आगरा लखनऊ द्रुतगामी मार्ग

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आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे
नक्शा

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे
मार्ग की जानकारी
लंबाई: 302 कि॰मी॰ (188 मील)
अस्तित्व में: २ अप्रैल २०१७[1] – present
प्रमुख जंक्शन
आरम्भ: आगरा
तक: लखनऊ


आगरा लखनऊ द्रुतगामी मार्ग एक ३०२ किलोमीटर लम्बा नियंत्रित-पहुंच द्रुतमार्ग या एक्सप्रेसवे है, जो भीड़ग्रस्त सड़कों पर यातायात के साथ साथ ही प्रदूषण और कार्बन पदचिह्नों को भी कम करने के लिए उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण[2] द्वारा निर्मित है। यह भारत का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे है।[3] इस द्रुतमार्ग ने आगरा और लखनऊ के बीच की दूरी को काफी कम कर दिया है। यह ६-लेन चौड़ा है, और भविष्य में ८-लेन तक विस्तरित हो सकता है। २१ नवंबर २०१६ को उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री, अखिलेश यादव द्वारा इसका उद्घाटन किया गया था।[3]

मार्ग[संपादित करें]

यह द्रुतमार्ग आगरा और लखनऊ को शिकोहाबाद, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कानपुर, बांगरमऊ, उन्नाव और हरदोई इत्यादि नगरों से जोड़ता है। एक्सप्रेसवे आगरा के निकट गांव इतदपुर मद्रा में शुरू होता है, और दस जिलों के २३१ गांवों से होते हुए,[3] लखनऊ के मोहन रोड के पास गांव सरोसा भरोसा में समाप्त होता है।[4] यह द्रुतमार्ग आगरा रिंग रोड के माध्यम से यमुना द्रुतगामी मार्ग से जुड़ा हुआ है और इस प्रकार ग्रेटर नोएडा, एनसीआर और लखनऊ के बीच वाया आगरा एक्सप्रेसवे लिंक प्रदान करता है। पूरे मार्ग पर ६० मीटर से लंबे १३ पुल तथा इससे छोटे ५४ पुल हैं। इसके अतिरिक्त ४ रेलवे ओवर ब्रिज भी बनाए गये हैं।[5]

उद्देश्य[संपादित करें]

द्रुतमार्ग के उद्देश्य निम्नानुसार हैं:

  • यात्रा के समय को कम करने के लिए एक तीव्र गति का कॉरिडोर प्रदान करना.
  • यमुना के उत्तरी हिस्से पर मुख्य नगरों एवं वाणिज्यिक केंद्रों को जोड़ना.
  • राष्ट्रीय राजमार्ग ९१ को राहत देना, जो पहले से ही भीड़ग्रस्त है और अलीगढ, एटा और बांगरमऊ उन्नाव जैसे शहरों के केंद्र से होकर गुजरता है।
  • लखनऊ और आगरा के बीच यात्रा करने वाले वाहनों (वाणिज्यिक और साथ ही ताजमहल में आने वाले पर्यटकों के) के प्रदूषण और कार्बन पदचिह्न को कम करना।
  • पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के कृषि, बागवानी और दुग्ध उत्पादों को तेजी से बड़े शहरों में स्थानांतरित करने में सक्षम करना।
  • यमुना नदी में बाढ़ और अन्य आपातकाल के दौरान प्रभावित इलाकों में आपूर्ति की गति को प्रभावित करना।
  • निवेशकों को बड़े पैमाने पर आकर्षित कर राज्य के विकास के लिए एक नई दिशा बनाना।

निर्माण[संपादित करें]

द्रुतमार्ग पर शिकोहाबाद-उन्नाव के बीच निर्माण कार्य
आगरा-लखनऊ द्रुतगामी मार्ग

द्रुतमार्ग का निर्माण उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने स्वयं अपनी देखरेख में पीपीपी (पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप) मॉडल पर करवाया है।[6] परियोजना की लागत १५,००० करोड़ रूपये (२.३ बिलियन अमरीकी डॉलर) होने की उम्मीद थी,[7] लेकिन यह मात्र १३,२०० करोड़ रूपये (२.१ बिलियन अमेरिकी डॉलर) और २२ महीनों के रिकार्ड समय में ही पूरा हो गया।[8] इस एक्सप्रेसवे ने लखनऊ और आगरा के बीच यात्रा का समय ६ घंटे से ३:३० घंटों तक कम कर दिया। द्रुतमार्ग की चौड़ाई ६-लेन है, परन्तु भविष्य में ८ लेन तक विस्तरित होने की इसकी संभावनाओं को ध्यान में रखते हुए इस पर सभी संरचनाएं (प्रमुख पल, छोटे पुल और अंडरपास) पहले से ही 8-लेन चौड़े बनाये जा चुके हैं।[9]

आगरा-लखनऊ द्रुतगमी मार्ग का निर्माण 'न्यूनतम दूरी और न्यूनतम कृषि भूमि' फार्मूला पर प्रस्तावित था और इसे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वित्तपोषित किया गया।[10] हालांकि एक्सप्रेस-वे पूरी तरह से ईको फ्रेंडली बनाया जाना था, फिर भी २७ हजार ५८२ पेड़ों को निर्माण के समय काटा गया।[11] एक्सप्रेसवे में सभी सार्वजनिक सुविधाएं हैं जैसे कि अंडरपास, सर्विस सड़कों, ग्रीन बेल्ट, बाकी घरों, पेट्रोल पम्प, सर्विस सेंटर, रेस्तरां और इन सब के अतिरिक्त दृत्मार्ग पर ही दूध, आलू, अनाज, फलों और सब्जियों के लिए चार कृषि मंडियों के बनाने लिए प्रावधान हैं। आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को ग्रीनफील्ड परियोजना माना जाता है क्योंकि मौजूदा भवनों या बुनियादी ढांचों से काम के समां कोई दिक्कत नहीं हुई।

लखनऊ एक्सप्रेसवे के लिए जमीन अधिग्रहण का काम २ सितंबर २०१३ से ही शुरू हो गया था।[12] उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईआईडीएए) ने लगभग ३१२७ हेक्टेयर जमीन बिना किसी असंतोष के खरीद ली थी, और ग्रामीण इलाकों में जमीन के मालिकों को चार बार और सीआर में शहरी हिस्से में दो बार सीआर का भुगतान करने का फैसला किया। २०१५ तक भूमि अधिग्रहण विधि के माध्यम से बाकी जमीन का भी अधिग्रहण किया गया।[12][13] २०१५ में उत्तर प्रदेश सरकार ने इस मार्ग पर पीएसी की तीन बटालियन तैनात करने का फैसला कर दिया।[14]

चरण दूरी अनुमानित लागत निर्माणकर्ता कंपनी
पहला आगरा से फिरोजाबाद (५५ किमी) १६३५.७५ करोड़ रुपए पीएनसी इंफ्राटेक लिमिटेड
दूसरा फिरोजाबाद से इटावा (६२ किमी) १९९९.४९ करोड़ रुपए एफकॉन इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड
तीसरा इटावा से कन्नौज (५७ किमी) १६७४.८१करोड़ रुपए एनएनसी लिमिटेड
चौथा कन्नौज से बांगरमऊ (६४ किमी) २१२४.१७ करोड़ रुपए एफकॉन इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड
पांचवाँ बांगरमऊ से लखनऊ (६३ किमी) १६३० करोड़ रुपए लॉर्सन और टर्बो लिमिटेड

समयचक्र[संपादित करें]

  • नवंबर २०१३: कोई भी डेवलपर इस ९००० करोड़ रुपए की परियोजना के लिए "बिल्ड, ओन, ऑपरेट और ट्रांसफर" आधार पर बोली लगाने को तैयार नहीं था।[15] डेवलपरों को एक्सप्रेसवे भर में मुक्त भूमि पार्सल के प्रावधान को बहिष्कृत करना इस परियोजना से दूर होने के लिए डेवलपर कंपनियों की मुख्य चिंता थी।
  • जून २०१४: गोयूपी (GoUP) ने डेवलपर कंपनियों के लिए पूरे द्रुतमार्ग में मुक्त भूमि के पार्सल के प्रावधान के बिना, निजी वित्तपोषित आधार की बजाय राज्य सरकार के वित्तपोषण के माध्यम से इस परियोजना को अंजाम देने का फैसला किया।[10] गोयूपी ने ६ लेन के आगरा लखनऊ एक्सप्रेसवे को ५ खण्डों में विभाजित करके बोली लगाई। इसके बाद, २४ कंपनियों ने एक्सप्रेसवे के पांच अलग-अलग खण्डों के लिए आवेदन जमा कर दिए।
  • अगस्त २०१४: बोली प्रक्रिया के माध्यम से उन सभी कंपनियों का चुनाव हो चूका था, जो एक साथ इन पांच वर्गों में से प्रत्येक को क्रियान्वित करेंगे। ये पांच खंड थे: आगरा-फिरोजाबाद (55.3 किमी, टाटा प्रोजेक्ट्स लिमिटेड), फिरोजाबाद-इटावा (62 किमी, अफकोन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड), इटावा-कन्नौज (57 किमी, नागार्जुन) निम्नलिखित वर्गों का विकास कर रहे वर्गों, इसकी लंबाई और डेवलपर निम्नलिखित हैं: निर्माण कंपनी), कानोज-उन्नाव (64 किमी, अफकोन्स इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड), उन्नाव-लखनऊ (63 किमी, लार्सन एंड टुब्रो)[3]
  • सितंबर २०१४: परियोजना के लिए जरूरी भूमि का ५०% अधिग्रहित हो चुका था।[16]
  • नवंबर २०१४: योजना की नींव रखी गयी। इस १५,००० करोड़ रुपये की परियोजना के लिए ७,००० एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। परियोजना के पूरा होने का लक्ष्य २२ माह निर्धारित किया गया।[17]
  • मई २०१५: यमुना और गंगा नदियों पर दो प्रमुख पुलों पर काम शुरू हुआ।[18] उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने कहा कि द्रुतमार्ग अक्टूबर २०१६ के अंत तक परिचालन योग्य हो जाएगा।[19]
  • फरवरी २०१६: द्रुतमार्ग की कार्य प्रगति गूगल मानचित्र और बिंग मैप्स पर देखी जा सकती थी, कुछ हिस्सों को छोड़कर, कुबेरपुर (आगरा के निकट यमुना एक्सप्रेसवे के अंत में) से लखनऊ तक गूगल मानचित्र पर पूरे खंड देखइ जा सकते थे। [20] [21]
  • नवम्बर २०१६: २१ नवंबर २०१६ को सीएम अखिलेश यादव द्वारा एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया गया।[22]
  • दिसंबर २०१६: द्रुतमार्ग को आंशिक रूप से लखनऊ से शिकोहाबाद तक जनता के लिए खोल दिया गया था। २३ दिसंबर २०१६ तक, केवल हल्के वाहनों को ही चलने की अनुमति दी गई थी।[23]
  • फरवरी २०१७: द्रुतमार्ग को लखनऊ से आगरा तक २३ फरवरी २०१७ को जनता के लिए खोल दिया गया, लेकिन तब भी कुछ जगहों पर निर्माण कार्य चल ही रहा था।[24]

विवाद[संपादित करें]

२०१४ में फिरोजाबाद के एक दर्जन से अधिक किसानों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी कि उनकी आपत्तियों का निस्तारण किए बिना ही सरकार लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे का निर्माण करा रही है।[25] अप्रैल २०१५ में कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था।[25]

जुलाई २०१५ में तत्कालीन आईएएस, सूर्य प्रताप सिंह ने दावा किया था कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे परियोजना में भूमि क्रय /अधिग्रहण घोटाले, भूमाफियाओं के साथ मिलकर रियल एस्टेट घोटाले, लागत मूल्य घोटाले व टेंडर प्रक्रिया घोटाला किया गया है।[26] इसके बाद अगस्त में उन्नाव के बांगरमऊ क्षेत्र में एक अंडर पास के निर्माण के समय जाल के नीचे गिरने से वहां काम कर रहे तीन मजदूरों की मौत हो गई थी।[27][28]

यह आरोप भी लगाया गया था कि मार्ग के लिए खरीदी गयी ३,५०० हेक्टेयर भूमि में से कुछ भूमि की पर उन अधिकारियों द्वारा कीमत में इज़ाफ़ा किया गया, जिन्होंने भूमि मालिकों से रिश्वत प्राप्त की थी। कई खेतों को आवासीय इलाके के रूप में सूचीबद्ध किया गया था, जिससे उन्हें उनका अधिक उच्च मूल्य मिला। [29]

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 24 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 अक्तूबर 2017.
  2. "Agra to Lucknow Access Controlled Expressway (Green Field) Project". UPEIDA. मूल से 12 जुलाई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 February 2016.
  3. "देश के सबसे बड़े आगरा एक्सप्रेस-वे का सीएम अखिलेश करेंगे उद्घाटन". लखनऊ: दैनिक भास्कर. २३ नवंबर २०१४. मूल से 2 जनवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३० सितम्बर २०१७.
  4. "Govt to rope in Spanish co for Lko-Agra expressway". Times of India. 29 January 2015. मूल से 30 जनवरी 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 July 2015.
  5. त्रिपाठी, आनंद (३ मार्च २०१६). "प्री कास्ट गर्डर बने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे के संकटमोचक". उन्नाव: नवभारत टाइम्स. मूल से 11 जुलाई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३० सितम्बर २०१७.
  6. शुक्ल, शंभूनाथ. "अब सुरक्षित सफर की हो बात". २१ दिसंबर २०१४: दैनिक ट्रिब्यून. अभिगमन तिथि ३० सितम्बर २०१७.सीएस1 रखरखाव: स्थान (link)
  7. "Agra-Lucknow Expressway to be operational by Oct 2016". Business Standard. 20 May 2015. मूल से 2 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 February 2016.
  8. "संग्रहीत प्रति". मूल से 15 फ़रवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जनवरी 2019.
  9. "Lucknow-Agra e-way structures to be expanded up to eight lanes". द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया. 20 May 2015. मूल से 6 जनवरी 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2015-07-01.
  10. "UP government plans to develop industrial zones at 43 stations of eastern dedicated freight corridor". Times of India. 25 June 2014. मूल से 15 सितंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 July 2015.
  11. मिश्रा, नवल (२८ जनवरी २०१५). "आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे लेगा हजारों पेड़ों की बलि". लखनऊ: दैनिक भास्कर. अभिगमन तिथि ३० सितम्बर २०१७.
  12. भटनागर, संजय (२२ मार्च २०१५). "लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे के लिए जमीन अधिग्रहण का काम 7 महीने में हुआ पूरा". लखनऊ: दैनिक भास्कर. मूल से 22 जून 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 30 सितम्बर 2017.
  13. "Land acquisition: Modi to learn a lesson from Akhilesh". Bennett, Coleman & Co. Ltd. 28 May 2015. मूल से 6 अगस्त 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2 February 2016.
  14. शर्मा, सुनील (५ दिसंबर २०१५). "लखनऊ आगरा एक्स्प्रेस-वे पर सुहाना होगा सफर". लखनऊ: पत्रिका. अभिगमन तिथि 30 सितम्बर 2017.
  15. "No bidders for Akhilesh 's Lucknow-Agra expressway project". Hindustan Times. 13 November 2013. मूल से 13 नवंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 July 2015.
  16. "Govt reduces Lucknow-Agra Expressway deadline by 6 months". Indian express. 12 September 2014. मूल से 19 अक्तूबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 July 2015.
  17. "Agra-Lucknow expressway's foundation laid, to be done in 22 months". Business Standard. 23 November 2014. मूल से 8 अगस्त 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 July 2015.
  18. "Independent body to monitor UP projects". Times of India. 21 May 2015. मूल से 8 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 July 2015.
  19. "Agra-Lucknow Expressway to be operational by Oct 2016". Business Standard. 20 May 2015. मूल से 2 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 28 July 2015.
  20. "Agra Lucknow Expressway". मूल से 5 अप्रैल 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जनवरी 2019.
  21. "Google Maps". Google Maps.
  22. Som, Vishnu (21 नवम्बर 2016). "6 Jets Touch Down For Opening Of Agra-Lucknow Expressway, India's Longest". मूल से 21 November 2016 को पुरालेखित.
  23. "AGRA-LUCKNOW EXPRESSWAY THROWN OPEN TOR PUBLIC". The Pioneer. मूल से 24 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 24 December 2016.
  24. "संग्रहीत प्रति". मूल से 7 जुलाई 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 25 जनवरी 2019.
  25. "एक्सप्रेस-वे का रास्ता साफ, किसानों की याचिकाएं खारिज". इलाहबाद: मनी भास्कर. २८ अप्रैल २०१५. मूल से 2 मई 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३० सितम्बर २०१७.
  26. शुक्ला, अरविन्द (१९ जुलाई २०१५). "आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे परियोजना में करोड़ों का घोटाला". लखनऊ: वेबदुनिया. अभिगमन तिथि ३० सितम्बर २०१७.
  27. "सरिया का जाल गिरने से तीन श्रमिकों की मौत". उन्नाव: अमर उजाला. ९ अगस्त २०१५. अभिगमन तिथि ३० सितम्बर २०१७.
  28. पांडेय, धर्मेंद्र (९ अगस्त २०१५). "लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे के निर्माण के दौरान तीन की मौत". लखनऊ: दैनिक जागरण. मूल से 12 अगस्त 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ३० सितम्बर २०१७.
  29. "Lucknow-Agra Expressway project under Yogi Adityanath govt's scanner". द टाइम्स ऑफ़ इण्डिया. PTI. 21 April 2017. मूल से 1 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 अक्तूबर 2017.