एशियन पेंट्स

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एशियन पेंट्स लिमिटेड
प्रकार पब्लिक कम्पनी
व्यापार करती है BSE: 500820
NSEASIANPAINT
उद्योग रसायन
स्थापना १९४२
मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र, भारत
क्षेत्र दुनिया भर
उत्पाद मूल और औद्योगिक रसायन, सजावटी रंग,
राजस्व 15,852 करोड़ (US$2.31 अरब) (2016)[1]
प्रचालन आय 2,808 करोड़ (US$409.97 मिलियन) (2016)[1]
निवल आय 1,779 करोड़ (US$259.73 मिलियन) (2016)[1]
कुल संपत्ति 6,205 करोड़ (US$905.93 मिलियन) (2016)[1]
कर्मचारी ६,०६७ (२०१६ में)[1]
वेबसाइट www.asianpaints.com

एशियन पेंट्स लिमिटेड एक भारतीय बहुराष्ट्रीय कम्पनी है जिसका मुख्यालय मुंबई, महाराष्ट्र में है।[2] ये कम्पनी, रंग, घर की सजावट, फिटिंग से संबंधित उत्पादों और संबंधित सेवाएं प्रदान करने, निर्माण, बिक्री और वितरण के व्यवसाय में लगी हुई है। एशियन पेंट्स भारत की सबसे बडी और एशिया की चौथी सबसे बडी रंगो की कम्पनी है।[3][4][5] २०१५ के अनुसार , भारतीय रंग उद्योग में ५४॰१% के साथ इसका सबसे बड़ा बाजार हिस्सा है।[6]

इतिहास[संपादित करें]

फरवरी १९४२ में मुंबई की एक गैरेज में चार दोस्तोंने, चंपकलाल चोकसे, चिमनलाल चोकसी, सूर्यकांत दाणी और अरविंद वकिल ने एशियन पेंट्स कम्पनी स्थापित कि थी। द्वितीय विश्व युद्ध और १९४२ के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान, रंग आयात पर एक अस्थायी प्रतिबंध लगाया गया था जिस कारण केवल विदेशी कम्पनियां और शालिमार पेंट्स बाजार में थे। एशियन पेंट्स ने बाजार पर कब्जा कर लिया और १९५२ में २३ करोड़ के वार्षिक कारोबार किया लेकिन केवल २% पीबीटी मार्जिन के साथ। १९६७ तक यह देश में अग्रणी पेंट निर्माता बन गया।[7][8]

इन चार परिवारों ने एक साथ कम्पनी के अधिकांश शेयर अपने साथ रखे। लेकिन १९९० के दशक में जब कम्पनी भारत से बाहर बढ़ी तो वैश्विक अधिकारों से इन में विवाद शुरू हुआ। १९९७ में चंपकलाल चोकसे के परिवार ने अपने १३॰७% शेयर बेच दिये। १९९७ में चंपकलाल की मृत्यु के बाद उनके बेटे अतुल ने कारोबार संभाला था। ब्रिटिश कम्पनी इम्पीरियल केमिकल इंडस्ट्रीज के साथ सहयोग की बाते विफल होने के बाद, चोकसे के शेयरों को अन्य तीन परिवार और यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया ने खरीदा था। २००८ के अनुसार  चोकसी, दाणी और वकिल परिवार कुल मिलाकर ४७॰८१% शेयर रखते थे।[8]

विपणन और विज्ञापन[संपादित करें]

१९५० के दशक में कम्पनी ने एक "धोने योग्य डिस्टेंपर" का बाजार में लाया, जो सस्ते सूखे डिस्टेंपर और महंगी प्लास्टिक इमल्शन पेंट के बीच का एक संतुलन था।[7] १९५४ में कम्पनी ने "गट्टू" नाम का शुभंकर पेश किया, जो एक शरारती लड़का था अपने हाथ में रंग की बाल्टी लिये। आर के लक्ष्मण द्वारा निर्मित ये शुभंकर मध्य वर्गों में आकर्षक साबित हुआ।[9] इस शुभंकर का उपयोग १९७० तक प्रिंट विज्ञापन और पैकेजिंग में किया गया और १९९० के दशक में टेलीविजन विज्ञापनों पर भी ये देखाई देने लगा। गट्टू ने रंगारियों के नेतृत्व वाले व्यवसाय को अंत उपयोगकर्ता, याने घर के मालिकों, तक लाने में मदद की।[9] एशियन पेंट्स से जुड़ी अमेरिकी विज्ञापन एजेंसी ओगिल्वी और माथेर ने १९८० के दशक में त्योहारों के अवसर पर अपने टैग लाइन "हर घर कुछ कहता हैं" की शुरुवात की। कम्पनी ने भावनात्मक स्तर से जुड़कर घरों को रंगाने के अवसर को त्यौहारों और महत्वपूर्ण जीवन की घटनाएं, जैसे कि विवाह और बच्चे का जन्म, से संबंधित कर विज्ञापित किया। १९९० के दशक में, विज्ञापन बाहरी दिवारों के रंग पर ध्यान केंद्रित करने लगा जो उन्हें कालातीत रख सकते थे।[9] कम्पनी ने २००० में अपनी कॉर्पोरेट पहचान को पुनर्जीवित किया और "गट्टू" को उनके शुभंकर के रूप से हटा दिया और बाद में "एशियन पेंट" लोगो को छोटा "एपी" में भी बदल दिया।[9]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Asian Paints Limited Financial Statements". MoneyControl.com. मूल से 14 अगस्त 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 23 February 2016.
  2. "Started by four Mumbaikers, how Asian Paints is today one of India's most valued companies". Businessinsider.in. मूल से 21 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि November 18, 2016.
  3. "Asian Paints, Hindustan Unilever top innovative Indian firms on Forbes' list". Ibtimes.co.in. मूल से 21 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि November 18, 2016.
  4. "Shares of Asian Paints jump 7% on good Q1 results". Economictimes.indiatimes.com. मूल से 13 सितंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि November 18, 2016.
  5. "Local people demand jobs in Asian Paints' proposed plant". Thehindu.com. मूल से 30 जून 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि November 18, 2016.
  6. "CMR's India Paints Report 2016 - CyberMedia Research - CMR" (PDF). cmrindia.com. मूल (PDF) से 12 नवंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि November 18, 2016.
  7. Saurabh Mukherjea, (2016). The Unusual Billionaires. Penguin UK. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9789386057679. मूल से 21 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अगस्त 2017.सीएस1 रखरखाव: फालतू चिह्न (link)
  8. Geoff Hiscock (2008). India's Global Wealth Club: The Stunning Rise of Its Billionaires and Their Secrets of Success. John Wiley & Sons. पृ॰ 211. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 9780470822388. मूल से 21 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 21 अगस्त 2017.
  9. Pinto, Viveat (12 February 2015). "40 years ago...And now: Gattu's antics coloured Asian Paints' future". Business Standard. मूल से 19 नवंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 19 November 2016.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]