विष्णुपुर, बाँकुड़ा

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विष्णुपुर
Bishnupur
বিষ্ণুপুর
मन्दिरों का नगर
विष्णुपुर के दृश्य
विष्णुपुर is located in पश्चिम बंगाल
विष्णुपुर
विष्णुपुर
पश्चिम बंगाल में स्थिति
निर्देशांक: 23°05′N 87°19′E / 23.08°N 87.32°E / 23.08; 87.32निर्देशांक: 23°05′N 87°19′E / 23.08°N 87.32°E / 23.08; 87.32
देश भारत
प्रान्तपश्चिम बंगाल
ज़िलाबाँकुड़ा ज़िला
जनसंख्या (2011)
 • कुल67,783
भाषाएँ
 • प्रचलितबांग्ला
समय मण्डलभामस (यूटीसी+5:30)

विष्णुपुर (Bishnupur) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के बाँकुड़ा ज़िले में स्थित एक नगर है।[1][2]

प्रस्तावित ज़िला[संपादित करें]

पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री ने 1 अगस्त 2022 को घोषणा करी कि विष्णुपुर क्षेत्र को बाँकुड़ा ज़िले से अलग कर एक नया ज़िला बनाया जाएगा।[3][4]

आवागमन[संपादित करें]

राष्ट्रीय राजमार्ग 14 यहाँ से गुज़रता है और इसे सड़क द्वारा देशभर से जोड़ता है।

विवरण[संपादित करें]

विष्णुपुर एक प्रसिद्ध शहर है। कभी मल्ल राजाओं की राजधानी रहा बांकुड़ा (पश्चिम बंगाल) का विष्णुपुर शहर टेराकोटा के मंदिरों, बालूचरी साड़ियोंपीतल की सजावटी वस्तुओं के अलावा हर साल दिसंबर के आखिरी सप्ताह में लगने वाले मेले के लिए भी मशहूर है। यह मेला कला व संस्कृति का अनोखा संगम है। यहां दूर-दूर से अपना हुनर दिखाने कलाकार आते हैं तो उनकी कला के पारखी पर्यटक भी आते हैं। साल के आखिरी सप्ताह के दौरान पूरा शहर उत्सव के रंगों में रंग जाता है। मल्ल राजाओं के नाम पर इसे 'मल्लभूमि' भी कहा जाता था। यहां लगभग एक हजार वर्षों तक इन राजाओं का शासन रहा। उस दौरान विष्णुपुर में टेराकोटा व हस्तकला को तो बढ़ावा मिला ही, भारतीय शास्त्रीय संगीत का विष्णुपुर घराना भी काफी फला-फूला। वैष्णव धर्म के अनुयायी इन मल्ल राजाओं ने 17वीं व 18वीं सदी में जो मशहूर टेराकोटा मंदिर बनवाए थे, वे आज भी शान से सिर उठाए खड़े हैं। यहां के मंदिर बंगाल की वास्तुकला की जीती-जागती मिसाल हैं।

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता से कोई दो सौ किमी दूर बसा यह शहर राज्य के प्रमुख पर्यटनस्थलों में शामिल है। खासकर मेले के दौरान तो यहां काफी भीड़ जुटती है। मल्ल राजा वीर हंबीर और उनके उत्तराधिकारियों- राजा रघुनाथ सिंघा व वीर सिंघा ने विष्णुपुर को तत्कालीन बंगाल का प्रमुख सांस्कृतिक केंद्र बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। शहर के ज्यादातर मंदिर भी उसी दौरान बनवाए गए।

यहां स्थित रासमंच पिरामिड की शक्ल में ईंटों से बना सबसे पुराना मंदिर है। 16वीं सदी में राजा वीर हंबीरा ने इसका निर्माण कराया था। उस समय रास उत्सव के दौरान पूरे शहर की मूर्तियां इसी मंदिर में लाकर रख दी जाती थीं और दूर-दूर से लोग इनको देखने के लिए उमड़ पड़ते थे। इस मंदिर में टेराकोटा की सजावट की गई है जो आज भी पर्यटकों को लुभाती है। इसकी दीवारों पर रामायण, महाभारत व पुराणों के श्लोक खुदाई के जरिए लिखे गए हैं। इसी तरह 17वीं सदी में राजा रघुनाथ सिंघा के बनवाए जोरबंगला मंदिर में भी टेराकोटा की खुदाई की गई है। शहर में इस तरह के इतने मंदिर हैं कि इसे मंदिरों का शहर भी कहा जा सकता है।

टेराकोटा विष्णुपुर की पहचान है। यहां इससे बने बर्तनों के अलावा सजावट की चीजें भी मिलती हैं। मेले में तो एक सिरे से यही दुकानें नजर आती हैं। इसके अलावा पीतल के बने सामान भी यहां खूब बनते व बिकते हैं। इन चीजों के अलावा यहां बनी बालूचरी साड़ियां देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर हैं। इन साड़ियों पर महाभारत व रामायण के दृश्यों के अलावा कई अन्य दृश्य कढ़ाई के जरिए उकेरे जाते हैं। बालूचरी साड़ियां किसी परिचय की मोहताज नहीं हैं। देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इन साड़ियों ने अपनी अलग पहचान कायम की है।

चित्रावली[संपादित करें]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Lonely Planet West Bengal: Chapter from India Travel Guide," Lonely Planet Publications, 2012, ISBN 9781743212202
  2. "Kolkata and West Bengal Rough Guides Snapshot India," Rough Guides, Penguin, 2012, ISBN 9781409362074
  3. "West Bengal to get 7 new districts, cabinet reshuffle on Wednesday: Mamata Banerjee". timesofindia.indiatimes.com. Times of India. 1 August 2022. अभिगमन तिथि 1 August 2022.
  4. "West Bengal to get 7 new districts, announces CM Mamata Banerjee". www.livemint.com. Live Mint. 1 August 2022. अभिगमन तिथि 1 August 2022.