सदस्य:Narendra Gujjar/प्रयोगपृष्ठ

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आज हम बात करनेे जाा रहे हैं एक ऐसेेे गांव की जो अंग्रेजी हुकूमत के समय से ही सुर्खियों में रहा है। हम बात कर रहे हैं छोटे से गांव तमखान की, हम आगे बढ़े इससे पहले आपको यह बता देते हैं कि यह तमख़ान है कहां? यह मध्य प्रदेश के देवास जिले से लगभग 135 किलोमीटर दूर खातेगांव तहसील में आता है यह गांव। यह अपनी तहसील खातेगांव से लगभग 35 किलोमीटर की दूरी पर बसा है. यह गांव मिर्जापुर पंचायत के अंतर्गत आता है छोटे गांव होने के कारण 5 गांव से मिलकर मिर्जापुर पंचायत बनी है यहां के लोग इसे नर्मदा नगर भी कहते हैं क्योंकि यह गांव नर्मदा जी के किनारे बसा है और भगवान सिद्धेश्वर मंदिर और नर्मदा नाभि तीर्थ स्थल नेमावर से महज 16 किलोमीटर की दूरी पर है यहां पर किसान की संख्या ज्यादा है यह गांव काफी उन्नत है हम बात करते हैं 70 और 80 के दशक की जी हां 1970 में इस गांव का नाम तामा गढ़ हुआ करता था क्योंकि यहां तांबा प्रचुर मात्रा में पाया जाता है यहां की मिट्टी में तांबे की मात्रा हे. यहां पर काफी दिनों तक तांबा खदान चली और तांबा खोदने की मशीन द्वारा तांबा निकाल कर ले ले जाया गया इसी के चलते यहां आज भी कहीं सरकारी अफसरों का आना जाना लगा रहता तमखान में भगवान तांबेश्वर का प्रसिद्ध मंदिर है है[1] https://villageinfo.in/madhya-pradesh/dewas/khategaon/tamkhan.html