भक्तपुर दरबार क्षेत्र

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भक्तपुर दरबार क्षेत्र
भक्तपुर दरबार क्षेत्र का चित्र

भक्तपुर दरबार क्षेत्र जिसे स्थानीय भाषा में ख्वापा लयकू (नेपाली भाषा:- ख्वाप वालू) के नाम से जाना जाता है, पुराने भक्तपुर साम्राज्य का शाही महल है, जो समुद्र तल से 1,400 मीटर (4,600 फीट) ऊपर है। यह युनेस्को के द्वारा विश्व धरोहर स्थल घोषित है।[1]

भक्तपुर दरबार क्षेत्र भक्तपुर के शहर ख्वापा में स्थित है, जो काठमांडू से 13 कि॰मी॰ पूर्व में स्थित है। इसके परिसर में चार अलग-अलग क्षेत्र (दरबार क्षेत्र, तौमधी क्षेत्र, दत्तात्रेय क्षेत्र और पॉटरी क्षेत्र) शामिल हैं। पूरे क्षेत्र को अनौपचारिक रूप से भक्तपुर दरबार क्षेत्र के रूप में जाना जाता है और यह काठमांडू घाटी का एक अत्यधिक महत्वपूर्ण पर्यटक आकर्षक क्षेत्र है।[1][2]

रूपरेखा[संपादित करें]

भक्तपुर दरबार क्षेत्र का स्वर्ण द्वार

भक्तपुर दरबार क्षेत्र में मूल रूप से 55-खिड़की वाला एक महल है, जिसका निर्माण राजा जीतमित्र मल्ल द्वारा किया गया था और यह 1769 तक कई राजवंशों के अधिकार में था। वर्तमान में इसे एक राष्ट्रीय गैलरी के रूप में परिवर्तित कर दिया गया है। पास में ही प्रसिद्ध स्वर्ण द्वार है जो मूलचोक की ओर जाता है, जहाँ तालेजू मंदिर बना हुआ है। यह मंदिर काठमांडू घाटी के अन्य मुख्य शहरों की ही तरह देवी तालेजू भवानी को समर्पित है और इसमें तालेजू भवानी और कुमारी दोनों के एक एक मंदिर उपस्थित हैं। मंदिर में प्रवेश प्रतिबंधित है और कई धार्मिक कारणों और सुरक्षा के कारण से फोटो नहीं खींची जा सकती है।[3]

भक्तपुर दरबार क्षेत्र शानदार वास्तुकला का उदाहरण है और कई देशों में नेवारी कलाकारों और शिल्पकारों के कौशल को स्पष्ट रूप से प्रदर्शित करता है। शाही महल मूल रूप से दत्तराय क्षेत्र में स्थित था और बाद में इसे भक्तपुर दरबार क्षेत्र में लाया गया था।[4]

परिसर[संपादित करें]

उग्रभैरव मंदिर
उग्रचंडी और उग्रभैरव की मूर्ति
  • कामुक हाथी मंदिर—चौक के प्रवेश द्वार के ठीक पहले बाईं ओर पानी का फव्वारा है। उससे कुछ कदम पहले सड़क के दूसरी तरफ प्रवेश द्वार से सिर्फ 100 मीटर पहले एक छोटा दो मंजिला वाला शिव-पार्वती मंदिर है, जिसके दीवारों पर कुछ कामुक नक्काशी है। इनमें से एक नक्काशी मैथुन करने वाले हाथियों के एक जोड़े का है जिस कारण इस स्थान को कामुक हाथी मंदिर का नाम मिला है।[5]
  • उग्रचंडी और उग्रभैरव-पश्चिमी छोर पर मुख्य द्वार के पास ही भगवान उग्रभैरब और उनके समकक्ष उग्रचंडी की सशस्त्र मूर्ति बनी हुई है। उग्रचंडी शिव की पत्नी पार्वती का एक रूप हैं। मूर्तियाँ 1701 ईस्वी पूर्व की हैं और ऐसा कहा जाता है कि इसे बनाने वाले दुर्भाग्यपूर्ण मूर्तिकार के हाथ बाद में काट दिए गए थें, ताकि उन्हें अपनी उत्कृष्ट कृतियों की नकल करने से रोका जा सके। उग्रचंडी के पास अठारह हथियार हैं और वह एक भैंसे जैसे राक्षस को मारने की स्थिति में है। उग्रभैरव की बारह भुजाएँ हैं और देवता और देवी दोनों को मानव सिर के हार से सजाया गया है।[5]
  • रामेश्वर मंदिर-द्वार के दाईं ओर जो पहला मंदिर है उसे ही रामेश्वर मंदिर कहते है, यह गोपी नाथ मंदिर के ठीक सामने है। यह चार स्तंभों वाला एक खुला मंदिर है और यह शिव को समर्पित है। रामेश्वर नाम भगवान विष्णु के अवतार राम द्वारा दक्षिण भारत में रामेश्वरम की स्थापना से आया है।[5]
  • बद्रीनाथ मंदिर-गोपी नाथ मंदिर के पश्चिम में एक छोटा मंदिर है, इसे ही स्थानीय रूप से बद्री नारायण के नाम से जाना जाता है। यह भगवान विष्णु अर्थात् नारायण को समर्पित है।[5]
  • गोपी नाथ मंदिर-दो मंजिल वाला शिवालय शैली में बना गोपी नाथ मंदिर रामेश्वर मंदिर से जुड़ा है। इसमें तीन देवता बलराम, सुभद्रा और कृष्ण हैं। देवताओं को देखना मुश्किल है क्योंकि दरवाजे ज्यादातर बंद रहते हैं। इस मंदिर को जगन्नाथ के नाम से भी जाना जाता है, जो भगवान विष्णु द्वारा लिया गया एक रूप है। इसी के पास द्वारका मंदिर है, जिसे कृष्ण मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। इसमें तीन देवता हैं, सत्यभामा, कृष्ण और राधा। इनके चित्र पत्थर में उकेरे गए हैं। नवंबर/दिसंबर के महीने में देवताओं को एक पालकी में रखा जाता है और शहर के चारों ओर ले जाया जाता है।[5]
  • केदारनाथ मंदिर-परिसर में भगवान शिव को समर्पित केदारनाथ मंदिर भी है।[5]
  • हनुमान प्रतिमा-नेशनल आर्ट गैलरी के प्रवेश द्वार पर हनुमान जी की मूर्ति है,[5]
  • तदुचेन बहल:-तदुचेन जिसे चतुर्वर्ण महाविहार के नाम से भी जाना जाता है, एक बौद्ध मंदिर है, जिसे राजा राय मल्ल ने चौक के पूर्वी हिस्से में 1429 ईस्वी में बनवाया था।[5]

भूकंप का प्रभाव[संपादित करें]

2004 में भक्तपुर दरबार क्षेत्र

1934 के भूकंप में दरबार क्षेत्र बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था और इसलिए काठमांडू और पाटन को काफी क्षति का सामना करना पड़ा। पहले इस जगह से 99 प्रांगण जुड़े हुए थे, लेकिन अब केवल 6 रह गए हैं। 1934 के भूकंप से पहले मंदिरों के 3 अलग-अलग समूह थे पर वर्तमान में चौक केवल उन इमारतों से घिरा हुआ है जो भूकंप से बची थीं।[6]

25 अप्रैल 2015 को आए भूकंप ने चौक में कई इमारतों को दोबारा से क्षतिग्रस्त कर दिया। भक्तपुर के चौक में मुख्य मंदिर की छत खो गई थी, जबकि बलुआ पत्थर की दीवारों और सोने की चोटी वाले शिवालयों के लिए प्रसिद्ध वत्सला देवी मंदिर भी ध्वस्त हो गया था।[7]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Bhaktapur Durbar Square nepalandbeyonhlooArchived जनवरी 8, 2013 at the वेबैक मशीन
  2. Cultural History of Nepal By Bhadra Ratha Bajracharya, Shri Ram Sharma, Shiri Ram Bakshi
  3. भक्तपुर दरबार क्षेत्र
  4. भक्तपुर दरबार क्षेत्र
  5. Bhaktapur Durbar Square Archived 2015-11-19 at the वेबैक मशीन, btdc.com.np. Retrieved 27 October 2015
  6. Woodhatch, Tom (1999). Nepal Handbook (2nd संस्करण). Bath: Footprint Handbooks. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9781900949446. अभिगमन तिथि 27 October 2015. 9781900949446.साँचा:Pages needed
  7. "Nepal's Kathmandu Valley landmarks flattened by quake". बी बी सी न्यूज. 26 April 2015. अभिगमन तिथि 27 April 2015.