ड्रेयफस केस

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अक्टूबर १८९४ इ में किसी अप्रत्याशित एवं गुप्त परिस्तिथियों में सेना के ड्रेफ्यस नामक एक यहूदी पदाधिकारी को बंदी बनाया गया और उसका कोर्टमार्शल करके उस पर भयंकर कुचक्र करने का आरोप लगाया गया, इसके अतिरक्त उसपर यह भी आरोप लगाया गया की उसने विदेशी शक्ति जर्मनी को फ्रांस की सरकार के महतवपूर्ण दस्तावेग दिए थे ड्रेफ्यस के विरुद्ध कोर्त्मर्शंल की कार्यवाही गुप्त रूप से की गयी कहा जाता है की दस्तावेजों में ड्रेफ्यस के हाथ के लिखे हुए कुछ कागजात भी थे सैनिक न्यायलय ने उसे सेना से निकल दिया और उसे आजीवन बंदी बना लिया गया और उसे अनेक प्रकार से अपमानित किया गया ड्रेफ्यस को फ्रेंच प्रायद्वीपीय गयाना में भेज दिया गया यह प्रदेश दक्षिण अमरीका का निर्जन तथा उजाड़ प्रदेश था. ड्रेफ्यस के मित्रों ने सरकार की इस निति की आलोचना की कहा की उसका यह कार्य अनुचित था , किन्तु सरकार ने इस और कोई ध्यान नहीं दिया. १८९६ इ में एक सरकारी गुप्तचर अधिकारी कर्नल पीकार्ट ने यह अत लगाया की जिस दस्तावेग के लिए ड्रेफ्यस पर आरोप लगाया वह ड्रेफ्यस के हाथ का लिखा हुआ न होकर मेजर इस्तर हैजी का हस्तलेख था. सेना के उच्च अधिकारीयों ने इस सुचना को दबा दिया क्यूंकि इस मामले में यदि सेना के कोर्टमार्शल की कार्यवाही को गलत सिध्ह किया गया तो सेना का मनोबल गिरेगा . अतः कर्नल पीकार्ट को पदच्युत कर दिया गया. इसके विपरीत ड्रेफ्यस के समर्थकों ने ड्रेफ्यस को अपराध मुक्त करके क्षमा किया जाने की मांग की . ड्रेफ्यस के समर्थकों के विरोध को ध्यान में रखते हुए सरकार ने १९०० इ में एक अधिनियम द्वारा उन सभी अपराधियों को क्षमा कर दिया जो उस अभियोग में पकडे गए थे . १२ जुलाई १९०६ को ड्रेफ्यस का मामला सेशन कोर्ट में प्रस्तुत किया गया . न्यायलय ने उसे निर्दोष सिद्ध कर दिया गया.