लंका दहन

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लंका दहन

गुस्से में हनुमान, शिंदे द्वारा निभाई भूमिका
निर्देशक दादासाहब फालके
लेखक दादासाहब फालके
निर्माता दादासाहब फालके
अभिनेता अण्णा सालुंके
गणपत शिंदे
छायाकार त्रिंबक तेलंग
प्रदर्शन तिथि
१९१७
देश भारत
भाषायें मूक फ़िल्म
मराठी उपशीर्षक
लंका दहन (1917) दादासाहब फालके

लंका दहन १९१७ कि भारतीय मूक फ़िल्म है जिसे दादासाहब फालके ने निर्देशित किया था। ऋषि वाल्मीकि द्वारा लिखित हिंदू महाकाव्य रामायण के एक प्रकरण पर आधारित इस फ़िल्म का लेखन भी फालके ने किया था। १९१३ कि फ़िल्म राजा हरिश्चन्द्र, जो पहली पूर्ण रूप से भारतीय फीचर फ़िल्म थी, के बाद फालके की यह दूसरी फीचर फ़िल्म थी। फालके ने बीच में विभिन्न लघु फिल्मों का निर्देशन किया था।[1]

अण्णा सालुंके ने इस फिल्म में दो भूमिका निभाई थी। उन्होंने पहले फालके के राजा हरिश्चन्द्र में रानी तारामती की भूमिका निभाई थी। चूंकि उस जमानेमे प्रदर्शनकारी कलाओं में भाग लेने से महिलाओं को निषिद्ध किया जाता था, पुरुष ही महिला पात्रों को निभाते थे। सालुंके ने इस फ़िल्म में राम के पुरुष चरित्र और साथ ही उनकी पत्नी सीता का महिला चरित्र भी निभाया है।[2] इस प्रकार उन्हें भारतीय सिनेमा में पहली बार दोहरी भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है।[3][4]

संक्षिप्त विवरण[संपादित करें]

अयोध्या के राजकुमार राम को चौदह वर्ष की अवधि के लिए वनवास जाना पड़ा क्योंकि उन्हें निर्वासित किया गया है। उनके साथ पत्नी सीता और भाई लक्ष्मण भी जुड़ गए हैं। राक्षस राजा रावण जो कि सीता से विवाह करना चाहते थे, बदला लेने का फैसला करते है। वह सीता का वन से अपहरण करते हैं। अपनी पत्नी की खोज के दौरान राम हनुमान से मिलते हैं। हनुमान, जो राम के एक महान भक्त हैं, सीता को खोजने का वादा करता हैं।

हनुमान लंका के द्वीप के लिए उड़कर प्रस्थान करते हैं और वहाँ सीता को खोजते है। वे सीता को सूचित करते हैं कि वह राम के एक महान भक्त हैं और राम जल्द ही उन्हें वापस लेने के लिए आ रहे हैं। अपनी पहचान साबित करने के लिए वे उन्हें राम की अंगूठी देते हैं। हनुमान की वापसी यात्रा पर उन्हें रावण के सैनिकों द्वारा गिरफ्तार किया जाता हैं। जब उन्हें अदालत में पेश किया जाता हैं तो रावण हनुमान की पूँछ को आग लगा देना का आदेश देते हैं। फिर हनुमान अपनी शक्ति दिखाकर सभी रुकावटों को तोड़ते हैं और उड़ जाते हैं। अपनी पूँछ पर लगी आग के साथ वे पूरे लंका शहर को आग लगा देते हैं। पूरे शहर में आग लगाने के बाद, हनुमान हिंद महासागर में पूँछ की आग बुझा देते हैं।

मुख्य कलाकार[संपादित करें]

सीता की भूमिका में सालुंके और इनसेट में हनुमान की भूमिका मे गणपत शिंदे जो सिता को अंगूठी दे रहे हैं।

फ़िल्म के मुख्य कलाकार इस प्रकार हैं:[5]

  • अण्णा सालुंके - राम
  • अण्णा सालुंके - सीता
  • गणपत जी शिंदे - हनुमान
  • डी डी डबके
  • मंदाकिनी फालके

परिणाम[संपादित करें]

चूंकि फ़िल्म हिंदू पौराणिक कथा पर आधारित थी, उसने दर्शकों के बीच अच्छा प्रदर्शन किया। जब मुंबई में फिल्म प्रदर्शित हुई, भगवान राम के दिखते ही दर्शक अपने जूते उतार देते।[6] फिल्म में इस्तेमाल किए गए विशेष प्रभाव दर्शकों को प्रसन्न करते रहे थे।[7][8]

फ़िल्म को जनता द्वारा अच्छी प्रशंसा प्राप्त हुई। फ़िल्म इतिहासकार अमृत गंगर के अनुसार, टिकट खिड़की पर जमे सिक्कों को बोरी में एकत्रित किया जाता और बैल-गाड़ियों पर लादकर फ़िल्म निर्माता के कार्यालय में ले जाया जाता। फ़िल्म ने करीब दस दिन में ३५ हज़ार रुपय कमाए थे।[4] मुंबई के मैजेस्टिक सिनेमा में लंबी कतारें लगती थीं, जहाँ टिकट खिड़की पर लोग सिक्के उछालते और टिकट के लिए लड़ते थे क्योंकि फिल्म ज्यादातर हाउसफ़ुल होती थी।[9]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. मानकेकर, पूर्णिमा (१९९९). Screening Culture, Viewing Politics: An Ethnography of Television, Womanhood, and Nation in Postcolonial India [स्क्रीनिंग कि संस्कृति, देखने कि राजनीति: उत्तर उपनिवेशवादी भारत में टेलीविज़न, नारीत्व, और राष्ट्र का एक नृवंशविज्ञान] (अंग्रेज़ी में). ड्यूक विश्वविद्यालय प्रेस. पृ॰ ३७५. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0822323907. मूल से 12 नवंबर 2013 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ९ मई २०१७.
  2. "Dadasaheb Phalke - Father of Indian Cinema" [दादासाहेब फालके - भारतीय सिनेमा के पिता] (अंग्रेज़ी में). दादासाहेब फालके अकादमी. मूल से 18 दिसंबर 2012 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ४ अक्टूबर २०१२.
  3. मजूमदार, निपा (२००९). Wanted Cultured Ladies Only!: Female Stardom and Cinema in India, 1930s-1950s [केवल सुसंस्कृत महिलाएं चाहिए!: १९३०-१९५० के दशक में भारत में महिला कलाकार और सिनेमा] (अंग्रेज़ी में). इलिनॉय विश्वविद्यालय प्रेस. पृ॰ २२४. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0252076281. अभिगमन तिथि ९ मई २०१७.
  4. राखी शर्मा (२४ फरवरी २०१७). "सौ साल की हुई पहली डबल रोल फ़िल्म". बीबीसी. मूल से 21 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ९ मई २०१७.
  5. एरिक माइकल माज़ुर (२०११). Encyclopedia of Religion and Film [धर्म और फ़िल्म का विश्वकोष] (अंग्रेज़ी में). ABC-CLIO. पृ॰ ५१७. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0313330727. अभिगमन तिथि ९ मई २०१७.
  6. घोश, बिश्नुप्रिया (२०११). Global Icons: Apertures to the Popular [वैश्विक प्रतीक: लोकप्रियता का मुख] (अंग्रेज़ी में). ड्यूक विश्वविद्यालय प्रेस. पृ॰ ९२. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0822350165. अभिगमन तिथि ९ मई २०१७.
  7. वुड्स, जीनीन (२०११). Visions of Empire and Other Imaginings: Cinema, Ireland and India 1910-1962 [साम्राज्य और अन्य कल्पनाओं का दर्शन: सिनेमा, आयरलैंड और भारत १९१०-१९६२] (अंग्रेज़ी में). पीटर लैंग. पृ॰ ९७. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 3039119745. अभिगमन तिथि ९ मई २०१७.
  8. रामचन्दानी, इन्दु (२०००). होइबर्ग, डेल (संपा॰). Students' Britannica India, Volumes 1-5 [छात्र ब्रिटानिका भारत, खंड १-५] (अंग्रेज़ी में). पॉप्युलर प्रकाशन. पृ॰ १७२. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 0852297602. मूल से 19 अक्तूबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ९ मई २०१७.
  9. उन्नी, दिव्या (१६ मार्च २०१४). "B-Town Rewind: The tale of the first Bollywood crore" [बी-टाउन रिवाइंड: पहले बॉलीवुड करोड़ की कहानी] (अंग्रेज़ी में). मिड डे. मूल से 16 मार्च 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ९ मई २०१७.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]