राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना

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राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (National Apprenticeship Promotion Scheme /NAPS) भारत सरकार की एक योजना है जो भारत में प्रशिक्षुता को बढ़ावा देने के लिए उद्देश्य से लागू की गयी है। यह योजना 19 दिसंबर, 2016 को कानपुर में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आरम्भ की गयी और इसके तहत 15 प्रतिष्ठानों को प्रतिपूर्ति चेक का वितरण किया गया। यह योजना 19 अगस्त, 2016 से प्रभावी है। इस योजना ने पहले से चल रही प्रशिक्षु प्रोत्साहन योजना (Apprenticeship Incentive Plan-AIP) का स्थान लिया है।

योजना का परिव्यय 10,000 करोड़ रुपये है। योजना का लक्ष्य वर्ष 2019-2020 तक 50 लाख प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षित करना है। यह पहली योजना है जिसमें प्रशिक्षुओं के प्रशिक्षण में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए नियोक्ताओं को वित्तीय प्रोत्साहन देने की व्यवस्था है।

केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और चार या अधिक राज्यों में सक्रिय निजी प्रतिष्ठानों के लिए इस योजना योजना का क्रियान्वयन ‘क्षेत्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण निदेशालयों’ (RDATs) द्वारा किया जाएगा। जबकि राज्यों के सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों और निजी क्षेत्र के प्रतिष्ठानों हेतु योजना का क्रियान्वयन राज्य प्रशिक्षुता सलाहकारों द्वारा अपने संबंधित राज्यों में किया जाएगा।

भूमिका[संपादित करें]

आदिकाल से ही कौशल का स्‍थानांतरण प्रशिक्षुओं (Trainee) की परम्‍परा के माध्‍यम से होता आ रहा है। एक युवा प्रशिक्षु एक मास्‍टर दस्‍तकार से कला सीखने की परम्‍परा के तहत काम करेगा, जबकि मास्‍टर दस्‍तकार को बुनियादी सुविधाओं के माध्यम से प्रशिक्षु को प्रशिक्षण देने के बदले में श्रम का एक सस्‍ता साधन प्राप्‍त होगा। कौशल विकास की इस परम्‍परा के द्वारा नौकरी हेतु प्रशिक्षण देना समय की कसौटी पर खरा उतरा है और यही दुनिया के अनेक देशों में कौशल विकास कार्यक्रमों का आधार भी बना है।

उल्लेखनीय है कि विश्व के अनेक देशों में प्रशिक्षुता मॉडल को लागू किया जा रहा है। जापान में १ करोड़ से अधिक प्रशिक्षु हैं, जबकि जर्मनी में ३० लाख, अमेरिका में ५ लाख प्रशिक्षु हैं। जबकि भारत जैसे विशाल देश में केवल ३ लाख प्रशिक्षु ही मौजूद हैं। भारत की वृहद जनसंख्‍या को देखते हुए देश में १८ से ३५ वर्ष की आयु वर्ग के ३० करोड़ लोग मौजूद होने के बावजूद इतने कम प्रशिक्षु ही मौजूद हैं। देश में उपस्थित इसी क्षमता का आकलन करते हुए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने कुशल भारत अभियान (Skill India Program) तथा कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (Ministry of Skill Development and Entrepreneurship) का नवंबर, 2014 में गठन किया।

इस अभियान का उद्देश्‍य भारत को दुनिया के कौशल राजधानी के रूप में विकसित करना है

इसके साथ-साथ देश में प्रशिक्षु के मॉडल को अपनाने की भावना को बढ़ावा देने के लिये निम्न दो प्रमुख कदम भी उठाए गए हैं –प्रशिक्षु अधिनियम (Apprentices Act 1961) में संशोधन तथा प्रशिक्षु प्रोत्‍साहन योजना (Apprenticeship Promotion Scheme) की जगह राष्‍ट्रीय प्रशिक्षु प्रोत्‍साहन योजना (National Apprenticeship Promotion Scheme) की शुरुआत करना।

योजना के घटक[संपादित करें]

इस योजना के निम्नलिखित दो घटक हैं-

  • (१) योजना के तहत एक प्रशिक्षु को दिए जाने वाले कुल वजीफे (Stipend) का 25 प्रतिशत (अधिकतम 1500 रु.) प्रति माह भारत सरकार द्वारा सीधे उनके नियोक्ताओं को प्रदान किया जाएगा।
  • (२) योजना के तहत भारत सरकार द्वारा बुनियादी प्रशिक्षण प्रदाताओं (BTP) को अप्रशिक्षित प्रशिक्षुओं के बुनियादी प्रशिक्षण लागत (अधिकतम 500 घंटे/3 माह की अवधि हेतु 7500 रु. प्रति प्रशिक्षु की सीमा तक) की प्रतिपूर्ति की जाएगी।

विशेषताएं[संपादित करें]

  • इस योजना के लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रशिक्षुता अधिनियम, 1961 में संशोधन करके 5 दिसंबर, 2014 को ‘प्रशिक्षुता (संशोधन) अधिनियम, 2014’ को अधिसूचित किया गया। यह अधिनियम 22 दिसंबर, 2014 से प्रभावी हुआ।
  • योजना के तहत वर्ष 2016-17 में 5 लाख प्रशिक्षुओं, वर्ष 2017-18 में 10 लाख प्रशिक्षुओं, वर्ष 2018-19 में 15 लाख प्रशिक्षुओं और 2019-20 में 20 लाख प्रशिक्षुओं को शामिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।
  • अप्रशिक्षित (Fresher) प्रशिक्षुओं की भागीदारी कुल वार्षिक लक्ष्य का 20 प्रतिशत होगी।
  • मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा प्रशासित योजना के अंतर्गत आच्छादित स्नातक, तकनीशियन एवं तकनीशियन (व्यावसायिक) प्रशिक्षुओं के अतिरिक्त ‘राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना’ के तहत सभी श्रेणी के प्रशिक्षुओं को शामिल किया जाएगा।
  • नए प्रशिक्षु के संबंध में बुनियादी प्रशिक्षण की लागत को साझा किया जाएगा (विशेषकर उनके लिये जो बिना किसी औपचारिक प्रशिक्षण के सीधे आए थे)। नियोक्ता के लिये निर्धारित वज़ीफे के 25 प्रतिशत (अधिकतम 1500 रुपये प्रति माह प्रति प्रशिक्षु) की प्रतिपूर्ति सुनिश्चित की गई है।
  • रक्षा मंत्रालय ने भी इस योजना के लिये अपना समर्थन दिया है। रक्षा मंत्रालय ने अपने अंतर्गत आने वाली सभी पीएसयू कंपनियों को कुल कर्मचारियों में से 10 फीसदी प्रशिक्षु शामिल करने को कहा है।

प्रशिक्षु अधिनियम 1961[संपादित करें]

प्रशिक्षु अधिनियम, 1961 को नौकरी हेतु प्रशिक्षण देने के लिए उपलब्‍ध सुविधाओं का उपयोग करते हुए उद्योग में प्रशिक्षु के प्रशिक्षण को नियमित करने के उद्देश्‍य से विनियमित किया गया था। इस अधिनियम के तहत नियोक्ताओं के लिये एक अनिवार्य प्रावधान किया गया है जिसके अन्तर्गत नियोक्ता प्रशिक्षुओं को उद्योग में काम करने के लिये प्रशिक्षण सुनिश्चित करेंगे ताकि स्कूल छोड़ने वालों और आईटीआई से उत्तीर्ण होने वाले लोगों को बेहतर रोज़गार के अवसर प्राप्त हो सकें। गौरतलब है कि इनमें स्नातक इंजीनियर, डिप्लोमा और प्रमाणपत्र धारक व्यक्तियों का कुशल श्रम आदि का विकास किया जाएगा।

ध्यातव्य है कि पिछले कुछ दशकों के दौरान प्रशिक्षु प्रशिक्षण योजना (Apprenticeship Training Scheme-ATS) का प्रदर्शन भारत की अर्थव्यवस्था के अनुरूप नहीं रहा है। इसके अतिरिक्त यह भी पाया गया है कि उद्योगों में उपलब्ध प्रशिक्षण सुविधाओं का सटीक एवं उचित इस्तेमाल भी नहीं किया जा रहा है, जिसके कारण बेराजगार युवा एटीएस के लाभ से वंचित रह जाते हैं।

एटीएस के विषय में प्राप्त शिकायतों के आधार पर प्रशिक्षु अधिनियम, 1961 के प्रावधानों में वर्ष 2014 में कुछ संशोधन किये गए हैं। इन संशोधनों ने 22 दिसंबर, 2014 से प्रभावी रूप धारण कर लिया है।

संशोधन के बिंदु
  • नए संशोधनों में यह सुनिश्चित किया गया है कि प्रशिक्षु अधिनियम के तहत अब कारावास का प्रावधान निहित नहीं किया जाएगा (ध्यातव्य है कि इससे पहले 6 माह के कारावास का प्रावधान था)।
  • वर्तमान में यदि कोई व्यक्ति इस अधिनियम में वर्णित प्रावधानों की अवहेलना करता है तो उस पर केवल आर्थिक जुर्माना लगाया जाएगा।
  • नए संशोधनों में कामगार की परिभाषा को व्यापक बनाया गया है। साथ ही प्रशिक्षुओं की नियुक्ति की संख्या तय करने के तरीके में भी परिवर्तन किया गया है। इन संशोधनों के माध्यम से यह सुनिश्चित किया जाएगा कि नियोक्ता बड़ी संख्या में प्रशिक्षुओं को नियुक्त करने में कोई आनाकानी न करें।
  • इन संशोधनों में एक वेब पोर्टल बनाने का प्रावधान भी किया गया है ताकि दस्तावेज़ों, संविधाओं और कराधान आदि को इलेक्ट्रानिक रूप से सुरक्षित किया जा सके।

वृहद रूप में उपरोक्त संशोधनों का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि नियोक्ताओं द्वारा एक बड़ी संख्या में प्रशिक्षुओं की नियुक्ति की जा सके। इसके अलावा संशोधनों के तहत नियोक्ताओं को प्रोत्साहित करने पर भी बल दिया जाएगा ताकि वे प्रशिक्षु संबंधी अधिनियमों का ईमानदारी से अनुपालन करें।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]