बूंदी चित्रकला

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राजस्थान के 33 जिलों में से बूंदी भी एक जिला हे। राजस्थान के इतिहास में बूंदी क्षेत्र का भी अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा हे। बूंदी और उसके आस पास का क्षेत्र हाड़ौती क्षेत्र कहलाता हे। बूंदी की लोक सांस्कृतिक झलकियां देखने के लिए हर साल हजारो पर्यटक देश विदेश से आते हे। जिसमे बूंदी की चित्रशैली का आकर्षण उन्हें बहुत आकर्षित करता हे। बूंदी में एक किला हे जिसका नाम "तारागढ़" हे। तारागढ़ का यह नाम वहा की रानी तारा के नाम पर रखा गया था "बूंदी तारागढ़ का किला "बहुत ही भव्ये हे किले के भीतर और बाहर प्राचीर पर और मुख्य प्रवेश द्वार पर "बूंदी चित्रशैली" में चित्र बने हुए हे। इन चित्रों में हाड़ौती चित्र शैली और मेवाड़ चित्र शैली का मिला जुला स्वरूप देखा जा सकता हे। हाड़ोती चित्र शैली में " कोटा ,बूंदी और कोटा संभाग के क्षेत्र हाड़ोती चित्रकला के अंतरगत आते हे ,यह हाड़ोती शैली कहलाती हे। राव भवसिंह का शासन काल इस शैली का स्वर्ण काल माना जाता हे  राजस्थान में पशु पक्षी का सर्वधिक चित्रण इसी शैली में हुआ हे मयूर ,हाथी ,शेर ,हिरण ,प्रमुख हे। बूंदी शैली या हाड़ोती शैली के मुख्य विषय वस्तु -राग रागिनी ,बारहमासा ,नायिका भेद ,रसिक प्रिया ,प्रमुख हे।


==सन्दर्भ== इस शैली में रागिनी भैरव रागिनी मालश्री और रागिनी दीपक के चित्र बने हैं