ओश

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ओश
Osh / Ош
सूचना
प्रांतदेश: किरगिज़स्तान
जनसंख्या (२००९): २,३२,८००
मुख्य भाषा(एँ): किरगिज़, उज़बेक, रूसी, ताजिक
निर्देशांक: 40°31′48″N 72°48′0″E / 40.53000°N 72.80000°E / 40.53000; 72.80000
ओश और उसके पीछे के पर्वतों का नज़ारा
ओश बाज़ार में ख़ुश्क मेवे की दुकानें

ओश (किरगिज़:, अंग्रेज़ी: Osh) मध्य एशिया के किर्गिज़स्तान देश का दूसरा सबे बड़ा शहर है। यह किर्गिज़स्तान के दक्षिण में प्रसिद्ध फ़रग़ना वादी में स्थित है और इसे कभी-कभी 'किर्गिज़स्तान की दक्षिणी राजधानी' भी कहा जाता है। माना जाता है कि ओश शहर कम-से-कम ३,००० सालों से बसा हुआ है और यह शहर सन् १९३९ से किर्गिज़स्तान के ओश प्रांत की राजधानी भी है। फ़रग़ना वादी में बहुत से जाति-समुदाय रहते हैं और ठीक यही ओश में भी देखा जाता है - यहाँ किरगिज़ लोग, उज़बेक लोग, रूसी लोग, ताजिक लोग और अन्य समुदाय बसते हैं।

विवरण[संपादित करें]

ओश का व्यापार में रेशम मार्ग के दिनों से ही एक महत्वपूर्ण किरदार रहा है। वह मार्ग यहीं से अलाय पर्वतमाला को पार करके पूर्व में काश्गर जाता था। आधुनिक युग में, यहाँ मध्य एशिया का सबसे बड़ा सड़क का बाज़ार लगता है। यह एक मील लम्बा है और इसके इर्द-गिर्द ५० से १०० मीटर गहरी दुकाने हैं। यहाँ लगभग १०,००० दुकानदार रोज़ व्यापार करते हैं। इसमें कपड़े, खाने-पीने की चीज़ें, घर निर्माण करने के सामान, रसोई के बर्तन, इस्तेमाल की हुई सस्ते-दामों पर बिकने वाली वस्तुएँ, सभी कुछ मिलता है। इस बाज़ार का एक चौक अपने सोने के व्यापार के लिए मशहूर है - यहाँ केवल महिलाऐं ही सोना बेचती हैं। इस चौक में रोज़ ६० से ८० औरतें एकत्रित होकर बालियाँ, हार, कढ़े और अन्य गहने बेचती हैं।[1]

ओश में सुलयमान पहाड़ एक महत्वपूर्ण पर्यटक और ऐतिहासिक स्थल है। यह पहाड़ सदियों से धार्मिक मान्यता का केंद्र बना हुआ है। यहाँ भारत के प्रथम मुग़ल सम्राट बाबर ने सन् १५१० में एक छोटी सी मस्जिद बनवा दी थी। बाबर फ़रग़ना वादी का एक उज़बेक निवासी था और कहा जाता है कि एक दफ़ा उसने यहाँ बैठकर अपने भविष्य का चिंतन किया और फ़ैसला किया की उसकी आकांक्षाएँ फ़रग़ना के छोटे इलाक़े में पूरी नहीं हो सकतीं और उसे भारत की ओर कूच करना चाहिए।[2] इस पहाड़ के आलावा ओश में १९वीं सदी की एक प्रसिद्ध किरगिज़ रानी, कुरमंजन दातका (Курманжан Датка,Kurmanjan Datka) का स्मारक बना हुआ है जिन्होनें इस क्षेत्र में रूसी साम्राज्य का क़ब्ज़ा होने के बाद समझदारी से उस बड़ी शक्ति के साथ सम्बन्धों को संभाला ताकि किरगिज़ लोग बड़ी हानि का शिकार न हो जाएँ। ओश में लेनिन की एक बड़ी मूर्ती भी है, हालांकि सोवियत संघ के अन्य इलाक़ों में लगभग सभी जगह से इस सोवियत क्रन्तिकारी नेता के समरक हटा दिए गए हैं।

१९९० और २०१० के दंगे[संपादित करें]

सन् १९९० में ओश में उज़बेकियों और किरगिज़ियों के बीच दंगे हुए। ओश प्रांत में उज़बेक लोग कुल आबादी का एक-तिहाई हैं और किरगिज़ लोग बहुसंख्यक हैं, लेकिन ओश शहर में उज़बेक लोग बहुसंख्यक हैं। १९९० में सरकार ने ओश के बाहरी क्षेत्र में कुछ नए निर्मित घरों को किरगिज़ मूल के लोगों के नाम कर दिया, जिस से उज़बेकियों में ग़ुस्से की लहर उठी। हज़ारों उज़बेक और सैंकड़ों किरगिज़ लड़ने को एकत्रित हो गए और हिंसा जल्दी ही फैलकर अन्य प्रदेशों में फैल गई। अनुमान लगाया जाता है कि जब तक झगड़े ख़त्म हुए २३० लोग मारे जा चुके थे और बहुत से लापता थे।[3]

सन् २०१० में किर्गिज़स्तान की अर्थव्यवस्था काफ़ी ख़राब हुई और देश में उस समय के किरगिज़ राष्ट्रपति, कुरमनबेक बाकियेव, के खिलाफ़ किर्गिज़स्तान की राजधानी बिश्केक और अन्य शहरों में विद्रोही दंगे हुए। बाकियेव भागकर ओश आ गए क्योंकि दक्षिणी किर्गिज़स्तान में उनको अधिक समर्थन था। राजधानी में एक नई सरकार बन गई जिसने बाकियेव को पकड़कर उनपर विरोधियों पर किये गए हमलों में हुई मौतों के लिए मुकद्दमा चलने की ठानी। १३ मई २०१० को बाकियेव के सहयोगियों ने ओश हवाई अड्डे पर क़ब्ज़ा जमा लिया और इस नई सरकार के लोगों को वहाँ आने से रोका। १० जून २०१० में ओश में दंगे-फ़साद भड़क गए जिनमें ४०० से अधिक मरे और हज़ारों ज़ख़्मी हुए। मरने वाले ज़्यादातर उज़बेक थे जिस से उज़बेकियों और किरगिज़ियों के बीच दरार और गहरी हुई।[4]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. Enterprising Women in Transition Economies, Friederike Welter, David Smallbone, Nina B. Isakova, pp. 103, Ashgate Publishing, Ltd., 2006, ISBN 978-0-7546-4232-9, ... a mile long, 50 yards to 100 yards deep ... 10,000 traders every day ... gold trade carried out by women only ...
  2. Naypyidaw, George W Barclay Jr, iUniverse, 2010, ISBN 978-1-4502-2178-8, ... Babur, founder of the Mughal dynasty of Indian emperors and descendent of Timurlane, was born in Fergana Valley and set out from there on his conquest of northern India. He allegedly pondered his future on Sulayman Mountain, concluding that the confines of the Fergana would cramp his aspirations as a descendant of famous conquering warrior princes ...
  3. The Newly Independent States of Eurasia: Handbook of Former Soviet Republics, Stephen K. Batalden, Sandra L. Batalden, pp. 159, Greenwood Publishing Group, 1997, ISBN 978-0-89774-940-4, ... The spark that ignited the violence appears to have been associated with ... housing lots in the suburbs of Osh ...
  4. The Pogroms in Kyrgyzstan Archived 2012-06-03 at the वेबैक मशीन, International Crisis Group, Accessed 22 अप्रैल 2012