प्रवेशद्वार:समाज और संस्कृति

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समाज और संस्कृति
प्रवेशद्वार

समाज एक से अधिक लोगों के समुदायों से मिलकर बने एक वृहद समूह को कहते हैं जिसमें सभी व्यक्ति मानवीय क्रियाकलाप करते हैं। मानवीय क्रियाकलाप में आचरण, सामाजिक सुरक्षा और निर्वाह आदि की क्रियाएं सम्मिलित होती हैं। समाज लोगों का ऐसा समूह होता है जो अपने अंदर के लोगों के मुकाबले अन्य समूहों से काफी कम मेलजोल रखता है। किसी समाज के आने वाले व्यक्ति एक दूसरे के प्रति परस्पर स्नेह तथा सहृदयता का भाव रखते हैं। दुनिया के सभी समाज अपनी एक अलग पहचान बनाते हुए अलग-अलग रस्मों-रिवाज़ों का पालन करते हैं। अधिक पढ़ें…

संस्कृति किसी समाज में गहराई तक व्याप्त गुणों के समग्र स्वरूप का नाम है, जो उस समाज के सोचने, विचारने, कार्य करने के स्वरूप में अन्तर्निहित होता है। मनुष्य स्वभावतः प्रगतिशील प्राणी है। यह बुद्धि के प्रयोग से अपने चारों ओर की प्राकृतिक परिस्थिति को निरन्तर सुधारता और उन्नत करता रहता है। ऐसी प्रत्येक जीवन-पद्धति, रीति-रिवाज रहन-सहन आचार-विचार नवीन अनुसन्धान और आविष्कार, जिससे मनुष्य पशुओं और जंगलियों के दर्जे से ऊँचा उठता है तथा सभ्य बनता है। सभ्यता संस्कृति का अंग है। सभ्यता से मनुष्य के भौतिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है जबकि संस्कृति से मानसिक क्षेत्र की प्रगति सूचित होती है। मनुष्य केवल भौतिक परिस्थितियों में सुधार करके ही सन्तुष्ट नहीं हो जाता। वह भोजन से ही नहीं जीता, शरीर के साथ मन और आत्मा भी है। भौतिक उन्नति से शरीर की भूख मिट सकती है, किन्तु इसके बावजूद मन और आत्मा तो अतृप्त ही बने रहते हैं। इन्हें सन्तुष्ट करने के लिए मनुष्य अपना जो विकास और उन्नति करता है, उसे संस्कृति कहते हैं। मनुष्य की जिज्ञासा का परिणाम धर्म और दर्शन होते हैं। सौन्दर्य की खोज करते हुए वह संगीत, साहित्य, मूर्ति, चित्र और वास्तु आदि अनेक कलाओं को उन्नत करता है। सुखपूर्वक निवास के लिए सामाजिक और राजनीतिक संघटनों का निर्माण करता है। इस प्रकार मानसिक क्षेत्र में उन्नति की सूचक उसकी प्रत्येक सम्यक् कृति संस्कृति का अंग बनती है। इनमें प्रधान रूप से धर्म, दर्शन, सभी ज्ञान-विज्ञानों और कलाओं, सामाजिक तथा राजनीतिक संस्थाओं और प्रथाओं का समावेश होता है। अधिक पढ़ें…

चयनित लेख

गोंड समुदाय, भारत की एक प्रमुख जातीय समुदाय हैं| भारत के कटि प्रदेश - विंध्यपर्वत,सिवान, सतपुड़ा पठार, छत्तीसगढ़ मैदान में दक्षिण तथा दक्षिण-पश्चिम - में गोदावरी नदी तक फैले हुए पहाड़ों और जंगलों में रहनेवाली आस्ट्रोलायड नस्ल तथा द्रविड़ परिवार की एक जनजाति, जो संभवत: पाँचवीं-छठी शताब्दी में दक्षिण से गोदावरी के तट को पकड़कर मध्य भारत के पहाड़ों में फैल गई। आज भी मोदियाल गोंड जैसे समूह हैं जो गोंडों की जातीय भाषा गोंडी है जो द्रविड़ परिवार की है और तेलुगु, कन्नड़, तमिल आदि से संबन्धित है। परिचय

बड़ादेव (सृजन करने वाली शक्ति), दुल्हा देव (शादी विवाह सूत्र में बाँधने वाला देव), पंडा पंडिन (रोग दोष का निवारण करने वाला देव), बूड़ादेव (बूढाल पेन) कुलदेवता या पुरखा, जिसमे उनके माता पिता को भी सम्मिलित किया जाता है, नारायण देव (सूर्य) और भीवासू गोंडों के मुख्य देवता हैं। इनके अतिरिक्त ग्रामों में ग्राम देवता के रूप में खेरमाई (ग्राम की माता), ठाकुर देव, खीला मुठ्वा, नारसेन (ग्राम की सीमा पर पहरा देने वाला देव), ग्राम के लोगों की सुरक्षा, फसलों की सुरक्षा, पशुओं की सुरक्षा, बीमारियों और वर्षा आदि के भिन्न भिन्न देवी देवता हैं। इन देवताओं को बकरे और मुर्गे आदि की बलि देकर प्रसन्न किया जाता है। गोंडों का भूत प्रेत और जादू टोने में अत्यधिक विश्वास है और इनके जीवन में जादू टोने की भरमार है। किंतु बाहरी जगत्‌ के सम्पर्क के प्रभावस्वरूप इधर इसमें कुछ कमी हुई है। अनेक गोंड लंबे समय से हिन्दू धर्म तथा संस्कृति के प्रभाव में हैं और कितनी ही जातियों तथा कबीलों ने बहुत से हिन्दू विश्वासों, देवी देवताओं, रीति रिवाजों तथा वेशभूषा को अपना लिया है। पुरानी प्रथा के अनुसार मृतकों को दफनाया जाता है, किंतु बड़े और धनी लोगों के शव को जलाया जाने लगा है। स्त्रियाँ तथा बच्चे दफनाए जाते हैं। अधिक पढ़ें…


चयनित जीवनी
जे. के. रोलिंग
जे. के. रोलिंग

जे. के. रोलिंग (Joanne Rowling जोआन रोलिंग, उर्फ़ Joanne Kathleen Rowling जोन कैथलीन रोलिंग) एक स्कॉटिश उपन्यासकार हैं, जिन्हें अपने मशहूर उपन्यास-क्रम हैरी पॉटर के लिए जाना जाता है, जिसे इक्कीसवी सदी की सबसे मशहूर और लोकप्रिय उपन्यासों में गिना जाता है।

जे. के. रोलिंग को चौदह साल की उम्र तक किताब पढ़ना बहुत पसंद नहीं था जो स्कूल के लिए अनिवार्य था, उन्होंने वह पढ़ा, लेकिन इससे ज़्यादा कुछ नहीं। लेकिन जब उनकी सहेली ने "जादूगरों और चुड़ैलों" की किताब उन्हें दी तो यह बुरी हालत एकदम बदल गयी। उन्होंने किताब पढ़ना शुरू कर दिया। वह किताब "हैरी पौटर" का पहला खंड था। इसके बाद लगभग हर एक साल एक-एक "हैरी पौटर" की किताब प्रकाशित हुई। उस समय उन्होंने पूरा दिन अपने कमरे में बिताया और बहुत उत्सुकता से उन्होने पढ़ा। शुरू में कुछ लिखकर-पढ़कर उन्हें बड़ी सफलता नहीं मिली, फिर बाद में यह हालत अचानक बदली और वे बड़ी लेखिका बन गयी। जे. के. रोलिंग का असली नाम जोआन मुर्रय है, जिसका इस्तेमाल वे निजी जीवन में करती हैं। उनका जन्म 31 जुलाई 1965 को इंग्लैण्ड के येट, ग्लोसेस्टरशायर नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता पीटर जेम्स रोलिंग रॉल्स-रॉयस नामक एक मशहूर कंपनी में विमान इंजीनियर थे। उनकी माँ एन रोलिंग फ्रेंच तथा स्कॉटिस माता-पिता की संतान थी। कुछ समय बाद ही यह परिवार येट के पास के ही गाँव विंटरबार्न में जाकर बस गया। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सेंट माइकल प्रराइमरी स्कूल में हुई। 1982 में रोलिंग ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय की प्रवेश-परिक्षा में भाग लिया, लेकिन उन्हें ऑक्सफोर्ड में प्रवेश नहीं मिल पाया और मजबूरन फ्रेंच तथा प्राचीन साहित्य की पढ़ाई के लिए उन्हें एक्सेटर विश्वविद्यालय में कला स्नातक में प्रवेश लेना पड़ा


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पर्स जैसी गाड़ी
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बोरोबुदुर मंदिर
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