हेमचन्द्राचार्य संस्कृत पाठशाला

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हेमचन्द्राचार्य संस्कृत पाठशाला, गुजरात के अहमदाबाद में स्थित एक प्रसिद्ध संस्कृत पाठशाला है। अहमदाबाद के रामनगर-साबरमति में स्थित यह पाठशाला एक ऐसा ‘ गुरुकुलम ’ है जहां विविध विषयक ज्ञान-विज्ञान-गणित-साहित्य के साथ-साथ वैदिक गणित, आयुर्वेद, ज्योतिष, धर्मविज्ञान तथा संगीत कला, चित्रकला, नृत्यकला, नाट्यकला और गायन-वादन-अभिनयन सहित पुरुषों के जीवनोपयोगी 72 कलाओं की उत्कृष्ट शिक्षा दी जाती है। इतना ही नहीं, योग, व्यायाम, ध्यान, कुश्ती, मलखम्ब आदि विविध शारीरिक क्रियाओं और भारतीय खेलों को भी प्रशिक्षण दिया जाता है।

उल्लेखनीय उपलब्धियाँ[संपादित करें]

उल्लेखनीय है कि ‘अलोहा इंटरनेशनल’ नामक एक अंतर्राष्ट्रीय संस्था द्वारा दिनांक 8-11-2015 को आयोजित गुजरात राज्य-स्तरीय गणित प्रतियोगिता में इस ‘ गुरुकुलम ’ के छात्र-तुषार विमलचंद तलावट ने महज 03 मिनट 30 सैकेण्ड में 70 सवालों को हल करते हुए 5,300 प्रतियोगियों को पराजित कर पहली बार में ही प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया था। उसके बाद दिनांक 26-27 दिसम्बर 2015 को ‘ मेन्टल कैलकुलेशन इण्डिया कप ’ की राष्ट्रीय स्तर पर गणित प्रतियोगिता चेन्नई में आयोजित हुई। उस प्रतियोगिता में देशभर से 19 राज्यों के 4,300 प्रतियोगी शामिल हुए थे। उन सभी प्रतियोगियों में सबसे कम उम्र के तुषार ने छह अंकों के जोड़-घटाव और तारीख सम्बन्धी 70 सवालों के जवाब कम्पयूटर से भी तीव्र गति से मात्र 3 मिनट 10 सैकेण्ड में देकर सभी 4,300 प्रतिभागियों को पछाड़ते हुए प्रथम स्थान का विजेता बन देशभर में गुरुकुलम की शिक्षा पद्धति का डंका बजा दिया। मालूम हो कि उस दौरान तुषार के साथ कैल्कुलेटर के साथ ताल मिलाने वाले परीक्षक भी उससे पीछे रह गए थे। इस जीत के लिए उसे विजेता ट्राफी और श्रेष्ठ चैम्पियन ट्राफी प्रदान की गई थी। 26-27 दिसम्बर 2015 के उस ऐतिहासिक जय-घोष के बाद तुषार ने अजेय धनुर्धारी अर्जुन की भांति ज्ञान-साधना की बदोलत महज एक ही महीने बाद नया लक्ष्य तब साधा, जब उसी चेन्नई शहर में ‘ हिन्दुस्तान मैथ्स ओलम्पियाड ’ की ओर से एक अंतर्राष्ट्रीय गणित-प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। उस प्रतियोगिता में शामिल हुए 1,700 प्रतियोगियों को पछाड़ते हुए तुषार ने मात्र 3 मिनट 15 सैकेण्ड में ही 100 सवालों का हल प्रस्तुत कर प्रथम स्थान प्राप्त कर समस्त बौद्धिक जगत में गुरुकुलम और उसकी प्राचीन शिक्षा-पद्धिति की विशिष्टता का जलवा बिखेरा था।[1]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "वैश्विक मंच पर प्राचीन भारतीय शिक्षण-पद्धति की धमक". मूल से 27 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 27 मार्च 2017.

बाहरी कड़ियाँ[संपादित करें]