जॉर्ज कांटॉर

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गेऔर्ग काण्टॉर
जन्म गेऔर्ग फ़ेर्डिनाण्ड लूत्विश फ़ीलिप काण्टॉर
3 मार्च 1845
सेंट पीटर्सबर्ग, रूसी साम्राज्य
मृत्यु जनवरी 6, 1918(1918-01-06) (उम्र 72)
हाल, सैक्सनी प्रान्त, जर्मन साम्राज्य
आवास
राष्ट्रीयता जर्मन
क्षेत्र गणित
संस्थान हाल विश्वविद्यालय
शिक्षा
डॉक्टरी सलाहकार
प्रसिद्धि समुच्चय सिद्धान्त
उल्लेखनीय सम्मान सिल्वेस्टर पदक (1904)

[Rajnish Kumar 1]गेऔर्ग काण्टॉर (जर्मन: Georg Cantor, १८४५ ई. - १९१८ ई.) जर्मन गणितज्ञ थे। उन्होने समुच्चय सिद्धान्त की खोज की जो आजकल गणित का आधारभूत सिद्धान्त बन गया है।

जीवनी- जॉर्ज कैंटर[संपादित करें]

जॉर्ज कान्टॉर का जन्म ३ मार्च, १८४५ ई. को पीट्रोग्राड में एक यहूदी परिवार में हुआ था। १८६३ ई. से १८६९ ई. तक इन्होंने बर्लिन में गणित, दर्शन शास्त्र और भौतिकी का अध्ययन किया। १८६७ ई. में इनकी अनिर्णीत समीकरण (ax2 + by2 +cz2 = ०) के हल से संबंधित, गाउस द्वारा अवशिष्ट एक कठिन समस्या के हल पर पी.एच.डी. उपाधि प्रदान की गई। हाले (Halle) में ये १८६९ ई में प्राध्यापक (लेक्चरर), १८७२ ई. में गणित के असाधारण और १८७९ ई. में साधारण प्रोफेसर नियुक्त हुए। १८७४ ई. में इनका प्रथम क्रांतिकारी शोधपत्र प्रकाशित हुआ, जिसमें इन्होंने 'संख्याओं के कांटॉर सिद्धान्त' की व्याख्या की थी। इस सिद्धान्त के अनुसार कोई अपरिमेय संख्या उस एक अनन्त अनुक्रम (a1, a2, a3... an...) से प्राप्त की जा सकती है, जिसमें n और m के मान पर्याप्त हों, तो (an-amI <Å)। तदुपरान्त इन्होंने इसपर अनेक महत्वपूर्ण शोधपत्र लिखे।
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