भारत–अफ़ग़ानिस्तान संबंध

मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से
{{{party1}}}–{{{party2}}} सम्बन्ध
Map indicating locations of Afghanistan and भारत

अफ़ग़ानिस्तान

भारत
Diplomatic Mission
नई दिल्ली में अफ़ग़ान दूतावासकाबुल में भारतीय दूतावास
नई दिल्ली में अफ़ग़ान दूतावास

अफगानिस्तान और भारत एक दूसरे के पड़ोस में स्थित दो प्रमुख दक्षिण एशिया देश हैं। दोनों दक्षिण एशियाई क्षेत्रिय सहयोग संगठन (दक्षेस) के भी सदस्य हैं। दोनों देशों के बीच प्राचीन काल से ही गहरे संबंध रहे हैं। महाभारत काल में अफगानिस्तान के गांधार जो वर्तमान समय में कंधार है, की राजकुमारी का विवाह हस्तिनापुर (वर्तमान दिल्ली) के राजा धृतराष्ट्र से हुआ था।

21वीं सदी में तालिबान के पतन के बाद दोनों देशों के संबंध फिर से काफी मजबूत हो गए हैं। भारत ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में रचनात्मक हिस्सेदारी की है। 4 अक्टूबर 2011 को अफगानिस्तान के राष्ट्रपति हामिद करजई की भारत यात्रा के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ हुई बैठक में सामरिक मामले, खनिज संपदा की साझेदारी और तेल और गैस की खोज पर साझेदारी संबंधी तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। भारत तथा अफगानिस्तान का सम्बंध काफी मित्रता तथा भाईचारा पूर्वक हैं। भारत ने अफगानिस्तान के साथ कई प्रकार के विकासीय समझौते किये हैं। तथा भारत और अफगानिस्तान दोनो एक दूसरे का हमेशा अंतरराष्ट्रीय मंच पर समर्थन करते हैं।

द्विपक्षीय रणनीतिक भागीदारी करार 2011 के तत्वावधान में गठित भारत और अफगानिस्तान के बीच रणनीतिक भागीदारी परिषद की द्वितीय बैठक 11 सितम्बर, 2017 को नई दिल्ली में आयोजित की गई। भारत की विदेशी मंत्री श्रीमती सुषमा स्वराज तथा अफगानिस्तान इस्लामिक गणराज्य के विदेश मंत्री महामहिम सलाहुद्दीन रब्बानी ने बैठक की सह-अध्यक्षता की। अपनी यात्रा के दौरान विदेश मंत्री रब्बानी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी से भी भेंट की। प्रधानमंत्री और भारत की विदेश मंत्री ने बल दिया कि दोनों देशों के बीच समय की कसौटी पर खरे उतरे मैत्रीपूर्ण संबंध हैं तथा उन्होंने एक एकीकृत, संप्रभु, लोकतांत्रिक, शांतिपूर्ण, स्थिर, समृद्ध और बहुलवादी अफगानिस्तान के निर्माण में भारत के निरंतर सहयोग को दोहराया। रणनीतिक भागीदारी परिषद ने पारस्परिक हित और साझी समझ के अनेक द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की तथा उन पर विचारों का आदान-प्रदान किया। राजनीतिक और सुरक्षा मुद्दों, व्यापार, वाणिज्य और निवेश, विकास सहयोग, तथा मानव संसाधन विकास, शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्रो में चार संयुक्त कार्यकारी समूहों के परिणामों की समीक्षा की गई और उनका सकारात्मक मूल्यांकन किया गया।

राजनीतिक और सुरक्षा परामर्श[संपादित करें]

दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान में आतंक और हिंसा की घटनाओं पर गंभीर चिंता दर्शाई जिसके परिणामस्वरूप अनेक मासूम लोगों की जानें गईं। यह देखते हुए कि आतंकवाद किसी क्षेत्र और उसके आस-पास के क्षेत्रों की शांति, स्थायित्व और प्रगति के लिए सबसे बड़ा खतरा है, उन्होंने अफगानिस्तान के विरुद्ध आतंकवादियों को सहायता, राष्ट्र तथा प्रायोजन, सुरक्षित स्थानों और उनके अभ्यारण्यों के सभी स्वरूपों को समाप्त करने का आह्वान किया। दोनों देशों के बीच सुरक्षा सहयोग को मजबूत बनाने पर सहमति हुई। भारत ने आतंकवाद, संगठित अपराध, स्वापक औषधियों के अवैध व्यापार और धन-शोधन के संकट के विरुद्ध संघर्ष करने के लिए अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा सेवाओं के लिए और अधिक सहायता प्रदान करने पर सहमति दी। भारतीय पक्ष ने एक अफगान-संचालित और अफगान-स्वामित्‍व वाली शांति और समाधान प्रक्रिया के लिए अपने सहयोग को दोहराया। यह सहमति हुई कि अफगानिस्तान में शांति और स्थायित्व को प्रोत्साहित करने के लिए क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रयासों की सफलता के लिए हिंसा की तत्काल समाप्ति हेतु ठोस, अर्थपूर्ण और सत्यापनीय कदम उठाए जाएंगे।

व्यापार, वाणिज्य और निवेश सहयोग[संपादित करें]

दोनों पक्षों ने जून, 2017 में नई दिल्ली के साथ काबुल और कंधार के बीच एयर कार्गों कॉरीडोर की स्थापना का स्वागत किया। इसे अफगानिस्तान और भारत के अन्य देशों को शामिल करने के लिए तथा दोनों देशों के बीच कार्गो उड़ानों की संख्या में वृद्धि करने के लिए इसका विस्तार करने पर सहमति प्रदान की गई। अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए संयोजनता तथा मुक्त और निर्बाध परिवहन एवं पारेषण पहुंच के महत्व की पुन: पुष्टि करते हुए दोनों पक्ष मई, 2016 में हस्ताक्षरित अंतर्राष्ट्रीय परिवहन और पारेषण कॉरीडोर की स्थापना के लिए द्विपक्षीय करार के अंतर्गत ईरान में चार बहार पोर्ट को शीघ्र प्रचालन में लाने के लिए कार्य करने पर सहमत हुए। इस संदर्भ में, दोनों पक्ष संयुक्त निवेशों का अन्वेषण करने पर सहमत हुए। अफगान पक्ष ने भारत से अफगानिस्तान को बरास्ता चारबहार पोर्ट 170,000 मीट्रिक टन की गेहूँ की पोतों द्वारा आपूर्ति शीघ्र आरंभ करने का स्वागत किया। दोनों पक्षों ने क्षेत्रीय पारेषण और व्यापार करार को अधिक अंतर्वेशी और व्यापक बनाने की आवश्यकता पर बल प्रदान किया जिसके लिए दक्षिण एशिया को मध्य एशिया के साथ जोड़ने के लिए इसका विस्तार उत्तर और दक्षिण, दोनों दिशाओं की ओर किया जाएगा। उन्होंने तापी गैस पाइपलाइन परियोजना के शीघ्र क्रियान्वयन की ओर संयुक्त प्रयास करने के महत्व पर भी बल प्रदान किया जो मध्य एशिया और दक्षिण एशिया के बीच संयोजनता और व्यापारिक सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। व्यापार और निवेश की पर्याप्त संभावनाओं का लाभ उठाने के लिए द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि करने के लिए उत्पादों और उपायों की पहचान करने पर भी सहमति हुई जिसमें रत्नों, भेषजिक सामग्रियों और कृषि-उत्पादों का प्रत्यक्ष व्यापार भी शामिल है। इस संदर्भ में, गुणवत्ता आश्वासन और मानकीकरण, संभार-तंत्र और प्रशीतित भण्डारणों के निर्माण, मूल्यवर्धित उत्पादों के लिए विनिर्माण क्षमता के सृजन, बैंकिंग और वित्त, क्रेडिट और बीमा की पहचान की गई। क्रेता-विक्रेता कार्यक्रम संचालित करने तथा व्यापार चेम्बरों और व्यापारियों के बीच अधिक संपर्क स्थापित करने पर सहमति हुई। इस संदर्भ में, भारत-अफगानिस्तान व्यापार और निवेश प्रदर्शनी जो 27-29 सितम्बर, 2017 तक नई दिल्ली में आयोजित की जा रही है, व्यापारिक समुदायों को एक-साथ लेकर आएगी। अफगान राष्ट्रिकों के लिए भारत द्वारा किए गए वीजा उपायों के उदारीकरण, जिसमें 5 वर्ष तक अनेक बार प्रवेश करने के लिए व्यापार वीजा प्रदान करने का निर्णय भी शामिल है, का एक ऐसे उपाय के रूप में स्वागत किया गया जो द्विपक्षीय व्यापार और वाणिज्य को प्रोत्साहित करेगा।

नई विकास भागीदारी[संपादित करें]

रणनीतिक भागीदारी के रूप में द्विपक्षीय विकास सहयोग को मान्यता प्रदान करते हुए तथा अफगानिस्तान में सामाजिक, आर्थिक, अवसंरचना और मानव संसाधन विकास के लिए भारत द्वारा अफगानिस्तान को प्रदान की गई 2 बिलियन यूएस डॉलर की विकास और आर्थिक सहायता के अंतर्गत क्रियान्वित परियोजनाओं के सकारात्मक प्रभावों को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्ष एक महत्वाकांक्षी तथा अग्रदर्शी अगली पीढी की 'नई विकास भागीदारी' आरंभ करने पर सहमत हुए। इस संदर्भ में, सरकार तथा अफगानिस्तान के लोगों की प्राथमिकताओं और अनुरोध के अनुसार, दोनों पक्ष उच्च प्रभाव वाली 116 समुदाय विकास परियोजनाओं को आरंभ करने पर सहमत हुए जिन्हें अफगानिस्तान के 31 प्रांतों में क्रियान्वित किया जाएगा जिनमें शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि, सिंचाई, पेयजल, नवीकरणीय ऊर्जा, बाढ़ नियंत्रण, सूक्ष्म-जल विद्युत, खेल अवसंरचना और प्रशासनिक अवसंरचना के क्षेत्र भी शामिल हैं। भारत से सहायतानुदान के अंतर्गत निम्नलिखित नई परियोजनाओं को क्रियान्वित करने पर भी सहमति हुई:

1. काबुल के लिए शहतूत बांध और पेयजल परियोजना जो सिंचाई में सहयोग प्रदान करेगी;

2. पुनर्वास को प्रोत्साहित करने के लिए नानगरहर प्रांत में अफगानिस्तान शरणार्थियो के लौटने के लिए कम लागत पर घरों का निर्माण;

3. बामयान प्रांत में बंद-ए-अमीर तक सड़क संयोजनता जो राष्ट्रीय उद्यान में पर्यटकों को आकर्षित करेगी और आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करेगी;

4. परवान प्रांत में चारिकार शहर के लिए जलापूर्ति नेटवर्क;

5. मूल्यवर्धित उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए काबुल में जिप्सम बोर्ड विनिर्माण संयंत्र की स्थापना; और

6. मजार-ए-शरीफ में पॉलीटेक्नीक का निर्माण।

अफगानिस्तान पक्ष ने संचार अवसंरचना में विकास (आप्टिक फाइबर) तथा 180 मेगावाट क्षमता वाले सुरोबी 2 जलविद्युत संयंत्र की स्थापना का प्रस्ताव किया। भारतीय पक्ष ने इसका अन्वेषण करने पर सहमति प्रदान की। लोगों का लोगों के साथ संपर्क, संस्कृति, शिक्षा, स्वास्थ्य, विज्ञान और प्रौद्योगिकी अफगान राष्ट्रिकों के लिए क्षमता निर्माण, कौशल और मानव संसाधन विकास हेतु व्यापक स्तर पर संचालित कार्यक्रमों का सकारात्मक रूप से आकलन किया गया। अफगान राष्ट्रिकों के लिए आईआईसीआर विशेष छात्रवृत्ति स्कीम की 10वीं वर्षगांठ को 2016 में मनाया गया था तथा इसे 2017 से 2022 तक की अवधि के लिए आगे और क्रियान्वित करने पर सहमति दी गई। यह निर्णय लिया गया कि शैक्षणिक वर्ष 2018-19 से अफगान राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा बलों के शहीदों के बच्चों के लिए भारत में स्नातकोत्तर शिक्षा हेतु 520 छात्रवृत्तियां आरंभ की जाएं तथा चिकित्सा सहायता को अफगान राष्ट्रीय सेना के कार्मिकों, तक विस्तारित कर दिया जाए। भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग (आईटीईसी) का प्रयोग राष्ट्रीय, प्रांतीय और जिला स्तरों पर अफगानिस्तान के प्रशासन और शासन को सुदृढ़ बनाने के लिए अफगानिस्तान की आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु किया जाएगा जिसमें सिविल प्रशासन और परियोजना क्रियान्वयन की क्षमताओं का निर्माण करने के लिए अनुभवों की साझेदारी और तकनीकी सहायता का प्रयोग करना भी शामिल है। इस प्रयास में अंतर्राष्ट्रीय भागीदारियां भी विकसित की जाएंगी। भारतीय विदेश सेवा संस्थान दिसम्बर, 2017 मे अफगान राजनयिकों के लिए कार्यशाला का आयोजन करेगा जिसमें काउंसलर मामले भी शामिल हैं। कंधार में एएनएएसटीयू (अफगान राष्ट्रीय कृषि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय) की स्थापना के संबंध में भारत की सहायता की सराहना करते हुए यह सहमति हुई कि एक कृषि विश्वविद्यालय के रूप में एएनएएसटीयू को मजबूत बनाने में और अधिक सहयोग को अन्वेषित किया जाएगा। मई, 2017 में प्रक्षेपित दक्षिण एशिया उपग्रह में अफगानिस्तान की प्रतिभागिता का स्वागत करते हुए भारत रिमोट सेंसिग प्रौद्योगिकी के अनुप्रयोगों में अफगानिस्तान की सहायता में वृद्धि करने के लिए सहमत हुआ। सांस्कृतिक तथा लोगों के लोगों के साथ संपर्क को प्रोत्साहित करने के लिए भारत-अफगानिस्तान फाउंडेशन के कार्य की सराहना करते हुए निकट भविष्य में भारत-अफगानिस्तान संस्कृति दिवस आयोजित करने के निर्णय का स्वागत किया गया। इसके अलावा, आईसीसीआर काबुल में अफगान राष्ट्रीय संगीत संस्थान को सहायता प्रदान करेगा जिसमें संगीत यंत्र भी शामिल हैं। पर्यटन तथा लोगों का लोगों के साथ संपर्क को प्रोत्साहित करने के लिए दोनों पक्षकार सांसदों, निर्वाचन आयोगों, मीडिया, महिलाओं युवाओं, धार्मिक नेताओं और संस्थाओं, खेल दलों के बीच विनिमय को और प्रोत्साहित करने तथा घनिष्ठ राष्ट्र/शहर संबंधों को सुकर बनाने पर सहमत हुए।

क्षेत्रीय और वैश्विक भागीदारियां[संपादित करें]

दिसम्बर, 2016 में अमृतसर में ऐतिहासिक हार्ट ऑफ एशिया-इस्ताबुल प्रक्रिया (एचओए) मंत्रालयी सम्मेलन की अभूतपूर्व सफलता का स्मरण करते हुए अफगानिस्तान ने भारत द्वारा व्यापार, वाणिज्य और निवेश के क्षेत्रों में एचओए के आत्मविश्वास निर्माण उपाय के अंतर्गत किए गए उल्लेखनीय कार्य तथा ट्रेड पोर्टल के सॉफ्ट लांच का स्वागत किया। दोनों पक्ष क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय ढांचों के अंतर्गत कार्य करने के लिए सहमत हए। यूएन तथा डब्ल्यूटीओ में पारस्परिक हित के मामलों पर समन्वय करने के लिए भी सहमति व्यक्त की गई।

आदान-प्रदान किए गए दस्तावेज[संपादित करें]

निम्नलिखित द्विपक्षीय दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए गए तथा उनका आदान-प्रदान किया गया:

  • यात्रियों, कार्मिकों और कार्गो व्हीकुलर ट्रैफिक के विनियमन के लिए मोटर वाहन करार
  • अफगानिस्तान के राष्ट्रीय औषधि और स्वास्थ्य देखरेख उत्पाद विनियम प्राधिकरण, अफगानिस्तान इस्लामिक गणराज्य तथा केन्द्रीय औषधिक मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ), स्वास्थ्य सेवाएं निदेशालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के बीच भेषजिक उत्पादों के विनियमन के क्षेत्र में पारस्परिक सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन।
  • भारत तथा अफगानिस्तान के बीच दक्षिण एशिया उपग्रह (एसएएस) पर कक्षा आवृत्ति समन्वय करार।
  • नई विकास भागीदारी की स्थापना तथा 116 उच्च प्रभाव समुदाय विकास परियोजनाओं की शुरुआत करने वाले पत्र।
  • पुलिस प्रशिक्षण और विकास में तकनीकी सहयोग; रेलवे प्राधिकारियों के बीच तकनीकी सहयोग; पारस्परिक विधिक सहायता तथा खाद्य सुरक्षा के क्षेत्रों में सहयोग से संबंधित करारों/समझौता ज्ञापनों को शीघ्र पूरा करने पर भी सहमति हुई।

रणनीतिक भागीदारी परिषद की अगली बैठक[संपादित करें]

यह सहमति हुई कि लिए गए निर्णयों के क्रियान्वयन की निगरानी करने के लिए संप्रभुत्ता कार्यकारी समूहों की नियमित बैठकें आयोजित की जाएं। दोनों पक्ष रणनीति भागीदारी परिषद की तीसरी बैठक 2018 में दोनों पक्षों के लिए सुविधाजनक तारीखों को काबुल में आयोजित करने पर सहमत हुए।