शैतान को पत्थर मारना

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2006 हज के दौरान अक़बा के जमराह में हाजी

शैतान को पत्थर मारना (अरबी: رمي الجمراتरमी अल-जमरात)[1][2][3] सउदी अरब के मक्का में इस्लामिक हज के हाजियों द्वारा किया जाने वाला एक भाग है। इस धार्मिक कार्य के अन्तर्गत मका के ठीक पूर्व में स्थित मीना नगर में मुस्लिम हाजी तीन दीवारों (पूर्व में स्तम्भ थे) जिन्हें जमरात कहा जाता है, पर पत्थर फैंकते हैं। यह हज के दौरान किये जाने वाले अत्यावश्यक तीन कार्यों में से एक है।

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. बर्टन, रिचर्ड फ़्रांसिस (1857). Personal Narrative of a Pilgrimage to El Medinah and Meccah. पृ॰ 226. मूल से 9 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 जनवरी 2017. The word jamrah is applied to the place of stoning, as well as to the stones.
  2. Abū Dāʼūd (1984). Sunan Abu Dawud: Chapters 519-1337. Sh. M. Ashraf. मूल से 9 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 जनवरी 2017. 1204. Jamrah originally means a pebble. It is applied to the heap of stones or a pillar.
  3. Hughes, Thomas Patrick (1995) [1885]. Dictionary of Islam. पृ॰ 225. आई॰ऍस॰बी॰ऍन॰ 978-81-206-0672-2. मूल से 8 मई 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 1 जनवरी 2017. Literally "gravel, or small pebbles." The three pillars [...] placed against a rough wall of stones [...]