भारतीय बजट का इतिहास

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भारत में बजट होने का इतिहास 150 साल से अधिक पुराना है। इतने बर्षो में बजट पेश किए जाने के समय से लेकर तौर तरीकों में बड़े स्तर पर बदलाव हुआ । कई नई परंपराएं अस्तित्व में आई और कई कीर्तिमान भी स्थापित हुए।

शब्द की उत्पति कैसे हुई।[संपादित करें]

बजट शब्द की उत्पति फ्रेंच भाषा के लातिन शब्द बुल्गा से हुई इसका अर्थ है चमड़े का थैला। बुल्गा से फ्रांसीसी शब्द बोऊगेट की उत्पति हुई। जिसके बाद अंग्रजी शब्द बोगेट अस्तित्व में आया इससे बजट शब्द बना।

प्रथम बजट 1860[संपादित करें]

18 feb 1860 को देश का पहला बजट ब्रिटिश सरकार के वित्त मंत्री जेम्स विल्सन ने पेश किया था।[1]

बजट का समय बदला[संपादित करें]

1924 से लेकर 1999 तक बजट फरबरी के अंतिम कार्यकारी दिन शाम पांच बजे पेश किया जाता था । यह प्रथा सर बेसिल ब्लैकैट ने 1924 में शुरु की थी । इसके पीछे का कारण रात भर जागकर वित्तिय लेखा जोखा जोखा तैयार करने वाले अधिकारियोँ को अराम देना था। 2000 में पहली बार यशवंत सिन्हा ने बजट सुबह 11 बजे पेश किया।

स्वतंत्र भारत का पहला बजट[संपादित करें]

स्वतंत्रता के बाद देश का पहला बजट पहले वित्त मंत्री आर० के० षणमुखम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया। इसमेँ 15 अगस्त 1947 से लेकर 31 मार्च 1948 के दौरान साढ़े सात महीनों को शामिल किया गया।

अंतरिम बजट[संपादित करें]

आर के षणमुखम चेट्टी ने 1948-49 के बजट में पहली बार अंतरिम शब्द का प्रयोग किया। तब से लघु अवधि के बजट के लिए इस शब्द का इस्तेमाल शुरु हुआ।

गणतंत्र भारत का पहला बजट[संपादित करें]

भारतीय गणतंत्र की स्थापना के बाद पहला बजट 28 फरवरी 1950 को जान मथाई ने पेश किया था । इस बजट में योजना आयोग की स्थापना का वर्णन किया था।

  • सीडी देशमुख वित्त मंत्री होने के साथ रिजर्व बैंक के पहले भारतीय गवर्नर भी थे। उन्होने 1951-52 में अंतरिम बजट पेश किया।
  • 1955-56 से बजट कागज़ हिंदी में भी तैयार किए जाने लगे।

प्रधानमन्त्री द्वारा बजट पेश[संपादित करें]

1958-59 में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु सुमित कुमार ने बज ।स उस समय वित्त मंत्रालय उनके पास था । ऐसा करने वाले वे देश के पहले प्रधानमंत्री बने । इंदिरा गांधी ने भी प्रधानमंत्री रहते बजट पेश किया । अब तक बजट पेश करने वाली और वित्त मंत्री का पद संभालने वाली वे देश की इकलौती महिला रही थी। फिर निर्मला सीतारामन आई ।

सर्वाधिक बजट पेश करने का रिकार्ड[संपादित करें]

मोरारजी देसाई ने अब तक सर्वाधिक दस बार बजट पेश किया है जन्मदिन पर भी बजट पेश करने वाले भी वह एकमात्र मंत्री है।

हलवा खाने की रस्म[संपादित करें]

बजट छपने के लिए भेजे जाने से पहले वित्त मंत्रालय में हलवा खाने की रस्म निभाई जाती है। इस रस्म के बाद बजट पेश होने तक वित्त मंत्रालय के संबधित अधिकारी किसी के संपर्क में नहीं रहते परिवार से दूर उन्हेँ वित्त मंत्रालय में ही रुकना पड़ता है।

काला धन बाहर लाने के प्रयास[संपादित करें]

  • वित्त मंत्री टीटी कृष्णमाचारी ने 1964-65 में पहली बार वीडीआइएस स्कीम के जरिए छुपे हुए धन को बाहर निकालने की कोशिश की
  • 1965-66 के बजट में काला धन निकासी के लिए पहली बार स्कीम लांच की गई।
  • 1973-74 के बजट को ब्लैक बजट का नाम दिया गया क्योंकि इसमेँ बजटीय घाटा (सरकार का कुल व्यय-सरकार का कुल आय) 550 करोड़ रुपयेँ था।

इन्हें भी देखें[संपादित करें]

भारत का केंद्रीय बजट भारत की पहली महिला पूर्ण वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन बनी।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "Some interesting facts about the history of Indian budget" [भारतीय वित्तपत्र के कुछ रामंचक ऐतिहासिक तथ्य]. IIFL (अंग्रेज़ी में). IIFL. मूल से 13 दिसंबर 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 13 दिसम्बर 2017.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]