सुबिमल बसाक

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सुबिमल बसाक (१५ दिसम्बर १९३९) (সুবিমল বসাক)बांग्ला साहित्य के प्रमुख उपन्यासकार है। 'भूखी पीढ़ी आन्दोलन' शुरु करनेवाले साहित्यिकों मे उनका प्रधान योगदान रहा है। उन्होने कहानीलेखन की एक नयी भाषा को जन्म दिया जो बिहार के रहनेवाले बांग्लाभाषी बोला करते हैं। सुबिमल बसाक ने हिन्दी से बहुत सारे उपन्यास अनुवाद किया। वर्ष २००८ में उन्हे साहित्य अकादमी पुरस्कार से सन्मानित किया गया।

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कृतियाँ[संपादित करें]

  • चातामाथा (१९६५) उपन्यास।
  • हाबिजाबि (१९७०) पूर्वी बंगाल के कुट्टि बांग्ला में रचित कविता संकलन।
  • गेरिला आक्रोश (१९७४) टुकडे कहानियां।
  • आत्मार शान्ति दु मिनिट (१९८५) कहानियां।
  • अजथा खिटकाल (१९८७) पूर्वी बंगाल के बांग्ला में रचित कहानियां।
  • बियार गीत ओ ढाकाइ चडा (१९८७) पूर्वी बंगाल के शादियों मे गाये जानेवले गाने।
  • कुसंस्कार संकलन (१९८७) बंगालीयों में प्रचलित १५५ कुसंस्कारों का संग्रह।
  • प्रत्नबीज (१९९६) उपन्यास।
  • कैजुयल लिव (२०००) कहानियां।
  • बकबकानि (२०००) कविता
  • एथि (२००१) बिहार में रहनेवाले बंगालियों के भाषा में रचित कहानियां।
  • कुट्टि (२००३) पूर्वी बंगाल के टमटमवालों कि कहानियां।
  • तिजोरिर भेतर तिजोरी (२००५) कहानियां।
  • गोपन दस्तावेज ओ शीतताप नियन्त्रित आत्मा (२००७) कहानियां।
  • मोहोल्ला लोदीपुर: हिन्दी में रचित (२००६)

अनुवाद[संपादित करें]

सुबिमल बसाक के दिये हुये साक्षातकार[संपादित करें]

  • सुमिताभ घोषाल--- गद्यपद्य संवाद लघु पत्रिका।
  • चीरंजीव शुर--- आलोचनच्क्र लघु पत्रिका।
  • मलय रायचौधुरी--- अन्यभूमि लघु पत्रिका।
  • जाहिद महमुद हसन--- कविता मंच (ढाका)
  • रिंकु शर्मा--- मिलन (मेघालय)

फिल्म[संपादित करें]

परिचालक सृजित मुखर्जी ने बाइशे श्रावण नाम से एक फिल्म बनायी है जिसमें सुप्रसिद्ध परिचालक गौतम घोष ने भूखी पीढीके एक कवि का चरित्र निभाया है। भूखी पीढी को लेकर बांग्ला में यह पहलीबार एक फिल्म बनी।


सन्दर्भ[संपादित करें]

  • अन्यकथा विशेष सुबिमल बसाक संख्या। कल्लोल साधदेव सम्पादित। (सप्तम संख्या बंग्ला साल १४१०)
  • चिटेफोंटा विशेष सुबिमल बसाक संख्या। चीरंजीव शुर, राहुल पुरकायस्थ एवम सजल रंजन आचार्जा सम्पादित। (२०१०)

इन्हॅ भी देखें[संपादित करें]

बाह्यसूत्र[संपादित करें]