साहित्य का समाजशास्त्र

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साहित्य का समाजशास्त्र साहित्य और समाज के संबंधों का अध्ययन करने वाला शास्त्र है। [1] इसके अंतर्गत शैली अध्ययन भी होने लगा है। इसकी उत्पत्ति अमेरिका में हुई थी। समाजशास्त्रियों का यह प्रयास रहा है कि मार्क्सवादी समाजशास्त्र को भी इसी में सम्मिलित कर लिया जाए। यह साहित्य की का अध्ययन और मूल्यांकन की एक शाखा है।

इतिहास[संपादित करें]

साहित्य के समाजशास्त्र को शुरुआती रूप से 17-18 वीं शताब्दी के साहित्य के इतिहासों में देखा जा सकता है। इस संदर्भ में मादाम दा स्ताल (1766 से 1817) का नाम विशेष उल्लेखनीय है। इससे पहले जर्मन दार्शनिक वी हार्डर अपनी पुस्तक नया विज्ञान (1725) में समाज और साहित्य के संबंधों की चर्चा कर चुके थे।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. अमरनाथ (2012). हिंदी आलोचना की पारिभाषिक शब्दावली. नई दिल्ली: राजकमल प्रकाशन. पृ॰ 378. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-267-2207-5.