सुदर्शन फ़ाकिर

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सुदर्शन फ़ाकिर
जन्म 1934 (1934)
जालंधर, पंजाब, ब्रिटिश भारत
मौत फ़रवरी 19, 2008 (74 साल)
जालंधर, पंजाब, भारत
पेशा शायर, गीतकार
उल्लेखनीय कार्य {{{notable_works}}}

सुदर्शन फ़ाकिर (1934 – 19 फ़रवरी 2008), जिनका वास्तविक नाम सुदर्शन कामरा था, एक भारतीय शायर और गीतकार थे। उनकी कई ग़ज़लें, ठुमरियाँ और नज़्में बेग़म अख़्तर और जगजीत सिंह द्वारा स्वरबद्ध की गयीं।

आरंभिक जीवन[संपादित करें]

सुदर्शन फ़ाकिर का जन्म 1934 में जालंधर में हुआ।[1] हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी कर वे जालंधर चले गए और डी॰ए॰वी॰ कॉलेज से बी॰ए॰ की पढ़ाई पूरी की। कॉलेज के दौरान वे नाटकों और शायरी में बहुत सक्रिय रहे। 'ग़ालिब छुटी शराब' और ट्रिब्यून को दिए एक साक्षात्कार के अनुसार, फ़िरोज़पुर में एक असफल प्रेम संबंध की वजह से उन्होंने अपना जन्मस्थान हमेशा के लिए छोड़ दिया और जालंधर में ठिकाना बना लिया जहाँ वे शुरुआत में एक गंदले कमरे में एकाकी जीवन जिए। यह कमरा उनके कवि-शायर दोस्तों के मिलने की जगह भी था। ऐसा कहा जाता है कि इस दौरान, वे मजनू के भेष में रहे, फ़कीर की तरह फिरते रहे (शायद यहीं उनके फ़ाकिर तख़ल्लुस की वजह रही) और शराब की लत में पड़ गए। इस दौरान की लिखी उनकी ग़ज़लें और नज़्में अधिकर उनके असफल प्रेम संबंध की व्यथा को ही प्रतिबिंबित करती हैं।[2]

शेअर[संपादित करें]


पत्‍थर के ख़ुदा पत्‍थर के सनम पत्‍थर के ही इंसां पाए हैं।
तुम शहरे मुहब्‍बत कहते हो, हम जान बचाकर आए हैं।।


हम तो समझे थे कि बरसात में बरसेगी शराब।
आई बरसात तो बरसात ने दिल तोड़ दिया।


यूं दिल के तड़पने का कुछ तो
है शबब आखिर, 
या दर्द ने करवट ली
या तुमने इधर देखा

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Sudarshan Kamra / Faakir". rekhta.org. Rekhta. मूल से 24 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 July 2020.
  2. Kalia, Ravindra. "Ghalib Chhuti Sharaab". Vani Prakashan. मूल से 22 जनवरी 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 17 July 2020.