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गोण्डी लेखन

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गोंडी भाषा, को वर्त्तमान समय में प्रचलित रूप से, सामान्यतः देवनागरी लिपि अथवा तेलुगु लिपि में लिखी जाती है। हाल ही में, वर्ष २०१४ में, हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुछ शोधकर्ताओं द्वारा गोंडी की जन्मज, गुंजल गोंडी लिपि की खोज से पूर्व, गोंडी भाषा की जन्मज लिपि अज्ञात थी।[1][2] सन १९१८ में मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के निवासी मुंशी मंगल सिंह मासाराम ने गोंडी के लिए एक लिपि अभिकल्पित की जो ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न अन्य भारतीय लिपियों से चुने हुए वर्णों पर आधारित है, जिसे मंगल सिंह मासाराम लिपि या केवल मासाराम लिपि कहा जाता है। इस लिपि को गोंडी की एक निजी लिपि के रूप में देखा जाता है, किन्तु यह लिपि बहुत कम प्रचलित है। गुंजल गोंडी लिपि के खोज से पूर्व यह गोंडी की एकमात्र ज्ञात निजी लिपि थी। वर्त्तमान स्थिति में, हालाँकि गोंडी को प्रचलित रूप से अधिकांशतः देवनागरी या तेलुगु लिपि में लिखा जाता है, परंतु मनसाराम लिपि को भी सिखाया जाता है। तथा हालही में खोजे गए गुंजल गोंडी लिपि के भी पुनरुथान की योजना है।[3]

मुंशी मंगल सिंह मसराम लिपि

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इस लिपि को सन १९१८ में मध्य प्रदेश के बालाघाट जिले के निवासी मुंशी मंगल सिंह मासाराम ने गोंडी भाषा के लिए अभिकल्पित किया था। यह ब्राह्मी लिपि से व्युत्पन्न अन्य भारतीय लिपियों से चुने हुए वर्णों पर आधारित है, जिसे मंगल सिंह मासाराम लिपि या केवल मासाराम लिपि कहा जाता है। इस लिपि को गोंडी की एक निजी लिपि के रूप में देखा जाता है, किन्तु यह लिपि बहुत कम प्रचलित है। गुंजल गोंडी लिपि के खोज से पूर्व यह गोंडी की एकमात्र ज्ञात निजी लिपि थी।[4]

गुंजल गोंडी लिपि

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चित्र:Gondi Lipi.png
गुंजल लिपि में लिखा गया पाठ, "गोंडी लिपि"

गुंजल गोंडी लिपि की खोज, हाल ही में, वर्ष २०१४ में, हैदराबाद विश्वविद्यालय के कुछ शोधकर्ताओं द्वारा तेलंगाना के आदिलाबाद ज़िले के गुंजल गाँव में पाए गए लगभग दर्जन भर पाण्डुलिपियों के खोज द्वारा हुई थी। हाल ही में हुए इस महत्वपूर्ण खोज से पूर्व, गोंडी लोगों की यह महत्वपूर्ण धरोहर सामान्य जनमानस से लुप्त हो चुकी थी, और गोंडी को एक लिपिहीन भाषा के तौरपर जाना जाता था। बहरहाल, ऐसी एक गोंडी लिपि के अस्तित्व में होने की बात तो जानी जाती थी, मगर ना ही इसका ज्ञान किसी को था, ना ही इस लिपि के कोई पाण्डुलिपि इससे पहले कहीं पाए गए थे।[5]

इन्हें भी देखें

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गोंडी लिपियाँ

सन्दर्भ

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  1. Singh, S. Harpal. "Chance discovery of Gondi script opens new vistas of tribal culture". The Hindu. मूल से 27 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 January 2017.
  2. "Gondi script and font unveiled". The Hindu. मूल से 7 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 January 2017.
  3. "Telugu reader for Gondi language released". The Hindu. मूल से 28 मई 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 January 2017.
  4. "Proposal to Encode the Masaram Gondi Script in Unicode" (PDF). मूल से 31 जुलाई 2015 को पुरालेखित (PDF). अभिगमन तिथि 6 अगस्त 2018.
  5. "He Gave Colour to a Fading Script". New Indian Express. मूल से 12 मई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 January 2017.

बाहरी कड़ियाँ

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