राजर्षि उदय प्रताप सिंह

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राजर्षि उदय प्रताप सिंह (३ सितम्बर १८५० - १९१३)[1] भिनगा के राजा थे। वे महान परोपकारी व्यक्ति थे। वाराणसी स्थित उदय प्रताप कॉलेज उनके द्वारा स्थापित हुआ था।

उदय प्रताप कालेज की स्थापना के अलावा भिनगा राज अनाथालय, कमच्छा महेन्द्रवी छात्रावास (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय), दण्डीस्वामी मठ वाराणसी का निर्माण भी राजर्षि जी ने ही करवाया था। आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी ने अपनी पुस्तक में लिखा है कि बनारस मे एक ऐसा भिनगाराज अनाथालय है जो विना जाति-धर्म पूछे सबको शरण देता है और सबकी सेवा करता है। काश हर राजघराना योग्य व्यक्ति ऐसा कार्य कर पाता?

राजर्षि ने रामकृष्ण मिशन की स्थापना में भी मदद की। बताया जाता है कि स्वामी विवेकानन्द से उनकी बनारस में ही मुलाकात हुई थी।

परिवार एवं शिक्षा[संपादित करें]

उदय प्रताप सिंह की शिक्षा लखनऊ के कोर्ट ऑफ वार्ड्स इन्स्टिट्यूट में हुई। अपने पिता राजा कृष्णदत सिंह की मृत्यु के बाद सन १८६२ में उदय प्रताप सिंह भिनगा के राजा बने।

कार्य[संपादित करें]

१९०९ में उन्होने बनारस में "हेवेट क्षत्रिय हाई स्कूल" की स्थापना की जो सम्प्रति उदय प्रताप कॉलेज के नाम से प्रसिद्ध है। वाराणसी में उन्होने उदय प्रताप पब्लिक स्कूल भी बनवाया। वाराणसी के कमच्छा में उन्होने भिनगा राज्य अनाथालय भी बनवाया। इसके अलावा उन्होने एक लाख तेइस हजार रूपए दान देकर एक स्थायी फण्ड का निर्माण किया जिससे इसके खर्चों की पूर्ति होती रहे। अनेकों सामाजिक संस्थाओं को उन्होने लाखों रूपए का दान दिया जिनमें किंग जॉर्ज मेडिकल कॉलेज, लखनऊ, मूलगन्ध कुटी बिहार सारनाथ, कल्विन तालुकेदार कॉलेज लखनऊ, हिन्दी प्रचारिणी सभा, आदि प्रमुख हैं। उन्होने कई स्थायी फण्डों का भी निर्माण किया जिनके ब्याज से छात्रों को छात्रवृत्ति दी जाती थी।

वे अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा के संस्थापकों में से एक थे। इसकी स्थापना के लिए उन्होने ३५००० रूपए प्रदान किया। वे शिक्षा आयोग (Education Commission) के सलाहकार भी थे। १८६६ में वे संघ लोक सेवा आयोग के सदस्य बनाए गए थे। शिक्षा में उनके उल्लेखनीय योगदान के चलते उन्हें कलकता विश्वविद्यालय और इलाहाबाद विश्वविद्यालय का फेलो बनाया गया था।

लेखन[संपादित करें]

वे लेखक भी थे।

  • A history of the Bhinga Raj Family (1883)
  • Democracy not suited to India (1888)
  • The decay of the landed Aristocracy in India (1892)
  • Memorandum on the education of the sons of Landlords (1882)
  • Minute on the Law of Sedition in India (1892)
  • The Russul Question (1893)
  • Views and Observations (1907)[2]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Udai Pratap Autonomous College". मूल से 26 अप्रैल 2021 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 अप्रैल 2021.
  2. "Bhinga". मूल से 14 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 26 अप्रैल 2021.

इन्हें भी देखें[संपादित करें]