मृत्युंजय विद्यालंकार

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मृत्युञ्जय विद्यालङ्कार (1762-1819) संस्कृत के पण्डित, भाषाबिद, लेखक थे। उन्होने १९वीं शताब्दी के प्रथम चरण में बांग्ला गद्य लेखक के रूप में ख्याति अर्जित की। १८१६ में उन्हें कोलकाता के प्रसिद्ध संस्कृत कॉलेज की स्थापना समिति के वे प्रमुख सदस्य थे।

मृत्युंजय विद्यालंकार का जन्म तत्कालीन ओड़ीसा प्रदेशे के मेदिनीपुर जिले के बैतिया ग्राम में हुआ था। नाटोर-राजा के दरबार में लिखना-पढ़ना सीखकर वे कालान्तर में संस्कृत के विद्वान हो गए।

साहित्यकर्म[संपादित करें]

  • बत्रिश सिंहासन ( १८०२)
  • हितोपदेश (परिलेखन प्रकल्प) (१८२१)
  • राजाबलि ( १८०८)
  • वेदान्तचन्द्रिका, ( १८१७)
  • प्रबोधचन्द्रिका ( १८३३)