नाग मणि

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नागमणि

नागमणि किसी जन्तु की हड्डी या पत्थर को कहते हैं। अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका और एशिया में सर्प दंश की लोकचिकित्सा में इसका उपयोग होता है।[1][2]<ref name="indianpediatrics">B. Adhisivam; S. Mahadevan (2006). "Snakebite Envenomation in India: A Rural Medical Emergency". Indian Pediatrics. 43 (6): 553–4. PMID 16820669. अभिगमन तिथि 2010-10-15.</ref12

भारतीय लोकजीवन में नागमणि[संपादित करें]

नागमणि को भगवान शेषनाग धारण करते हैं। भारतीय पौराणिक और लोक कथाओं में नागमणि के किस्से आम लोगों के बीच प्रचलित हैं। नागमणि सिर्फ नागों के पास ही होती है। नाग इसे अपने पास इसलिए रखते हैं ताकि उसकी रोशनी के आसपास इकट्ठे हो गए कीड़े-मकोड़ों को वह खाता रहे। हालांकि इसके अलावा भी नागों द्वारा मणि को रखने के और भी कारण हैं।

नागमणि का रहस्य आज भी अनसुलझा हुआ है। आम जनता में यह बात प्रचलित है कि कई लोगों ने ऐसे नाग देखे हैं जिसके सिर पर मणि थी। हालांकि पुराणों में मणिधर नाग के कई किस्से हैं। भगवान कृष्ण का भी इसी तरह के एक नाग से सामना हुआ था।

छत्तीसगढ़ी साहित्य और लोककथाओं में नाग, नागमणि और नागकन्या की कथाएं मिलती हैं। मनुज नागमणि के माध्यम से जल में उतरते हैं। नागमणि की यह विशेषता है कि जल उसे मार्ग देता है। इसके बाद साहसी मनुज महल में प्रस्थित होकर नाग को परास्त कर नागकन्या प्राप्त करता है।

नागमणि के चमत्कार : नागमणि के बारे में कहा जाता है कि यह जिसके भी पास होती है उसकी किस्मत बदल जाती है। कहते हैं कि नागमणि में अलौकिक शक्तियां होती हैं। उसकी चमक के आगे हीरा भी फीका पड़ जाता है। मान्यता अनुसार नागमणि जिसके भी पास होती है उसमें भी अलौकिक शक्तियां आ जाती हैं और वह आदमी भी दौलतमंद हो जाता है। मणि का होना उसी तरह है जिस तरह की अलादीन के चिराग का होना। हालांकि इसमें कितनी सच्चाई है, यह कोई नहीं जानता।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. BBC News (2005-05-02). "Search for a snakebite cure". अभिगमन तिथि 2007-03-06.
  2. Tagne, Jean-Bruno. "Pierre noire : Cet aspirateur de venins / Black Stone: This vacuum cleaner of venoms" (French में). मूल से 2007-09-29 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2007-03-06.सीएस1 रखरखाव: नामालूम भाषा (link)