गुणावृत्ति

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सी एफ एल ऐसे लोड का उदाहरण है जो अरैखिक है। कारण यह है कि इसके इनपुट में एक ऋजुकारी लगा होता है जो अरैखिक है। इस चित्र में किसी सी एफ एल के द्वारा ली गयी विद्युत धारा (नीला) तथा सी एफ एल का वोल्टेज (लाल) दर्शाया गया है।

किसी न्यूनतम आवृत्ति के पूर्णांक गुणक आवृत्ति को उसका प्रसंवादी या गुणावृत्ति (गुणा+आवृत्ति / Harmonic) कहते हैं। उदाहरण के लिए, ३०० हर्टज, ५० हर्ट्ज की गुणावृत्ति है।

प्रायः मूल आवृत्ति (फण्डामेण्टल फ्रेक्वेन्सी) के साथ गुणावृत्ति भी अवश्य होती है। कहीं ये गुणावृत्तियाँ लाभकारी होतीं हैं जबकि कहीं हानिकारक। किसी भी आवर्ती तरंग को मूल आवृत्ति की तरंग तथा गुणावृत्तियो वाली तरंगों के योग के रूप में निरूपित किया जा सकता है (फुर्ये श्रेणी)।

विद्युत शक्ति प्रणाली में गुणावृत्तियाँ (वोल्टता की गुणावृत्ति या विद्युत धारा की गुणावृत्ति) अनेकों समस्याएँ उत्पन्न करतीं हैं। अरैखिक लोडों (nonlinear loads) के कारण ये उत्पन्न होतीं हैं। गुणावृत्तियों के कारण केबल में गरमी पैदा होती है, ट्रान्सफॉर्मर और मोटर आदि में भी अतिरिक्त ऊष्मा पैदा होती है। इनके कारण शक्ति परिवर्तकों (पॉवर कन्वर्टर्स) में गलत फायरिंग हो सकती है जिससे आउटपुट खराब हो जाय (जैसे १०० वोल्ट के बजाय १२० वोल्ट पैदा हो जाय) या स्वयं कोई युक्ति (जैसे, एस सी आर) ही खराब हो सकती है।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]