भूपेश बघेल

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विष्णु देओ

पद बहाल
17 दिसम्बर 2018 – 12 December 20 = अनुसुइया उइके
पूर्वा धिकारी रमन सिंह
चुनाव-क्षेत्र पाटन

प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस छत्तीसगढ़
पदस्थ
कार्यालय ग्रहण 
अक्टूबर 2014
पद बहाल
1993–2008
उत्तरा धिकारी Vishnu dev sai

जन्म 23 अगस्त 1961 (1961-08-23) (आयु 62)
दुर्ग, छत्तीसगढ़, भारत
राष्ट्रीयता भारतीय
राजनीतिक दल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
जीवन संगी मुक्तेश्वरी बघेल
बच्चे 4
निवास मानसरोवर आवासीय परिसर, भिलाई, छत्तीसगढ़
व्यवसाय राजनीतिज्ञ

डॉ.भूपेश बघेल (जन्म 23 अगस्त 1961) छत्तीसगढ़ के तीसरे मुख्यमंत्री[1] के रूप में सेवा देने वाले एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं।[2] वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनेता हैं। [3][4] उन्होंने 80 के दशक में यूथ कांग्रेस के साथ अपनी सियासी पारी शुरू की थी। वे छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष थे। वह पाटन से पांच बार विधानसभा सदस्य (भारत) रहे हैं।

भूपेश बघेल आज पूरे भारत में किसी परिचय के मोहताज नहीं हैंं। भूपेश बघेल छत्तीसगढ़ के अब तक सबसे जोशीले, कर्मठ व नयी ऊर्जा का प्रतीक यशश्वी मुख्यमंत्री हैं। वे राजनीति का अनुभव, संघर्षशील, मिलनसार, तीव्र बुद्धि के धनी, और अपनी कुशल नीतियों के कारण जाने जाते हैं और सत्य का अनुसरण करने वाले, गलत कार्य का विरोध करने वाले व्यक्ति है। 

वे एक परिश्रमी, प्रेरित करने वाले, आशावादी सोच, पूर्वानुमान का आभास रखने वाले व्यक्ति हैं। स्वभाव से वे सरल, दयावान, मानवतावादी के हैं। यही कारण है कि 90 में से 69 विधानसभा सीट ऐतिहासिक रिकॉर्ड से जीत दर्ज किया है। छत्तीसगढ़ मुख्यमंत्री रहते कल्याणकारी योजनाओं से भी प्रसिद्ध हुए। नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना और गढ़बो नवा छत्तीसगढ़ के नारा दिया।

व्यक्तिगत जीवन[संपादित करें]

भूपेश बघेल का जन्म 23 अगस्त 1961 को दुर्ग के मनवा परिवार में हुआ था। वह नंद कुमार बघेल और बिंदेश्वरी बघेल के पुत्र हैं। किसान परिवार में पैदा होने के कारण ही कठिन परिश्रम, सही निर्णय लेने का साहस उन्हें बचपन में ही अपने पिता से सौगात के रूप में मिला।[5]

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के ऊपर दुर्ग के पूर्व एल्डरमैन प्रतीक उमरे के द्वारा 'कॉमनमैन भूपेश बघेल' नाम की पुस्तक लिखी गयी है, जिसमें उनके जीवन को रेखांकित किया गया है।[6]

उनकी शादी मुक्तेश्वरी बघेल से हुई एवं उनका एक बेटा और तीन बेटियां हैं। वे वर्तमान में छत्तीसगढ़ मनवा समाज के संरक्षक है।     

राजनैतिक जीवन[संपादित करें]

भूपेश बघेल ने भारतीय युवा कांग्रेस से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के सदस्य बने, वे महासचिव और प्रदेश कांग्रेस समिति के कार्यक्रम समन्वयक भी थे। वह 1993 में पहली बार पाटन से मध्य प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए, और बाद में उसी सीट से पांच बार चुने गए।[7]

1990 से 1994 तक वह जिला युवा कांग्रेस कमेटी दुर्ग (ग्रामीण) के अध्यक्ष रहे। 1993 से 2001 तक मध्य प्रदेश हाउसिंग बोर्ड के निदेशक रहे।

वह नब्बे के दशक के अंत में दिग्विजय सिंह सरकार में अविभाजित मध्य प्रदेश में कैबिनेट मंत्री थे। वे छत्तीसगढ़ के राजस्व, सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग और राहत कार्य मंत्री थे।

नवंबर 2000 में छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद, वे छत्तीसगढ़ विधान सभा के सदस्य बने, और छत्तीसगढ़ शासन के तहत मंत्री, राजस्व पुनर्वास, राहत कार्य, सार्वजनिक स्वास्थ्य यांत्रिकी के रूप में नियुक्त किए गए। वे उसी सीट से 2003 के राज्य चुनाव में फिर से विधायक बने। वह 2008 के चुनाव में पाटन विधानसभा सीट हारे। 2009 में रायपुर से संसदीय चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा।

उन्होंने 2013 के चुनाव में फिर से पाटन विधानसभा सीट जीता, और छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्य समिति के सदस्य बने। 2014-15 में वह लोक लेखा समिति लोक लेखा समिति, छत्तीसगढ़ शासन के सदस्य बने।

छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष[संपादित करें]

भूपेश बघेल अक्टूबर 2014 से जून 2019 तक भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की राज्य इकाई के अध्यक्ष थे। राज्य के शीर्ष कांग्रेस नेता जैसे महेंद्र कर्मा, विद्या चरण शुक्ल, नंद कुमार पटेल और 28 अन्य लोग दरभा घाटी में 2013 के नक्सली हमले में मारे गए।[8] बघेल ने राज्य में पार्टी को पुनर्जीवित करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।[9] वे अंतागढ़ विधानसभा उपचुनाव ऑडियो टेप कांड के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी और उनके बेटे अमित जोगी को कांग्रेस पार्टी से अलग करने में कामयाब रहे।[10]

उनकी अध्यक्षता में छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने 2018 छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत से जीत हासिल की।[11]

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री[संपादित करें]

17 दिसम्बर 2018 को भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ के तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

15 वर्षों तक छत्तीसगढ़ राज्य विधानसभा में विपक्ष का नेतृत्व करने के बाद, बघेल फिर से पाटन विधानसभा सीट से विधायक बने और भाजपा के रमन सिंह को हराकर राज्य के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 17 दिसंबर 2018 को मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। उनकी जगह कोण्डागांव विधायक मोहन मरकाम को जून 2019 में पीसीसी अध्यक्ष बनाया गया।

बघेल ने दो बड़े चुनावी वादों को पूरा किया, शपथ ग्रहण समारोह के कुछ घंटों के भीतर ही कृषि ऋण माफी और अपेक्षाकृत जल्दी तरीके से धान समर्थन मूल्य में 50% की वृद्धि। हालांकि किसानों को वास्तविक धन हस्तांतरण कुछ दिनों, हफ्तों और महीनों में हुआ। तेंदूपत्ता संग्रह की कीमतों में वृद्धि की गई। सरकार ने शिक्षा-कर्मी (अस्थायी शिक्षक) के लिए 15,000 स्थायी शिक्षकों के पदों की रिक्ति की घोषणा की। नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना से विशेष प्रसिद्धि प्राप्त की है, जिसके अंतर्गत गोबर खरीदी योजना लाया गया और गौशालाओं का निर्माण किया गया। नरवा गरवा घुरवा बाड़ी योजना के अंतर्गत पुराने पारंपरिक कार्यो के लिए युवाओं को प्रोत्साहन देने कोशिश किया गया है।

2022 आईएएनएस-सी वोटर्स के सर्वे में दावा किया गया कि देश में सबसे में एंटी-इनकम्बेंसी छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की है। जनता को खुश रखने में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल देश में पहले पायदान पर हैं। राज्य में पिछले एक साल से देशभर के राज्यों में सबसे कम बेरोजगारी दर, राजीव किसान न्याय योजना, गोधन समेत न्याय योजनाओं के जरिए लोगों के खाते में ऑनलाइन भुगतान, सरकारी अंग्रेजी मीडियम स्कूल योजना और स्वास्थ्य में हाट-बाजार व शहरी क्लीनिक आदि से लोगों को सीधी राहत जैसी सुविधाएं इसकी प्रमुख वजहें हैं।[12]

कल्याणकारी योजनाएँ[संपादित करें]

नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी[संपादित करें]

भूपेश बघेल इस अभिनव के वास्तुकार हैं। इस योजना का उद्देश्य आधुनिकता और परंपराओं के बीच संतुलन बनाकर कृषि अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करना है। इस योजना का शुभारंभ जल संरक्षण, पशुधन संरक्षण और विकास, घरेलू कचरे के माध्यम से जैविक खाद का उपयोग और स्वयं की खपत के लिए बैकयार्ड में फलों और सब्जियों की खेती और अतिरिक्त आय अर्जित करने के लिए किया गया है।

ग्रामीण विकास, जल संसाधन विकास विभाग, वन विभाग द्वारा नरवा (नालों और नदियों) से संबंधित कार्य लिए जा रहे हैं। फरवरी 2021 तक, लगभग 30,000 नरवा की पहचान की जा चुकी है और लगभग 5,000 नरवा का विकास पूरा हो चुका है। पिछले वर्ष के अनुसार गरवा (पशुधन) परियोजना के तहत 2,200 गोठान का निर्माण गांवों में किया गया है। घुरुवा (खाद) परियोजना के तहत इस साल तक गोठान में लगभग 6 लाख क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन महिला स्व-सहायता समूहों के महिलाओं द्वारा किया गया है। राज्य सरकार द्वारा कुल 6 करोड़ 72 लाख रुपये का लाभांश गोठान समितियों और स्वयं सहायता समूहों के खातों में स्थानांतरित किया गया है। वहीं, बारी योजना के तहत पोषण आहार के तहत सब्जी के बीज और पौधे वितरित किए जा रहे हैं।[13][14]

राजीव गांधी किसान न्याय योजना[संपादित करें]

राजीव गांधी किसान न्याय योजना के लाभार्थी किसान

छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा प्रस्तुत राज्य के बजट में किसानों के कल्याण के लिए 5700 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था, जिसके माध्यम से राजीव गांधी किसान न्याय योजना 21 मई को पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी जी के शहादत दिवस पर शुरू की गई थी।

छत्तीसगढ़ में कुल कृषि योग्य भूमि क्षेत्र 46.77 लाख हेक्टेयर है। राज्य की 70% आबादी कृषि में लगी हुई है और लगभग 37.46 लाख किसान परिवार हैं। इस योजना का उद्देश्य फसल उत्पादन को प्रोत्साहित करना और कृषि क्षेत्र में वृद्धि करना है। योजना के तहत प्रदान किए गए 5750 करोड़ रुपये चार किस्तों में किसानों के खातों में स्थानांतरित किए गए। इस योजना से राज्य के 19 लाख किसान लाभान्वित हुए।[15] योजना के प्रारंभिक वर्ष में धान, मक्का और गन्ना (रबी) फसलों को शामिल किया गया था। वर्ष 2020-21 में दलहन और तिलहन फसलों को भी शामिल करने का निर्णय लिया गया है। छत्तीसगढ़ सरकार ने भी राज्य के भूमिहीन खेतिहर मजदूरों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के दूसरे चरण में शामिल करने का निर्णय लिया है।

इस योजना के तहत आगामी खरीफ सीजन की तैयारी के लिए किसानों को 21 मई 2021 को 1500 करोड़ रुपये मिले। इनपुट सब्सिडी के रूप में राशि प्रदेश के 22 लाख किसानों के बैंक खातों में सीधे हस्तांतरित किए गए। पर्यावरण संरक्षण हेतु खेतों में पेड़ लगाने वाले किसानों को रुपये की इनपुट सब्सिडी दी जाएगी। अगले तीन वर्षों के लिए प्रति वर्ष 10 हजार दिये जाएंगे।[16] मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने पिछले दो वर्षों में किसानों के कृषि ऋण माफ करने के अलावा 11 हजार करोड़ रुपये के अतिरिक्त प्रोत्साहन भी वितरित किए हैं।[17]

गोधन न्याय योजना[संपादित करें]

जशपुर जिले में गाय के गोबर की खरीदी

21 जुलाई 2020 को बघेल ने छत्तीसगढ़ सरकार के नेतृत्व में जैविक खेती को बढ़ावा देने, ग्रामीण और शहरी स्तरों पर रोजगार के नए अवसर पैदा करने, गौ पालन और गौ संरक्षण को बढ़ावा देने के साथ-साथ पशुपालकों को आर्थिक रूप से लाभान्वित करने के लिए गोधन न्याय योजना की शुरुआत की। योजना के अनुसार, सरकार किसानों और पशुपालकों से ₹2 प्रति किलोग्राम की दर से गोबर खरीदती है। खरीदी के बाद, महिला स्व-सहायता समूह के सदस्यों द्वारा गाय के गोबर को वर्मी कम्पोस्ट और अन्य उत्पादों में परिवर्तित किया जाता है, जो किसानों को ₹10 प्रति किलोग्राम के लिए जैविक खाद के रूप में बेचा जाता है, इस योजना का उद्देश्य रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करना है। [18]

सितंबर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार, गोधन न्याय योजना के तहत अब तक पशुधन मालिकों को 335 करोड़ 36 लाख का भुगतान किया गया है। हितग्राहियों के खाते में 7 करोड़ 4 लाख रूपए की राशि का ऑनलाइन भुगतान किया गया। योजना के तहत राज्य के 2 लाख 78 हजार से अधिक पशुपालक लाभान्वित हो रहे हैं, लाभार्थियों में से 46 प्रतिशत महिलाएं हैं। राज्य में अब तक 8,408 गौठान निर्मित किए गए हैं।[19]

योजना की दूसरी वर्णगांठ पर हरेली त्योहार से 4 रुपए प्रति लीटर की दर से गौमूत्र खरीदी शुरु की गई, जिसके पहले विक्रेता स्वयं राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल बने। पहले दिन ही 2,306 लीटर गौमूत्र की खरीदी हुई।[20] अब तक गौठानों में 35 हजार 346 लीटर क्रय किए गए गौमूत्र से 16,500 लीटर कीट नियंत्रक ब्रम्हास्त्र और वृद्धिवर्धक जीवामृत तैयार किया गया है, जिसमें से 8400 लीटर ब्रम्हास्त्र और जीवमृत की बिक्री से 3.85 लाख रूपए की आय हुई है।[21]

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की तारीफ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी की है।[22] मध्य प्रदेश के गांवों की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए शिवराज सरकार ने भी छत्तीसगढ़ मॉडल अपनाया। सरकार गोबर की खरीदी के लिए गोबर-धन प्रोजेक्ट चलाएगी।[23]

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पाटन के जामगांव स्थित स्वामी आत्मानंद स्कूल के छात्रों से बातचीत करते हुए।

स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल[संपादित करें]

1 नवंबर 2020 को राज्योत्सव के अवसर पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना का अनावरण किया।[24]

3 जुलाई 2020 को प्रदेश के पहले स्वामी आत्मानंद स्कूल का उद्घाटन किया गया था। उसी वर्ष विभिन्न शहरों में 52 स्कूल खोले गए। इस योजना के पीछे मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की दूरदर्शिता है छत्तीसगढ़ में ऐसे शिक्षण संस्थानों की स्थापना करना है, जिनमें निजी स्कूलों के समान उत्कृष्ट सुविधाएं हों, और वे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के अभिभावकों के लिए भी सुलभ और किफायती हों।[25]

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए सरकार प्रदेश के विभिन्न शहरों में अंग्रेजी माध्यम के सरकारी महाविद्यालय भी स्थापित करेगी. शुरुआत में दस शहरों में दस संस्थानों की शुरुआत की जाएगी।[26]

पढ़ई तुंहर दुआर[संपादित करें]

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 'पढ़ई तुंहर दुआर' के तहत दुर्ग जिले के मोहल्ला क्लास में पहुंचे.

इस योजना का उद्देश्य COVID-19 महामारी के दौरान लॉकडाउन में विभिन्न कक्षाओं के अधूरे पाठ्यक्रम को पूरा करना है। ग्रामीण क्षेत्रों में पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए ऑनलाइन कक्षाएं संचालित की जाती हैं। पढ़ई तुंहर दुआर के अंतर्गत 22 लाख बच्चों एवं 2 लाख शिक्षकों को सीखने सिखाने की सुविधा है। लॉकडाउन में स्कूल बंद होने के बावजूद बच्चे पढ़ पा रहे थे। सभी अध्ययन सामग्री https://cgschool.in/ Archived 2020-07-12 at the वेबैक मशीन साइट के माध्यम से ऑनलाइन उपलब्ध हैं। ई-क्लास होने के कारण हर कोर्स को बार-बार देखा जा सकता है। इसके तहत लाउडस्पीकर के जरिए ऑफलाइन सीखने की भी सुविधा है।[27]

लॉकडाउन और अनलॉक चरणों के बीच, सरकारी स्कूलों में प्राथमिक और मध्य विद्यालय के बच्चे मोहल्ला कक्षाओं और ऑनलाइन पोर्टल 'पढ़ई तुंहर दुआर' के माध्यम से अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। राज्य भर में मोहल्ला कक्षाओं का समर्थन करने के लिए प्रतिबद्ध शिक्षक और समुदाय आगे आ रहे हैं।[28] कोविड -19 दिशानिर्देशों का पालन करते हुए ऐसी कक्षाओं में व्यापक नवीन गतिविधियां हो रही हैं। 80% से अधिक छात्र मोहल्ला और ऑनलाइन कक्षाओं में भाग लेने से अपनी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।[29]

महतारी दुलार योजना[संपादित करें]

मई 2021 को छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ ‘महतारी दुलार योजना’ का शुभारंभ किया गया है। छत्तीसगढ़ राज्य के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चालू शैक्षणिक सत्र के दौरान कोविड-19 में अनाथ बच्चों को छत्तीसगढ़ महतारी दुलार योजना के तहत राहत देने का ऐलान किया।[30]

योजना के तहत पहली से बारहवीं तक की पढ़ाई का पूरा खर्चा छत्तीसगढ़ सरकार उठाएगी। चाहे पढ़ाई के लिए पुस्तक हो या फिर उनके स्कूल ड्रेस। उन बच्चों को हर महीने स्कॉलरशिप के तौर पर 500 से 1000 तक की राशि भी दी जा रही है।[31] प्रदेश भर से लगभग 3,527 बच्चे ऐसे हैं जिन्हें योजना का लाभ मिलेगा।[32]

स्वास्थ्य नीतियां[संपादित करें]

छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिले में हाट बाजार क्लिनिक में स्वास्थ्य जांच

मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना[संपादित करें]

छत्तीसगढ़ राज्य में 44% वन आवरण है। गौरतलब है कि बड़ी आबादी जंगलों और दूरदराज के इलाकों में रहती है। उपेक्षा और कठिन इलाके के कारण, ऐसे क्षेत्रों में रहने वाली आबादी की गुणवत्ता स्वास्थ्य सुविधा की पहुँच नहीं है। 2 अक्टूबर 2019 को बघेल ने मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लिनिक योजना शुरू की।

यह अभिनव स्वास्थ्य देखभाल योजना लोगों के द्वार पर स्वास्थ्य देखभाल की सुविधा ला रही है। इस योजना के तहत की साप्ताहिक हाट बाज़ारों (स्थानीय बाजारों) में प्रतिनियुक्ति की जाती है, जो वनवासियों द्वारा मामूली वन उपज बेच रहे हैं। विशेषज्ञ डॉक्टरों और आवश्यक उपकरणों के साथ अन्य योग्य कर्मचारियों द्वारा संचालित यह मोबाइल क्लीनिक लोगों को गुणवत्ता, सस्ती स्वास्थ्य देखभाल जांच और दवा प्रदान कर रही है। [33]

मार्च 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, दिसंबर 2020 तक 130,000 लोग इस योजना से लाभान्वित हुए हैं। मुख्यमंत्री ने वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए इस योजना के लिए 13 करोड़ की राशि निर्धारित की है।[34]

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के तहत लाभार्थी महिलाओं एवं बच्चों को कराया जा रहा मध्यान्ह भोजन

मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान[संपादित करें]

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस) - 4 (2015-16) के अनुसार छत्तीसगढ़ भारत के शीर्ष राज्यों में से एक है जहां बच्चों और महिलाओं में उच्च स्तर का कुपोषण और एनीमिया है। महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर 2019 को शुरू की गई।

इस योजना का उद्देश्य छत्तीसगढ़ को कुपोषण और एनीमिया मुक्त राज्य बनाना है। फरवरी 2023 तक इस अभियान के तहत करीब 2.65 लाख बच्चे कुपोषण से मुक्त हुए।[35]

साल 2019 में छत्तीसगढ़ में कुपोषण की दर 23.37 प्रतिशत थी, जो 2021 में घटकर 19.86 प्रतिशत रह गई। वहीं 2022 में घटकर ये आंकड़ा 17.76 प्रतिशत पर आ गया।[36]

दाई-दीदी क्लिनिक[संपादित करें]

मोबाइल मेडिकल यूनिट के अंदर बच्चियों का नि:शुल्क इलाज

छत्तीसगढ़ शासन के नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग द्वारा मुख्यमंत्री दाई-दीदी क्लिनिक योजना संचालित की जा रही है। योजना के तहत दाई-दीदी क्लिनिक की मोबाइल मेडिकल यूनिट के वाहन में महिला चिकित्सकों और स्टाफ की टीम पहुंचती है तथा जरूरतमंद महिलाओं एवं बच्चियों की विभिन्न बीमारियों का नि:शुल्क इलाज कराती है।[37]

योजना के माध्यम से अब तक राज्य में करीब 1,475 कैम्प लगाएं जा चुके हैं और इनसे रायपुर, बिलासपुर एवं भिलाई नगर निगम क्षेत्र की गरीब स्लम बस्तियों में रहने वाली 1 लाख 9 हजार से अधिक महिलाओं एवं बच्चियों का उनके घर के पास ही इलाज किया गया है।[38]

खेलकूद के प्रति प्रोत्साहन[संपादित करें]

छत्तीसगढ़ स्पोर्ट्स हब की ओर आगे बढ़ रहा है। भूपेश बघेल, जिन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला है, पहले ही राज्य की राजधानी रायपुर में 'रोड सेफ्टी वर्ल्ड सीरिज' का सफलतापूर्वक समर्थन और मेजबानी कर चुके हैं।[39]

छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य के अपने ओलंपिक का उद्घाटन किया, जिसे 'छत्तीसगढ़िया ओलंपिक' कहा जाता है, जिसमें लंगड़ी, भौंरा, बांटी (कंचा) और पिट्ठुल जैसे पारंपरिक खेलों की सदियों पुरानी परंपरा को पुनर्जीवित करने का दावा किया गया है।[40]

बघेल ने कहा कि "ये खेल न केवल मनोरंजक हैं बल्कि अच्छे शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए भी फायदेमंद हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में बच्चे, बुजुर्ग और युवा सभी मनोरंजन के लिए और खुद को फिट रखने के लिए इन खेलों में शामिल होंगे।"[41]

स्वच्छता में अग्रणी[संपादित करें]

स्वच्छ सर्वेक्षण ग्रामीण में छत्तीसगढ़ को चार पुरस्कार मिले हैं। टॉप परफार्मिंग राज्य के रूप में छत्तीसगढ़ ने ईस्ट जोन में बाजी मारी है। इसके साथ तीन अन्य कैटेगरी में भी छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. गांधी जयंती पर आयोजित स्वच्छ भारत दिवस 2022 कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने छत्तीसगढ़ को पुरस्कृत किया है। स्वच्छ भारत दिवस कार्यक्रम का आयोजन दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित हुआ।[42]

सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले जिलों में दुर्ग और बालोद ने दूसरा और तीसरा स्थान हासिल किया है। इसके साथ ही ओडीएफ प्लस पर दीवार लेखन प्रतियोगिता में सेंट्रल जोन में छत्तीसगढ़ तीसरे स्थान पर रहा।

आदिवासियों का उत्थान[संपादित करें]

नई सरकार ने बस्तर जिले के लोहंडीगुड़ा के किसानों के इस्पात संयंत्र के लिए अधिग्रहित जमीन लौटाई.

2005 में तत्कालीन सरकार और टाटा स्टील के बीच एक समझौता हुआ, बस्तर क्षेत्र के लोहंडीगुड़ा के आसपास के 10 गाँवों से कृषि भूमि का अधिग्रहण किया गया। ग्रामीणों के विरोध के बावजूद सरकार 5.5 मिलियन टन प्रति वर्ष की क्षमता वाली मेगा इंटीग्रेटेड स्टील प्लांट बनाने के लिए अधिग्रहण के साथ आगे बढ़ी। टाटा स्टील ने 2016 में परियोजना छोड़ने का फैसला किया। सत्ता में आने के तुरंत बाद, मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 1707 आदिवासी परिवारों को 4400 एकड़ जमीन वापस करने का फैसला किया। भूमि को धारा 101 के तहत भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास और पुनर्वास अधिनियम, 2013 में 'उचित मुआवजे और पारदर्शिता के अधिकार' के प्रावधानों के अनुसार तत्काल मालिकों या उनके कानूनी उत्तराधिकारियों को वापस कर दिया गया। धारा 101 में कहा गया है कि यदि अधिग्रहित की गई भूमि पर कब्जा करने की तिथि से 5 वर्ष तक कोई भूमि अधिग्रहित की जाती है, तो उसे उनके कानूनी उत्तराधिकारियों के मूल मालिकों को वापस कर दिया जाएगा।[43]

शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना[संपादित करें]

तेन्दू पत्ता तोड़ती हुई बस्तर की आदिवासी महिलाएं

तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए शहीद महेन्द्र कर्मा तेंदूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना की शुरुआत अगस्त 2020 से की गई। योजना के अंतर्गत 5 अगस्त 2020 से माह दिसम्बर 2021 तक 3,827 प्रकरणों में 57 करोड़ 52 लाख रूपए की राशि का भुगतान किए जा चुके हैं।

योजना के अंतर्गत तेंदूपत्ता संग्रहण में लगे पंजीकृत संग्राहक परिवार के मुखिया, जिनकी आयु मृत्यु दिनांक को 18 से 50 वर्ष तक हो, उसकी सामान्य मृत्यु होने पर उसके द्वारा नामांकित व्यक्ति अथवा उत्तराधिकारी को दो लाख रूपए की सहायता अनुदान राशि प्रदान की जाती है। दुर्घटना से मृत्यु होने पर दो लाख रूपए की राशि अतिरिक्त रूप से प्रदान की जाती है। दुर्घटना से पूर्ण निःशक्तता की स्थिति में दो लाख रूपए तथा आंशिक निःशक्तता की स्थिति में एक लाख रूपए की सहायता अनुदान राशि दुर्घटनाग्रस्त पात्र तेंदूपत्ता संग्राहक को प्रदान की जाती है। इसी तरह तेंदूपत्ता संग्रहण में लगे पंजीकृत संग्राहक परिवार के मुखिया, जिनकी आयु मृत्यु दिनांक को 51 से 59 वर्ष के बीच हो, उसकी सामान्य मृत्यु होने पर उसके द्वारा नामांकित व्यक्ति अथवा उत्तराधिकारी को 30 हजार रूपए तथा दुर्घटना से मृत्यु होने पर 75 हजार रूपए की सहायता अनुदान राशि प्रदान की जाती है। दुर्घटना में पूर्ण निःशक्तता की स्थिति में 75 हजार रूपए तथा आंशिक निःशक्तता की स्थिति में 37 हजार 500 रूपए की सहायता अनुदान राशि दुर्घटनाग्रस्त पात्र तेंदूपत्ता संग्राहक को प्रदान की जाती है।

वर्तमान में भूपेश बघेल छत्‍तीसगढ़ राज्‍य के मुख्‍यमंत्री हैं। इन्‍हें राज्‍य का एक बहुत ही लोकप्रिय मुख्‍यमंत्री माना जा रहा है। इसका कारण यह है कि मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्‍य की बागडोर संभालने के बाद बहुत सी जन कल्‍याणकारी योजनाओं को लागू किया है। राजीव गांधी किसान न्‍याय योजना कई मायनों में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्धारा संचालित प्रधानमंत्री किसान सम्‍मान निधि योजना से अधिक आकर्षक योजना है। किसान न्‍याय योजना के तहत किसानों के खाते में सालाना 7500 रूपयेे भेजे जाते हैं जबकि पीएम किसान सम्‍मान निधि योजना Archived 2022-10-28 at the वेबैक मशीन के तहत मात्र 6000 रूपये सालाना भेेजे जाने की व्‍यवस्‍था है। इसी प्रकार उनके द्धारा नरवा गरवा घरवा बाड़ी योजना को भी लागू किया है। यह योजना विशेष रूप से छत्‍तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में रहने वाले नागरिकों के लिये है। यह योजना छत्‍तीसगढ़ राज्‍य के 4 प्रतीकों से प्रेरित है। नरवा (नाला) गरवा (पशु तथा गौठान) घरवा (उर्वरक) तथा बाड़ी (बाग) इस योजना के प्रतीक हैं। इस योजना की तरीफ स्‍वयं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मुख्‍यमंत्रियों की बैठक के दौरान कर चुके हैं। इसी प्रकार राज्‍य के कुपोषण के शिकार लोगों के लिये मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने मधुर गुड़ योजना को भी राज्‍य में लागू किया है। मधुर गुड़ योजना के तहत राज्‍य के गरीब परिवारों तथा कुपोषित आदिवासी महिलाओं को 17 रूपये प्रति किलो की दर से प्रतिमाह 2 किलो गुड़ प्रदान किया जाता है। इसका कारण यह है कि गुड़ को आयरन का प्रमुख स्रोत माना जाता है। चूंकि आयरन की कमी से महिलाओं तथा बालिकाओं के अंदर खून की कमी हो जाती है। इसी बात को मददेनजर रखते हुये छत्‍तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने राज्‍य के गरीब लोगों को सस्‍ती दर पर गुड़ उपलब्‍ध कराने का निर्णंय लिया है। इसी प्रकार जून 2019 से छत्‍तीसगढ़ राज्‍य में हॉट बाजार क्‍लीनिक भी संचालित कियेे जा रहे हैं। छत्‍तीसगढ़ में आदिवासी समाज के द्धारा साप्‍ताहिक हॉट बाजार लगाये जाने की परंपरा है। इन बाजारोें में सुदूर गहरे वनों में रहने वाले आदिवासी अपना सामान बेंचनें शहरों व गांवों में आते हैं। इन आदिवासियों को सरकारी स्‍वास्‍थ्‍य सेवायें हॉट बाजार क्‍लीनिक योजना के तहत प्रदान की जा रही हैं। हॉट बाजार क्‍लीनिक एक प्रकार के चलते फिरते अस्‍पताल हैं, जो हॉट बाजार में जाकर स्‍वास्‍थ्‍य सेवायें प्रदान करते हैं। भूपेश बघेेेल राज्‍य के लोगों के स्‍वास्‍थ्‍य के प्रति बहुत संवेदनशील हैं। इसीलिये उन्‍होंनें खूबचंद बघेल स्‍वास्‍थ्‍य सहायता योजना को भी राज्‍य में लागू किया है। इस योजना का दायरा बहुत बड़ा है। इस योजना को आयुष्‍मान भारत योजना से 4 गुना अधिक बड़ी योजनाा का दर्जा प्राप्‍त है। मुख्‍यमंत्री भूपेश बघेल ने इस योजना में राज्‍य में चल रहींं अन्‍य सभी योजनाओं को समाहित कर दिया है। इस योजना के तहत राज्‍य के लोगों को आयुष्‍मान भारत योजना से 4 गुना अधिक लाभ प्राप्‍त होता है। छत्‍तीसगढ़ मेंं वन क्षेत्र अधिक होने के कारण यहां जंगली जानवरों की भी बहुतायत है। इसी बात को मददेनजर रखते हुये यहां गजराज योजना संचालित की जा रही है। ताकि इंंसानों तथा जंगली पशुओं के बीच होने वाले संघर्ष को टाला जा सके। गजराज योजना के तहत जंगली हाथियों पर नजर रखी जाती है वहीं जामवंत योजना के तहत जंगली भालुओं को गांवों में आने पर पुन: जंगलों की ओर भेजा जाता है। इसके अलावा छत्‍तीसगढ़ सरकार राज्‍य में परंपरागत व्‍यवसाय से जुडे़ आदिवासी समुदाय / ग्रामीणों तथा बेरोजगार युवक - युवतियों के लिये पौनी पसारी योजना का भी संचालन कर रही है। इस योजना के तहत पारंपरिक कलाओं से संबंधित उत्‍पाद बनाने तथा बेंचने वाले लोगों को शहरी इलाकों में चबूतरे / शेड आदि पर स्‍थान उपलब्‍ध कराया जाता है। जिससे पारंपरिक कलाओं से संबंधित उत्‍पादों को बड़ा बजार मिल रहा है। धनवंंतरी मेडिकल स्‍टोर योजना के तहत छत्‍तीसगढ़ में शहरी इलाकों में जैनेरिक मेडिकल स्‍टोर खोले जा रहे हैं। इन दवाखानों पर बहुत ही सस्‍ती कीमत पर जरूरी दवायें लोगों को उपलब्‍ध हो रही हैं। ग्रामीण इलाकों के लोग भी इन मेडिकल स्‍टोर्स पर आकर सस्‍ती दर पर जरूरी दवायें खरीद सकते हैं। देश के अन्‍य राज्‍य की तरह छत्‍तीसगढ़ में आवारा पशुओं की समस्‍या गंभीर है। लेकिन मुख्‍यमंत्री भूपेश वघेल ने आवारा गौवंश की सुरक्षा के लिये बहुत ही जरूरी कदम उठाये हैं। उन्‍होंनें आवारा गायों तथा भैंसों को ग्रामीण अर्थव्‍यवस्‍था की मुख्‍य धुरी बना दिया है। उन्‍होंनें आवारा पशुओं की समस्‍या से छुटकारा पाने के लिये राज्‍य में गोधन न्‍याय योजना की शुरूआत की है। इस योजना के तहत सरकार 2 रूपये प्रति किलो की दर से गोबर की खरीद करती है। जिससे राज्‍य के पशुपालकों को पशुओं के गोबर से अतिरिक्‍त आय होने लगी है। चूंकि भूपेश वघेल एक बहुत ही नम्र और संवेशील व्‍यक्ति हैं, इसलिये कोरोना महामारी से जूझ रहे परिवारों की समस्‍या को देख वह दुखी हो गये थे। कोविड़-19 बीमारी के कारण अनाथ हो गये बच्‍चों की सुरक्षा व शिक्षा आदि के लिये उन्‍होंनें महतारी दुलार योजना लांच की थी। इस योजना के तहत कोरोना के कारण अपने माता पिता को खो चुके बच्‍चों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

ऊपर वर्णित सभी काम भूपेश बघेल के मुख्‍यमंत्रित्‍व काल में ही संभव हुये हैं। काम के प्रति उनके समर्पंण ने उनकी पूरे देश में एक अलग पहचान कायम की है। उनकेे द्धारा लागू योजनाओं की सराहना पूरे देश में की जा रही है। बल्कि अन्‍य प्रदेशों के मुख्‍यमंत्री भी इस प्रकार की योजनाओं को अपने प्रदेश में लागू करने पर विचार कर रहे हैं।

संदर्भ[संपादित करें]

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