राइव : 1920 में निर्मित, मरीन ड्राइव अरब सागर के किनारे-किनारे, नरीमन प्वाइंट पर सोसाइटी लाइब्रेरी और मुंबई राज्य सेंट्रल लाइब्रेरी से लेकर चौपाटी से होते हुए मालाबार हिल तक के क्षेत्र में है। मरीन ड्राइव के शानदार घुमाव पर लगी स्ट्रीट-लाइटें रात्रि के समय इस प्रकार जगमाती हैं कि इसे क्वीन्स नैकलेस का नाम दिया गया है। रात्रि के समय ऊंचे भवनों से देखने पर मरीन ड्राइव बहुत बेहतरीन दिखाई देता है।

मालाबार हिल : यह मुंबई का सभ्रांत आवासीय क्षेत्र है। मालाबार हिल में हैंगिंग गार्डन है, जहां सायंकाल में अच्छी भीड़ रहती है। यहां झाड़ियों को काटकर जानवरों की शक्ल दी गई है, जो इस गार्डन की विशेषता बन गए हैं। यहां फूलों से बनी एक घड़ी भी है। यहां से आप शहर का अच्छा नजारा ले सकते हैं।

चौपाटी बीच : यह मुंबई के जीवन का अभिन्न हिस्सा है। चौपाटी बीच पर ड्रामें, राजनीतिक रैलियां, शूटिंग आदि आयोजित होती हैं, यहां बी-बी गन, सपेरे और झूले भी मिलते हैं। स्पेशल भेल-पूरी और चाट के लिए चौपाटी बहुत प्रसिद्ध है। प्रति वर्ष गणेश चतुर्थी पर समुद्र के पानी में गणपति विसर्जन किया जाता है।

विक्टोरिया टर्मिनस : गॉथिक शैली में बना यह विशाल भवन किसी रेलवे स्टेशन की बजाय एक महल जैसा दिखता है। इसका डिजाइन फ्रेडेरिक स्टीवंस ने तैयार किया तथा 1887 में इसका निर्माण कार्य पूरा हुआ। इस भवन को बंदर, मोर और सिंह की मूर्तियों के साथ विभिन्न आकार के गुंबद, मीनारें और रंगीन शीशे वाली खिड़कियों से सजाया गया है। भवन के सामने बीच में रानी विक्टोरिया की बड़े आकार की मूर्ति लगी हुई है।

मणि भवन : अपनी मुंबई यात्रा के दौरान महात्मा गांधी इस भवन में ठहरे थे। उनके कमरों को उसी रूप में रखा गया है और यहां उनके जीवन से संबंधित चित्रों को प्रदर्शित किया गया है। यह भवन रोजाना प्रात: 9.30 बजे से सायं 6.00 बजे तक खुला रहता है तथा यहां प्रवेश निशुल्क है।

जुहू : 5 कि॰मी॰ लंबा यह तट नारियल और ताड़ के पेड़ों से घिरा है। यह एक लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट भी है, यहां सपेरे, खिलौने बेचने वाले, फल-विक्रेता, गोलचक्कर वाले झूले और ज्योतिषी आदि भी मिल जाते हैं। इस तट पर विदेशी पर्यटकों सहित स्थानीय नागरिक भी ताजी हवा का और क्रिकेट खेलकर आनंद लेते हैं।

क्राफोर्ड मार्केट : यह फूलों, फलों, सब्जियों, मांस और मछली की होलसेल मार्केट है। इस नॉर्मन-गॉथिक भवन पर रुडयार्ड किपलिंग के पिता लॉकवुड किपलिंग द्वारा आकृतियां उकेरी गई हैं। मार्केट के दक्षिण में जे.जे. स्कूल ऑफ आर्ट है। यहीं पर रुडयार्ड किपलिंग का जन्म हुआ था, उसका जन्म-स्थान अब डीन के आवास के रूप में उपयोग होता है।

हाजी अली की दरगाह : 18वीं सदी के आरंभ में बने इस धर्म-स्थल पर एक मुस्लिम सूफी संत हज़रत हाजी अली का मज़ार है। इस बारे में दो किंवदंतियां हैं, जिनमें हज़रत के पूर्ववृत्त का दावा करते हैं। एक कथा है कि हाजी अली एक अमीर, स्थानीय व्यवसायी थे, जिन्होंने मक्का की यात्रा के बाद भौतिक संसार से मुंह मोड़ लिया था और भक्ति में लीन हो गए थे। एक अन्य किंवदंती में कहा जाता है कि वे एक आध्यात्मिक अफगान थे, जो यहां रहकर भक्ति करते थे। उन्होंने विशेष तौर पर आदेश दिए थे कि उनकी मौत के बाद उनके ताबूत को आज के पाकिस्तान के समुद्री तट से पानी में बहा दिया जाए। तथापि, उनके ताबूत को उसी जगह दफनाया गया, जहां आज यह दरगाह बनी हुई है।

हाजी अली की समाधि अरब साहर में एक छोटे से द्वीप पर स्थित है। समाधि को एक पैदल-पथ द्वारा किनारे से जोड़ा गया है। यह पैदल-पथ दरगाह में जाने का एकमात्र रास्ता है और समुद्र का पानी उतरा होने पर ही इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। ऊंची लहरों और मानसूनी बारिश के दौरान यह पैदल-पथ पूरा तरह पानी से ढंक जाता है। दरगाह के भीतर एक अहाता है, जहां एक पर्व का सा माहौल रहता है। दरगाह के मुगल शैली के गुंबद और मीनारें सफेद रंग के हैं। यद्यपि यह एक प्रसिद्ध मुस्लिम तीर्थस्थल है, यहां गैर-मुस्लिम यात्री भी काफी संख्या में आते हैं। सूर्यास्त के समय किनारे से देखे जाने पर दरगाह का दृश्य बहुत शानदार दिखाई देता है।

धोबी घाट : यहां पूरे मुंबई शहर के कपड़े धुलते हैं। महालक्ष्मी स्थित नगर निगम के इस घाट में लगभग 5,000 व्यक्ति शहर भर से लाए गए कपड़ों की धुलाई करते हैं। कपड़े धोने के लिए खुले स्थान पर हौदियां बनी हैं। आप महालक्ष्मी रेलवे स्टेशन के पुल से यहां का शानदार नजारा ले सकते हैं।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]