अर्जेंटीना का आर्थिक इतिहास

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अर्जेण्टीना का आर्थिक इतिहास, " अर्जेण्टीनी विरोधाभास " के कारण विश्व में अनूठा माना जाता है। दुनिया में काम ही ऐसे देश हैं, जिनके आर्थिक इतिहास पर इतना अध्ययन किया गया हो। एक देश के रूप में इसकी स्थिति अनूठी है- एक ऐसा देश जिसने 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में उन्नत विकास हासिल किया था, लेकिन बाद में उलट अनुभव किया। इस पतन पर साहित्य और विश्लेषण का एक अथाह सागर मौजूद है। [1] 1816 में स्पेन से आजादी के बाद से, यह देश अपना ऋण चुकाने में आठ बार अक्षम रहा है[2] और मुद्रास्फीति अक्सर दोहरे अंकों में रही है, यहां तक कि 5000% तक भी देखने को मिली है, जिस वजह से कई बड़े मुद्रा अवमूल्यन करने पड़े ।

अर्जेंटीना के पास कृषि में कई तुलनात्मक लाभ हैं, क्योंकि इस देश में ऐसी बहुत सारी ज़मीन है, जो अत्यधिक उपजाऊ है। [3] 1880 के दशक से पहले यह इलाक़ा पश्चिमी यूरोप के मुक़ाबले काफ़ी पिछड़ा हुआ था। लेकिन 1860 और 1930 के बीच, देश के उपजाऊ पंपास क्षेत्र में कृषि का काफ़ी विस्तार हुआ, जिससे देश की अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ी। [4] 20 वीं शताब्दी के पहले तीन दशकों के दौरान, अर्जेंटीना ने जनसंख्या, कुल आय और प्रति व्यक्ति आय के मामलों में कनाडा और ऑस्ट्रेलिया को पीछे छोड़ दिया। [4] प्रति व्यक्ति आय के हिसाब से 1913 में, अर्जेंटीना दुनिया का 10 वां सबसे धनी राष्ट्र था। [5]

दुर्भाग्यवश 1930 के दशक की शुरुआत में अर्जेंटीना की अर्थव्यवस्था की हालत बहुत बिगड़ गई। [4] इस गिरावट का सबसे महत्वपूर्ण कारक 1930 के बाद से देश में चल रही राजनीतिक अस्थिरता है, जब सेना ने तख़्तापलट कर सात दशक पुरानी नागरिक संवैधानिक सरकार को उखाड़ फेंका। [6] मैक्रोइकॉनॉमिक्स के संदर्भ में कहें तो, ग्रेट डिप्रेशन तक अर्जेंटीना विश्व के सबसे स्थिर और रूढ़िवादी देशों में से एक था, लेकिन बाद में यह सबसे अस्थिर देशों में से एक बन गया। [7] इसके बावजूद, 1962 तक अर्जेंटीना की प्रति व्यक्ति आय ऑस्ट्रिया, इटली, जापान और उसके पूर्व औपनिवेशिक स्वामी स्पेन से अधिक थी। [8] 1930 के दशक से 1970 के दशक तक की सफल सरकारों ने औद्योगिक आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए आयात प्रतिस्थापन की रणनीति अपनाई, लेकिन औद्योगिक विकास के लिए सरकार के प्रोत्साहन ने कृषि उत्पादन से निवेश को विस्थापित दिया, जो पहले से काफ़ी कम हो गया। [9]

आयात प्रतिस्थापन का युग 1976 में समाप्त हो गया, लेकिन उसी समय सरकार के बढ़ते खर्च, वेतन में बड़ी वृद्धि और अकुशल उत्पादन की वजह से 1980 के दशक में मुद्रास्फीति स्थायी रूप से बढ़ गयी। [9] आख़िरी तानाशाही के दौरान अपनाए गए उपायों की वजह से 1980 के दशक के अंत तक विदेशी ऋण भी काफ़ी बढ़ गया, जो जीएनपी के तीन-चौथाई के बराबर हो गया। [9]

1990 के दशक की शुरुआत में सरकार ने पेसो के मूल्य को अमेरिकी डॉलर के मूल्य के बराबर करके महँगाई को घाटा दिया, और कई राज्य संचालित कंपनियों का निजीकरण कर दिया। इससे मिली आय का प्रयोग उन्होंने राष्ट्रीय ऋण को चुकाने के लिए किया। [9] हालांकि, 21 वीं सदी की शुरुआत में एक निरंतर मंदी के चलते एक डिफ़ॉल्ट हुआ, और सरकार ने फिर से पेसो का अवमूल्यन किया। [9] 2005 तक अर्थव्यवस्था की हालत सुधार गई थी, [9] लेकिन पिछले संकट से उत्पन्न हुए एक न्यायिक निर्णय के कारण 2014 में अर्जेंटीना ने एक बार फिर डिफ़ॉल्ट किया। [10]

लगातार गिरावट के कारण[संपादित करें]

प्रति व्यक्ति अर्जेटीना का सकल घरेलू उत्पाद (1990 में अंतर्राष्ट्रीय गीरी-खामिस डॉलर ) अमेरिकी प्रति व्यक्ति आय के प्रतिशत के रूप में (1900-2008)।

अर्जेंटीना की स्थिति अनूठी है- यह एक ऐसा देश है, जिसने 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में उन्नत विकास हासिल किया था, लेकिन उसके बाद एक उलट अनुभव हुआ। इस लगातार गिरावट के कारण ज्ञात करने के लिए काफ़ी अनुसंधान किया गया है। [1] अर्जेंटीना की अर्थव्यवस्था की मुख्य समस्या मुद्रास्फीति पर नियंत्रण पाने में असमर्थता है, जो कि अक्सर दो अंकों वाले आँकड़ों में पाई जाती है।

"विश्व में चार प्रकार की अर्थवावस्थाएँ हैं- विकसित, अविकासित, जापान और अर्जेंटीना।"[11]

-साइमन क़ुज़नेत्स (नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री) [11]

अर्जेंटीना के ऐतिहासिक पिछड़ेपन का मुख्य कारण इसकी संस्थागत रूपरेखा है।[12] मैक्रोइकॉनॉमिक्स के संदर्भ में कहें तो, ग्रेट डिप्रेशन तक अर्जेंटीना विश्व के सबसे स्थिर और रूढ़िवादी देशों में से एक था, लेकिन बाद में यह सबसे अस्थिर देशों में से एक बन गया। [7]


टिप्पणियाँ[संपादित करें]

  1. (वीर गडरिया) पाल बघेल धनगर
  2. Benedict Mander; Robin Wigglesworth (June 20, 2017). "How did Argentina pull off a 100-year bond sale?". Financial Times. मूल से 2 नवंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि November 4, 2018. Argentina has defaulted on its sovereign debt eight times since independence in 1816, spectacularly so in 2001 on $100bn of bonds — at the time the world’s largest default — and most recently in 2014 after clashing with Elliott Management, an aggressive hedge fund.
  3. Galiani & Gerchunoff 2002, पृ॰ 4.
  4. Empty citation (मदद)
  5. "Argentina's Economic Crisis: An "Absence of Capitalism"". Heritage.org. 2001-04-19. मूल से 2011-12-08 को पुरालेखित.
  6. "Becoming a serious country". The Economist. 2004-06-03. मूल से 20 मार्च 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 7 जून 2019.
  7. Della Paolera & Taylor 2003, पृ॰ 87.
  8. GDP per capita graph 1960-2015 Archived 2019-04-28 at the वेबैक मशीन by Google Public Data Explorer, sources from World Bank
  9. "Argentina". Encyclopædia Britannica. मूल से 2011-12-14 को पुरालेखित.
  10. Alexandra Stevenson; Irene Caselli (2014-07-31). "Argentina Is in Default, and Also Maybe in Denial". NYTimes.com. मूल से 2 नवंबर 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 August 2014.
  11. Saiegh, Sebastian M. (June 1996). "The Rise of Argentina's Economic Prosperity: An Institutional Analysis" (PDF). Stanford University. मूल (PDF) से 23 फ़रवरी 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2014-02-18.
  12. Prados de la Escosura & Sanz-Villarroya 2004, पृ॰ 5.

In Spanish[संपादित करें]

  • Abad de Santillán, Diego (1965), Historia Argentina [History of Argentina] (Spanish में), Argentina: TEA (Tipográfica Editora Argentina)सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)
  • Galasso, Norberto (2011), Historia de la Argentina, Tomo I&II, Buenos Aires: Colihue, आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-950-563-478-1
  • Pablo Gerchunoff (1989), Peronist Economic Policies, 1946-1955, di Tella y Dornbusch

आगे की पढाई[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]