बहुकंपित्र

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R1,R2 = 1 kΩ, R3,R4 = 10 kΩ

बहुकम्पित्र (multivibrator) ऐसा एलेक्ट्रानिक परिपथ है जिसका उपयोग दो-स्थिति वाले (two-state) विविध आंकिक निकायों (जैसे कम्पित्र, टाइमर, फ्लिप-फ्लॉप आदि) के निर्माण में किया जाता है। इसमें दो प्रवर्धक युक्तियाँ (जैसे ट्रान्जिस्टर या एलेक्ट्रान ट्यूब आदि) प्रतिरोध और संधारित्र द्वारा क्रास-कपुल्ड होते हैं।

बहुकंपित्र तीन तरह के होते हैं -

  • स्वचलित बहुकंपित्र (free-running या astable multivibrator)।
  • एकस्थितिक बहुकंपित्र (monostable multivibrator),
  • द्विस्थितिक बहुकंपित्र (bistable multivibrator) तथा

स्वचलित बहुकंपित्र का आउटपुट किसी एक स्थिति में स्थिर नहीं रहता बल्कि लगातार उच्च (हाई) से निम्न (लो) और निम्न से उच्च में बदलता रहता है। बदलने की यह आवृत्ति परिपथ में लगे अवयवों (प्रायः प्रतिरोध व संधारित्र) के मान से निर्धारित होती है।

एकस्थितिक बहुकंपित्र का आउटपुट अधिकांश समय किसी एक स्थिति (निम्न या उच्च) में पड़ा रहता है (जिसे स्थायी अवस्था कहते हैं) किन्तु इसके इनपुट में एक ट्रिगर देने पर इसका आउटपुट क्षणिक रूप के दूसरी अवस्था (उच्च या निम्न) में जाकर पुनः स्थायी अवस्था में चला जाता है। आउटपुट क्षणिक अवस्था में कितने समय रहेगा, यह परिपथ के अवयवों के मान से निर्धारित होता है। इस परिपथ को 'मोनो शॉट' या 'वन शॉट' भी कहते हैं।

द्विस्थितिक बहुकंपित्र वे हैं जिनका आउटपुट निम्न तथा उच्च दोनों ही स्थितियों में स्थायी रूप से बना रह सकता है। इसके आउटपुट को एक स्थायी अवस्था से दूसरी स्थायी अवस्था में बाहर से एक ट्रिगर पल्स देकर बदला (फ्लिप किया) जा सकता है। इसीलिए इसे 'फ्लिप-फ्लॉप' भी कहते हैं। अतः फ्लिप-फ्लॉप एक स्मृति (मेमोरी) की तरह समझा जा सकता है जो एक बिट की सूचना स्मरण रखता है।

उपयोग[संपादित करें]

बहुकम्पित्रों के अनेकों उपयोग हैं। इनका उपयोग वहाँ होता है जहाँ समयान्तर (timed intervals) का काम पड़ता है या वर्ग-पल्स की आवश्यकता हो। उदाहरण के लिए, जब सस्ते आईसी आने के पहले के काल में आवृत्ति-विभाजक (frequency divider) के काम के लिए बहुकम्पित्रों की श्रेणी का प्रयोग करना पड़ता था। मोनो शॉट का काम वहाँ पड़ता है जहाँ किसी पल्स के हाई होने के एक निश्चित अन्तराल के बाद कोई दूसरा काम करना हो। उदाहरण के लिए हमारे पास एक डिजिटल संकेत आता है जिसके हाई होते ही एक रिले चालू करना है और उसके १०० मिलीसेकेण्ड बाद दूसरा रिले चालू करना है तो वहाँ एक मोनोशॉट की आवश्यकता होगी।

बहुकम्पित्र आई सी[संपादित करें]

555 नामक ८-पिन वाली प्रसिद्ध आईसी से आसानी से स्वचलित बहुकंपित्र तथा मोनो शॉट बनाया जा सकता है। इसके अलावा स्वचलित बहुकंपित्र, मोनो शॉट तथा फ्लिप-फ्लॉप के लिए अन्य बहुत सी आईसी उपलब्ध हैं।

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]