सदस्य:Karishma714

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कैरोलीन नोरटन[संपादित करें]

कैरोलीन नोरटन

जीवनी[संपादित करें]

कैरोलीन एलिजाबेध साराह नोरटन ऐक प्रसिध्द अन्ग्रेजी समाज सुधारक एक लेखिका थी। इनका जन्म लंदन में २२ मार्च सऩ १८०८ में हुआ था। इनका पिता का नाम थामस शेरीडन था।और इनकी माता का नाम हैंरीटा कैलेंडर था। इनके पिता सेनिक और माता स्काटीश थी। पिता का निधन दक्षिण अफ़्रीका में हुआ जब वह वहॉं पर उपनिवेशिक मंत्री के पद पर नियुक्त थे। पिता की मृत्यु के उपरान्त इनको अनेक आर्थिक समस्यायों का सामना करना पडा। १९ वर्ष की आयु में इनका विवाह जार्ज नॉर्टन के साथ हुआ। इनके तीन बेटे थे। तथापि इनका विवाह सफल नहीं रहा और इनको न केवल शारीरिक तनाव बल्कि मानसिक तनाव का भी सामना करना पडा। घरेलु हिंसा की यह हमेशा शिकार बनी रही। हाला कि पति-पत्नी दोंनो एक साथ नहीं रहते थे, परन्तु यह कभी भी अपने पति को तलाक न दे सकी और हमेशा कानुनी अधिकारो से वंचित रहि। कैरोलीन अपने बच्चो से कभी नहीं मिल पाती थी और इसलिए अपना अकेलापन दूर करने के लिए इन्होने लिखना शुरु किया। यह एक प्रसिध्द लेखिका बनी और इनकी कुछ प्रमुख रचनाए हैं "द सोरोस आफ रुसली", "द अनडाइहग वान" इत्यादि।

साहित्य और समाज मे योगदान[संपादित करें]

यह एक स्थापित लेखिका थी इसलिए अपनी साहित्यिक कौशलता का सहारा लेकर इन्होने अनेक राजनैतिक पुस्तिका प्रकाशिनत कि और सामाज में माताओं के अधिकारों के लिये सभी को जागरुक किया। कुछ मित्रों की सहायता द्वारा इन्होने स्न्साद में बिल पास करवाया जिसके तहथ जो पारिवारिक दाम्पत्य अलग अलग रहते है वह अपने बच्चो से मिल सके। अनेक कठिनाइयो के पश्चात यह बिल सन्सद मे पास हुआ और कानून बन गया। इस कानून के तहथ अगर पति-पत्नी का तलाक हो गया हो और पत्नी ने धोखा नहीं दिया तो वह औरत अपने बच्चो से मिल सकती हैं। इस अभियान के द्वारा कैरोलीन ने सभी का ध्यान इस मुद्दे कि ओर केंद्रिनत किया और सामाज मैं जागरुकता बढाइ।

पारिवारीक जीवन[संपादित करें]

परन्तु इतनी मेहनत करने के बावजूद वह स्वयमं अपने बच्चो से नहीं मिल सकी। कैरोलीन के पति अपने तीनो बेटो को स्कॉटलैंड ले गये। स्मसयाऍ अभी खत्म नहीं हुई थी कि उन पर एक और बडीं मुसिबत का पहाड टूट गया। उनके सबसे छोटे बेटे विलियम की मृत्यु हो गइ। बेटे कि मृत्यु के पश्चात कैरोलीन को अपने दूसरे बेटो को मिलने का मोका मिला। अनेक पारिवारिक समस्यायों से घिरे होने के बावजूद कैरोलीन सन्सद मे सामाजिक न्याय के लिए लडती रही। शादी शुदा और तालाक शुदा महिलाओ के अधिकारो के लिए निरन्तर अपनी पुस्तिकाए द्वारा वह सामाज मे अपनी छवि बनाती रही। अन्थ मे सभी समस्यायों और परिशानियो से झूझते हुए उनकी जीत हुई। इण्गलेंड के सन्सद मे कानून पास हुआ और पहली बार महिलाओ को यह अधिकार मिला कि वह तालाक के बाद अपने बच्चो से मिल सकती हैं। अपने पति की मृत्यु के बाद कैरोलीन ने अपने करीबी दोस्त के साथ विवाह कर लिया। अभी कुछ सुकून मिला ही था कि उनके सबसे बडे बेटे की भी मृत्यु हो गई। अपने इस बेटे की मृत्यु से वह पूरी तरह से टूट गई। संघ्रर्षपूर्ण जीवन जीते जीते कैरोलीन की मृत्यु लंदन में १५ जून सन १८७७ मे हुई।

संर्दब[संपादित करें]

[1] [2] [3]

  1. https://en.wikipedia.org/wiki/Caroline_Norton
  2. http://theconversation.com/meet-caroline-norton-fighting-for-womens-rights-before-it-was-even-cool-53668
  3. http://www.bbc.co.uk/history/historic_figures/norton_caroline.shtml