भारतीय कृषि में महिलाएं

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
हिमाचल प्रदेश के कुल्लु नगर के पास अपनें सबजी के बागों में काम करती महिला कृषकें।
चित्र:नेइल पालमर

भारत में कृषि उर्वरता सिमित करती राष्ट्रीय परंपरा है। उत्तर में, सिंधु घाटी और ब्रह्मपुत्र क्षेत्र, गंगा नदी और सावन के मौसम के कारण महत्वपूर्ण कृषि क्षेत्र हैं। २०११ के विश्व बैंक के आंकड़ों के मुताबिक, भारत के सकल घरेलू उत्पाद का केवल १७.५% हिस्सा कृषि उत्पादन से आता है।[1] फिर भी, कृषि देश के अधिकांश लोग जो ग्रामीण भारत में रहते हैं उनके जीवन निर्वाह का मुख्य साधन है।[2]

भारत में कृषि पारिवारिक परंपरा, सामाजिक संबंधों और लैंगिक भूमिकाओं को परिभाषित करती है। कृषि क्षेत्र में महिला, चाहे पारंपरिक साधनों के माध्यम से हो या औद्योगिक, निर्वाह के लिए या एक कृषि मजदूर के रूप में, एक क्षणिक जनसांख्यिकीय समूह का प्रतिनिधित्व करती है। कृषि सीधे आर्थिक स्वतंत्रता, निर्णय लेने की क्षमता, एजेंसी और शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच जैसे मुद्दों से जुड़ी हुई है और इस तरीके से गरीबी और हाशिए पर रहने वाले और लैंगिक असमानता जैसे जटिल मुद्दे पैदा हुए हैं।

श्रम का लिंग विभाजन[संपादित करें]

भारत में, महिला कृषि मजदूर या कृषकों का विशिष्ट कार्य कम-कुशल काम, जैसे कि बुवाई, रोपाई, निराई और कटाई तक ही सीमित रहता है, जो अक्सर घरेलू जीवन और बच्चे के पालन-पोषण के लिए ज्यादा फिट रहता है। कई कृषक महिलाएं अवैतनिक श्रम के रूप में कृषि कार्य में भाग लेती हैं। संयुक्त राष्ट्र की मानव विकास रिपोर्ट के अनुसार केवल ३२.८% भारतीय महिलाएँ औपचारिक रूप से श्रम शक्ति में भाग लेती हैं। पुरुषों की तुलनात्मक संख्या ८१.१% है।

साक्षरता[संपादित करें]

लगभग ५२-७५% भारतीय कृषक महिलाएं निरक्षर है, शिक्षा एक बडा अवरोध है जो महिलाओं को अधिक कुशल श्रम क्षेत्रों में भाग लेने से रोकता है। वेतन की असमानता सभी कार्यो में है, जिसमें महिलाओं को पुरुषों की मजदूरी का ७०% जितना वेतन मिलता हैं।[3] इसके अलावा, कई महिलाएं अवैतनिक श्रम के रूप में कृषि कार्य में भाग लेती हैं। रोजगार की गतिशीलता और शिक्षा की कमी भारत में अधिकांश महिलाओं को संवेदनशील बनाती है, जो कृषि बाजार की वृद्धि और स्थिरता पर आश्रित हैं।[4]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "संग्रहीत प्रति" (PDF). मूल (PDF) से 29 मई 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 6 मार्च 2019.
  2. “Role of Farm Women In Agriculture: Lessons Learned,” SAGE Gender, Technology, and Development 2010 http://gtd.sagepub.com/content/14/3/441.full.pdf+html Archived 2016-01-01 at the वेबैक मशीन
  3. http://www.in.boell.org/downloads/Summary_agr.pdf[मृत कड़ियाँ]
  4. Satyavathi, C. Tara; Bharadwaj, Ch.; Brahmanand, P.S. (2010). "Role of Farm Women In Agriculture: Lessons Learned." Archived 2016-01-01 at the वेबैक मशीन SAGE Gender, Technology, and Development