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मे सिंक्लैर[संपादित करें]

मे सिंक्लेयर

परिचय[संपादित करें]

मे सिंक्लैर का उपनाम मैरी अमेलिया सेंट क्लैर था। वह एक प्रसिद्ध अंग्रेज़ी लेखिका थी, जिन्होंने दर्जनों कविताएँ, कहानियाँ और उपन्यासों कि रचना की थी। वह एक सक्रिय नारी-मताधिकारवादि थी। उन्होंने समाज में एक महत्वपूर्ण आलोचक कि भूमिका निभाई थी आधुनिकतावादी कविता और गद्य के क्षेत्र में, और में ईगोइस्ट में, डोरोथी रिचर्डसन के उपन्यास अनुक्रम तीर्थयात्रा के पहले संस्करणों की समीक्षा करते समय, पहली बार साहित्यिक संदर्भ में चेतना की अवधि की धारा का उपयोग करने का क्षेत्र दिया।

प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]

उनका जन्म २४ अगस्त,१८६३ में हुआ था। वह रॉक फेरी, चेशायर में जन्मी थी। उनकी माता बहुत कठोर और धार्मिक स्वभाव कि थी और उनके पिता लिवरपूल जहाज़ के मालिक जिनके दिवालिया होने के बाद वह एक शराबी बन गए और जब सिनक्लेयर बच्ची थी, तो उनकी मृत्यु हो गयी। उसके बाद उनका परिवार लंदन के किनारे पर इलफ़र्ड में रहने चला गया। १८९६ से सिंक्लैर ने अपने परिवार को साहारा देने के लिये पेशवरी से लिखना शुरू कर दिया था। वह १९१४ से मानसिक रिसर्च के लिए सोसायटी कि सदस्य थी। वह सक्रिय नारीवादि होने ने कारण बहुत जिम्मेदारियों से घिरी हुई थी। वो बहुत सी महिलाओं कि सहायता के लिए आगे आई थी और उन्होंने महिलाओं कि स्थिति को सुधारने के लिए भी कई कदम उठाए थे।१९३० के आसपास, लंदन में मेडिको-मनोवैज्ञानिक क्लिनिक में, उन्हें मनो सोच में दिलचस्पी हो गई और फिर इसी को एक आधार बना कर उन्होंने उपन्यास लिखा। उनकी आरंभिक रचनाएँ समाज कि स्थितियों पर आधारित होती थी, जिसमें वह समाज में होने वाली समस्याओं का वर्णन करती थी जैसे दहेज,बाल श्रम,वेश्यावृत्ति और मुद्रास्फीति आदि। वह समाज कि एक ज़ेमेदार नागरिक थी,१९१४ में, वह मुनरो एम्बुलेंस कोर, एक धर्मार्थ संगठन में शामिल हो गयी। जहाँ के अनुभव को उन्होंने अत्यंत बेहतरिन तरीके से कविताओं के माध्यम से दर्शाया था।

लेखन व्यवसाय[संपादित करें]

उन्होंने बहुत से उपन्यास कि भी रचना कि थी। मे सिंक्लैर ने अलौकिक कथाओं कि रचना कि थी। सिंक्लेयर परामनोविज्ञान में रुचि रखती थी और आध्यात्म से जुडी रहना चहाती थी। लोगों का मान ना था कि मे सिंक्लैर इतना आच्छा लिखती थी कि वो कहते थे कि उनके लिखे हुए कि बराबरी कोई नहीं कर सकता। उन्हें उनकी क्षमता से कम सम्मान मिलता था। उनकी अलौकिक कहानियां १९२३ में प्रकाशित हुई थी और हिमायती एंड अदर स्टोरीज के दो संस्करण १९३१ में प्रकाशित हुए थे। वह एक वर्णित अलौकिक कहानियां के रूप में 'उत्कृष्ट' थी। सिंक्लेयर इसके अलावा दर्शन, विशेष रूप से आदर्शवाद के अध्ययन पर आधारित गैर कल्पना लिखती थी। मे सिंक्लैर का योगदान साहित्यि के क्षेत्र में अवर्णनिय था। वह असामान्य विनम्रता और सटीकता से लिखती थी, उनकी रचनाओं कि यह खासियत थी। उनकी रचनाओं को उदाहरण के रुप में लिया जाता हैं। उनकी रचना 'अनकैनी स्टोरी' एक महत्वपूर्ण योगदान है। अलौकिक कहानियों के क्षेत्र में, लोग इस कहानियों को उनकी सबसे अच्छी रचना मानते हैं।

अंत[संपादित करें]

सन १९२० के दशक से वह पार्किंसंस रोग के प्रारंभिक लक्षणों से पीड़ित थी, और लिखना छोड दिया था और वह १९३२ में बकिंघमशायर में मृत्यु को प्राप्त हो गयी। उनकी रचनाओं को आज भी सहित्य में महत्वपूर्ण मानते हैं। उनकी मृत्यु के बाद उनकी रचनाँओं की प्रसिद्धता कम होने लगी थी किन्तु उनकी रचनाँए आर्दशवादि होने के कारण १९८० मे। उनकी रचनाँओं का पुनाअगमन हुआ। वह समाजक में आर्दशवादि कवयित्री के नाम से याद कि जाती हैं। वह बहुत प्रसिद्ध कवयित्री थी, जिन्होंने अपनी कविताओं से समाज सुधारक कि भुमिका निभाई हैं।

उल्लखे[संपादित करें]

१-https://en.wikipedia.org/wiki/May_Sinclair

२-https://maysinclairsociety.com/biography/

३-https://allpoetry.com/May-Sinclair

४-https://www.britannica.com/biography/May-Sinclair