बानू हरालू

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बानू हरालू वन्य जीव संरक्षण के क्षेत्र में काम कर रही हैं।[1]

मिशन[संपादित करें]

दो दशक तक टीवी पत्रकारिता (दूरदर्शन और एनडीटीवी) में सक्रिय रहीं बानू हरालू ने अब नागालैंड में वन्य जीव संरक्षण को अपना मिशन बना लिया है। [2]

नागालैंड के वोखा ज़िले के डोयांग जलाशय में हर साल हज़ारों किलोमीटर का सफर कर हज़ारों बाज़ पहुंचते हैं।

आराम करने के बाद के बाद वे दक्षिण अफ़्रीका की ओर रवाना हो जाते हैं. यानी ये बाज़ 22 हज़ार किलोमीटर की दूरी तय करते हैं। [3]

2012 से पहले नागालैंड में इन पक्षियों का बड़े पैमाने पर शिकार होता था।

कोशिश[संपादित करें]

लेकिन बानू हरालू ने राज्य के मुख्यमंत्री से लेकर बड़े अधिकारियों का ध्यान इस पहलू की ओर आकर्षित किया।

उनकी कोशिशों का नतीजा रहा कि नवंबर 2013 के बाद नागालैंड में प्रवासी पक्षियों का शिकार[4] नहीं हुआ।

मुहिम[संपादित करें]

अपनी इस मुहिम के लिए बानू ने ‘नागालैंड वाइल्डलाइफ एंड बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन ट्रस्ट’ भी बनाया है।[5]

पुरस्कार[संपादित करें]

बानू को उनकी पत्रकारिता के लिए साल 2001 में चमेली देवी जैन पुरस्कार से नवाज़ा गया था।   [6]

लेखन[संपादित करें]

उन्होंने बतौर पत्रकार अपने अनुभवों के बारे में पुरस्कृत पत्रकारों के लेखों की किताब, ‘मेकिंग न्यूज़, ब्रेकिंग न्यूज़, हर ओन वे’, में भी लिखा।[7]

सन्दर्भ[संपादित करें]

  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 11 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 दिसंबर 2016.
  2. http://www.baliparafoundation.com/en/blog/case-study-bano-haralu[मृत कड़ियाँ]
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 28 दिसंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 दिसंबर 2016.
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 मार्च 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 दिसंबर 2016.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 21 अप्रैल 2017 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 दिसंबर 2016.
  6. "संग्रहीत प्रति". मूल से 2 मई 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 दिसंबर 2016.
  7. http://www.thehoot.org/media-watch/media-practice/journalists-who-happen-to-be-women-5936[मृत कड़ियाँ]

एक्सटर्नल लिंक्स[संपादित करें]

  1. https://web.archive.org/web/20170421040607/http://www.nagalandconservation.in/about/team/