जयन्तिया राज्य

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जयन्तेश्वरी गृह के सामने।
राजकुमारी इरावती की सराय

जयन्तिया राज्य भारत का एक मातृवंशीय राज्य था जो वर्तमान बांग्लादेश के सिलहट डिवीजन तथा भारत के मेघालय राज्य में अवस्थित था। सन् 630 ईस्वी में राजा गुहाक ने अपने तीन बेटों के लिए इसे तीन भागों में बांट दिया- जयन्तिया राज्य, गौर राज्य और लौर राज्य । सन् 1835 में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने इस पर अधिकार कर लिया।

जयन्तियापुर राज्य के सभी खासी (पनार) राजा, सैयम सुतंगा कबीले से हैं, जो खासी जनजाति का एक पनार कबीला है। यह कबीला स्वयं को 'का ली दोहखा' नामक एक दिव्य अप्सरा का वंशज मानता है।

जयन्तिया शब्द की व्युत्पत्ति[संपादित करें]

एक सिद्धांत कहता है कि "जयन्तिया" शब्द जयन्ति देवी से व्युत्पन्न है। जयन्ति देवी दुर्गा के अवतार हैं। एक अन्य सिद्धान्त का कहना है कि यह शब्द 'पनार' भाषा (शासकों की भाषा) के सुतङ्ग (Sutnga) से व्युत्पन्न है, जो वर्तमान मेघालय के जयन्तिया पहाड़ी की एक बस्ती है। [1] पनार (बाहरी लोग इसे जयंतिया भी कहते हैं) और वार, मोन-खमेर भाषा बोलते हैं जो खासी से संबंधित हैं।

जयन्तेश्वरी गृह का प्रवेशद्वार

विस्तार[संपादित करें]

जयंतेश्वरी की सामने की दीवार

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Soumen Sen (2004). Khasi-Jaintia folklore: context, discourse, and history. NFSC. पृ॰ 56. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-901481-3-9.