प्रकाशी तोमर

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प्रकाशी तोमर ( शूटर दादी )
व्यक्तिगत जानकारी
राष्ट्रीयता भारतीय
जन्म 1 जनवरी 1937 (1937-01-01) (आयु 87)
मुज़फ्फरनगर, उत्तर प्रदेश, भारत
निवास जोहड़ी ,बागपत, उत्तर प्रदेश, भारत
खेल
देश भारत
खेल निशानेबाज
३१ जुलाई २०१७ को अद्यतित।

प्रकाशी तोमर जिन्हें (शूटर दादी और रिवॉल्वर दादी) के नाम से भी जानी जाती है[1] एक बुजुर्ग महिला निशानेबाज हैं।[2] इनका जन्म भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के मुज़फ्फरनगर ज़िले में ०१ जनवरी १९३७ में हुआ था। ये भारतीय राज्य उत्तर प्रदेश के बागपत के जोहड़ी गाँव की निवासी हैं जो अपनी जेठानी चन्द्रो तोमर के साथ निशानेबाजी प्रतियोगिताओं में भाग लेती हैं।

उन्होंने इस पेशे को चुनने का मन तब बनाया जब ज्यादातर लोग उम्मीद छोड़ देते हैं यानी 60 वर्ष से अधिक की आयु में। 65 वर्ष की उम्र में जब उन्होंने शूटिंग रेंज में जाना शुरू किया तो लोगों, खासकर पुरुषों, ने उनका खूब मजाक उड़ाया और तरह तरह के ताने दिए, जैसे 'जा, जाकर फौज में भर्ती हो जा' या फिर 'कारगिल चली जा' आदि, लेकिन यह सब उनकी इच्छाशक्ति को तोड़ नहीं पाया। आलोचनाओं को दरकिनार करते हुए उन्होंने अपने लक्ष्य पर ध्यान लगाया, जिसने न केवल उन्हें प्रसिद्धी के शिखर पर पहुंचाया बल्कि समाज, आलोचकों और आने वाले पीढ़ियों के लिए एक मिसाल कायम की। अब उनकी बेटी सीमा तोमर एक अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज हैं और गांव के लोग उनका नाम गर्व और सम्मान के साथ लेते हैं।

प्रारंभिक जीवन[संपादित करें]

आठ बच्चों की मां प्रकाशी के 15 पोते-पोतियां हैं। वह पश्चिमी उत्तर प्रदेश में स्थित बागपत जिले के जोहरी गांव की रहने वाली हैं और वह महज एक इत्तेफाक ही था जब उन्होंने पहली बार सटीक निशाना लगाया था। इसकी शुरुआत सन् 2000 में हुई जब उनकी बेटी सीमा तोमर, जो कि आज शूटिंग के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय स्तर तक जाना माना नाम हैं, ने शूटिंग सीखने के लिए जोहरी राइफल क्लब में दाखिला लिया। हालांकि सीमा शूटिंग सीखना चाहती थी लेकिन अकेले शूटिंग रेंज जाने में घबराती थी। तब प्रकाशी ने सीमा का हौसला बढ़ाने का निर्णय लिया और उसके साथ एकेडमी जानी की ठानी। यही रिवाल्वर दादी की शुरुआत थी।

एकेडमी में सीमा को दिखाने के लिए प्रकाशी ने खुद ही बंदूक उठाई और निशाना लगा दिया, जिसे देखकर वहां मौजूद सभी लोग यहां तक कि कोच फारूख पठान भी चौंक गए। यही वह मौका था जब कोच ने प्रकाशी के हुनर को पहचाना और उन्हें एकेडमी में प्रवेश लेने का सुझाव दिया। यह प्रकाशी के लिए एक नये युग की शुरुआत थी लेकिन रास्ता रुकावटों से भरा पड़ा था। प्रकाशी एक गृहिणी हैं इसलिए उनका रोज प्रशिक्षण के लिए एकेडमी जाना संभव नहीं था तो कोच ने उन्हें सप्ताह में एक दिन आने की सलाह दी और बाकी के दिन वह घर पर ही निशानेबाजी का प्रयास करती थीं। तब से ही वह अपनी सफलता की कहानी लिख रही हैं। इतना ही नहीं, उनकी बेटियों में से सीमा तोमर शूटिंग विश्व कप में कोई मेडल जीत कर लाने वाली पहली भारतीय महिला हैं। यह कारनामा उन्होंने 2010 में किया था। वहीं, दादी प्रकाशी और सीमा तोमर ने देशभर में आयोजित प्रतियोगिताओं में 25 मेडल जीते हैं और वृद्ध निशानेबाजी प्रतियोगिता (वेटेरन शूटिंग चैंपियनशिप) में स्वर्ण पदक भी जीता है, यह प्रतियोगिता चेन्नई में आयोजित हुई थी। इससे भी आगे, वे जिन्होंने शुरुआत में प्रकाशी का मजाक उड़ाया था अब अपनी बेटियों को उनके पास निशानेबाजी सीखने के लिए भेजते हैं।

व्यक्तिगत जीवन[संपादित करें]

प्रकाशी तोमर जो कि एक भारतीय बुजुर्ग महिला निशानेबाज है जिनका जन्म भारत के उत्तरप्रदेश राज्य के मुज़फ्फरनगर में १ जनवरी १९३७ में हुआ था। प्रकाशी का विवाह जय सिंह से हुआ था और उनकी बेटी सीमा तोमर एक अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाज हैं। वास्तव में सीमा अंतर्राष्ट्रीय निशानेबाजी खेल संघ द्वारा आयोजित विश्व कप में रजत मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला हैं और वर्तमान में वह भारतीय सेना में कार्यरत हैं। प्रकाशी की पोती रूबी इंस्पेक्टर के तौर पर पंजाब पुलिस में कार्यरत हैं जबकि उनकी बेटी रेखा निशानेबाजी छोड़ चुकी हैं।

सम्मान[संपादित करें]

भारत सरकार के महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा इन्हें ‘आइकन लेडी’ पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है और वर्ष 2016 में इन्हें देश की 100 वीमेन अचीवर्स [3] में शामिल किया गया था तथा राष्ट्रपति भवन में इन्हें महामहिम प्रणव मुखर्जी के साथ दोपहर के भोज में आमंत्रित किया गया था।[4]

प्रकाशी, स्टार वर्ल्ड पर आमिर खान के शो सत्यमेव जयते और कलर्स टीवी के चर्चित शो इंडियाज गॉट टैलेंट में भी शामिल हो चुकी हैं।[5] गूगल इंडिया के वीमेन विल प्रोग्राम में मुंबई बुलाकर भी इन्हें सम्मानित किया जा चुका है।

प्रकाशी तोमर ने निशानेबाजी की शुरुआत करीब डेढ़ दशक पहले की थी जब वह अपनी पोती और बेटी को निशानेबाजी सिखाने के लिए शूटिंग रेंज लेकर जाया करती थीं।[6] पोती को सिखाने के प्रयास में जब एक दिन उन्होंने खुद बंदूक उठा ली। कोच राजपाल ने इन्हें प्रोत्साहन दिया और उनकी जेठानी चंद्रो तोमर ने भी उनके साथ निशानेबाजी सीखनी शुरू की।

प्रकाशी और चन्द्रो ने कई प्रतियोगिताओ में हिस्सा लिया है और करीब 20 मेडल जीत चुकी हैं।[7] प्रकाशी की बेटी सीमा तोमर अंतर्राष्ट्रीय स्तर की निशानेबाज हैं, जो कि शूटिंग विश्वकप में रजत पदक जितने वाली[8] पहली भारतीय महिला हैं। सीमा ने यह खिताब 2010 में जीता था।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "शूटर दादी". मूल से 7 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 12 मई 2017.
  2. Drury, Flora. "Indian grandmothers who have become award-winning sharpshooters | Daily Mail Online". Dailymail.co.uk. मूल से 3 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-05-12.
  3. टाइम्स ऑफ़ इंडिया. "Zainab, Prakasho selected for MWCD's 100 women achievers' contest". मूल से 26 दिसंबर 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 अगस्त 2017.
  4. Fri, 22 Jan 2016-09:40pm , New Delhi , PTI (2016-01-22). "President hosts lunch for 100 women achievers | Latest News & Updates at Daily News & Analysis" (अंग्रेज़ी में). Dnaindia.com. मूल से 1 अगस्त 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-05-12.सीएस1 रखरखाव: एक से अधिक नाम: authors list (link)
  5. "shooter dadi chandro tomar in india got talent Patrika News". Patrika.com. 2016-05-05. मूल से 3 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-05-12.
  6. "Shooter Dadi Prakashi Tomar Visits Lucknow - लखनऊ पहुंची शूटर दादी, बताया कैसे एक छोटी घटना ने बदल दी जिंदगी, Lucknow News In Hindi". amar Ujala. 2017-04-29. मूल से 7 मई 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-05-12.
  7. "shooter dadi of meerut". www.bhaskar.com. 2016-02-04. मूल से 15 फ़रवरी 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 2017-05-12.
  8. Team Sportstar (2016-11-03). "Asian Shotgun Ch'ship: Seema Tomar wins silver". Sportstarlive. अभिगमन तिथि 2017-05-12.