एयर रेसिंग

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T 6 Gold Start passing the finish pylon at the 2014 Reno Air Races

एयर रेसिंग एक प्रकार का मोटर स्पोर्ट है जिसमे एयर प्लेन्स एक नियत मार्ग में प्रतिस्पर्धा उड़ान भरते हैं और सबसे कम समय अथवा सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाला अथवा एक पूर्वनिर्धारित अनुमानित समय के सबसे करीब रहने वाला विमान विजेता बनता है।

इतिहास[संपादित करें]

वायु-से-अधिक-भार वाली पहली एयर रेस - प्री दे लगटिनेरीए- २३ मई १९०९ को फ्रांस में पॅरिस के दक्षिण में स्थित पोर्ट-एवियेशन एयरपोर्ट में हुई थी. इस रेस में चार विमान चालक भाग लेने वाले थे पर दो ही उड़ान भर सके और कोई भी रेस को पूरा नहीं कर सका. हालाँकि नियमो के अनुसार रेस पूरी ना होने की स्थिति में सबसे अधिक दूरी तय करने वाले को विजेता बनना था और इसी आधार पर लिओन डेलग्रांगे - जिन्होने १.२ किलो मीटर के दस चक्र में से आधे से अधिक पूरी कर ली थी - को विजेता घोषित किया गया। [1]

यू. एस. ए. में होने वाली पहली एयर रेस १० से २०, जनवरी १९१० को लॉस एंजिलस के दक्षिण में स्थित डमिंगेज़ फील्ड में हुई थी. विमान चालकों ए. रॉय कनाबेंषुए और चार्ल्स विलर्ड द्वारा आयोजित इस रेस को रेलरोड मॅगनेट हेन्री हनटिंगटन और द लॉस एंजिलस मर्चेंट्स आंड मॅन्यूफॅक्चरर्स असोसियेशन द्वारा प्रायोजित किया गया था। विलियम रॅनडॉल्फ हर्स्ट ने अपने लॉस एंजिलस एग्ज़ॅमिनर नाम के समाचार पत्र में इसका विवरण छापा था और प्रतियोगिता स्थल पर उन्होने अपने समाचार पत्र के विज्ञापन वाला एक गर्म हवा का गुब्बारा भी लगाया था। इस रेस में ४३ प्रतियोगियों ने भाग लेने की इच्छा जाहिर की पर अंत में सिर्फ़ १६ ही भाग ले सके. इसी रेस के दौरान प्रसिद्ध सैन्य विमान चालक और विमानन क्षेत्र के प्रणेताओं में से एक जिम्मी डूलिट्ल, जो तब १३ साल के थे, ने पहली बार कोई हवाई जहाज़ देखा था। [2]

प्रथम विश्व युद्ध के पूर्व के कुछ सालों में विमानन क्षेत्र में लोगो की बढ़ती अभिरुचि के कारण युरोप में कई नये एयर रेस की शुरुआत हुई जिनमे १९११ के सर्किट ऑफ युरोप रेस, द डेली मैल सर्किट ऑफ ब्रिटन एयर रेस और द एरियल डर्बी शामिल हैं.

१९१३ में पहली द श्नाइडर ट्रोफी सीप्लेन रेस आयोजित की गयी. युद्ध के बाद जब ये प्रतियोगिताएँ दुबारा शुरू की गयीं तो इनमे अत्याधुनिक विमानन तकनीक - खास कर एरोडाइनॅमिक्स और इंजन डिज़ाइन के क्षेत्र में - देखने को मिली और इसी के कारण दूसरे विश्व युद्ध के दौरान कई बेहतरीन युद्धक जहाज़ों का निर्माण हो सका.

१९ अक्तूबर १९१९ को द आर्मी ट्रॅन्सकॉंटिनेंटल एयर रेस शुरू हुई जो लोंग आइलॅंड, न्यूयॉर्क से सन फ्रॅनसिसको, कॅलिफॉर्निया के बीच दोतरफ़ा उड़ान वाली २७०० मील लंबी रेस थी. इस रेस में कुल ७ लोग हताहत हो गये (२ तो रेस के दौरान हीं) और ४८ विमानों वाली इस रेस में सिर्फ़ ३३ विमान हीं महाद्वीप के दो चक्कर लगाने में सफल हो पाए. [3]

१९२१ में युनाइटेड स्टेट्स में द नॅशनल एयर मीट्स की संस्थापना हुई जो १९२४ में द नॅशनल एयर रेसस के नाम से जानी जाने लगी. १९२९ में द विमन'स एयर डर्बी (जिसे द "पाउडर पफ डर्बी" भी कहा जाता है) द नॅशनल एयर रेसस सर्किट का अंग बन गयी.

द नॅशनल एयर रेसस १९४९ तक होते रहे. द क्लीव्लॅंड एयर रेसस एक और महत्वपूर्ण प्रतियोगिता थी.

१९३४ में इंग्लेंड से ऑस्ट्रेलिया तक द मॅकरॉबर्टसन एयर रेस आयोजित की गयी जिसे दे हॅविलॅंड कॉमेट प्लेन में सवार सी. डब्ल्यू. ए. स्कॉट और टॉम कॅंबेल ब्लॅक ने जीता.

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. The May–June 1909 "Port Aviation" Meetings – The World's First Air Races[मृत कड़ियाँ] by Anders Bruun accessdate 22 August 2012
  2. Berliner, Don (January 2010). "The Big Race of 1910". Air & Space Magazine. The Smithsonian. मूल से 8 नवंबर 2015 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 20 November 2015.
  3. Billy Mitchell and the Great Transcontinental Air Race of 1919 Archived 2013-02-27 at the वेबैक मशीन by Dr William M। Leary, Air University Review, May–June 1984