सदस्य:Meghana M Nair/महाशिवरात्रि

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महाशिवरात्रि एक हिंदु त्योहार हैं जो भगवान शिव के सम्मान में हर साल मनाया जाता हैं। महाशिवरात्रि ज्यादातर महाराष्ट्रा, अन्ध्र प्रदेश, केरल, कर्नाटक, तमिल नाडु, तेलंगाना आदि में मनाया जाता हैं। महाशिवरात्रि महोत्सव फल्गुन के हिंदु महीने में नया चाँद की अमावस की १४ वीं रात को भक्ति और धार्मिक उत्साह के साथ मनाया जाता हैं। भगवान शिव के सम्मान को पाने के लिए भक्तों पुरे दिन और रात व्रत लेते हैं और शिव मंदिर की यात्रा करते हैं। दूध, जल और शहद आदि के साथ शिवलिंग की पूजा स्नान भी परंपरा का एक भाग के रूप में भक्तों द्वारा किया जाता हैं। कई लोगों का मानना हैं कि शिवरात्रि महोत्सव भगवान शिव और पार्वती की शादी के दिन के निशानी हैं। हालांकि कुछ किंवदंतियों के अनुसार शिवरात्रि के शुभ रात में ही भगवान शिव ने तांडव का प्रदर्शन किया था। तांडव नृत्य निर्माण, सरंक्षण और विनाश का प्रतीक हैं।

प्राचिन शिव मंदिर बैजनाथ

महाशिवरात्रि का इतिहास[संपादित करें]

समुद्र मंथन के दौरान सागर में एक ज़हर का बर्तन उभर आया था। यह ज़हर पुरी दुनिया को नष्ट कर सकता था इस डर के वजह से देवताओं और राक्षसों ने भगवान शिव जी की मदद लेने के लिये उनके पास पहुँच गए। दुनिया को नष्ट होने से बचाने के लिये शिव जी ने वह ज़हर पी लिया। उन्होने ज़हर को निगाला ही नहीं था। इस ज़हर के वजह से उनका गला नीला रंग में बदल गया और उन्हें नीलकंठा नाम से पुकारा गया। शिवरात्रि को बड़े धूम-धाम से मनाया जाता हैं क्योकिं इसी दिन भगवान शिव ने दुनिया को नष्ट होने से बचाया था।

अनुष्ठान विश्वास और परंपराओं के अनुसार तपस्या का प्रदर्शन किया जाता हैं ताकि लोगों को योग और ध्यान में कोई लाभ मिल सके। काशी विश्वनाथ मंदिर वाराणसी में बहुत ही महत्तवपूर्ण जगह हैं जहाँ पर लाखों लोगों आते हैं। वहाँ पर एक बडां मेला विरला मंदिर और पुराने विश्वानाथ मंदिर के विश्वनाथ गली के सामने महाशिवरात्रि का अयोजन किया जाता हैं।भगवान शिव जी का निवास स्थान उज्जैन में हैं इसलिए वहाँ पर महाशिवरात्रि का समारोह बहुत ही लोकप्रिय हैं और बहुत हि धूम-धाम से मनाया जाता हैं। बड़े जुलूस पुरे सड़कों मे दिखाया जाता हैं और भगवान शिव जी की एक झलक पाने के लिये सड़कों में लोगों की बहुत ही भीड़ नज़र आता हैं। शिवरात्रि ज्यादातर भारत और नेपाल में मनाया जाता हैं।

यह माना जाता हैं कि दुनिया के निर्माण पूरे होने के बाद, देवी पार्वती ने भगवान शिव से पूछा कि उन्हें कौन से भक्तों और अनुष्ठाओं ने संतुष्ट किया तो इसका जवाब देते हुए भगवान शिव जी ने कहा कि माघा महिने की १३ वीं रात उनके सबसे पसंदीदा दिन हैं। उसके बाद देवी पर्वती ने शिव जी के शब्दों को अपने दोस्तों को दोहराया और वह शब्द पूरी दुनिया में फैल गया।

शिव जी अधिक प्रसन्न होते है जब भक्तों शिवलिंग पर दूध, शहद, घी, दही, मिठाई और गंगा के जल से अभिषेख करते हैं और इसके साथ वे रुड्रम, चमकम और डासा शांती पढ़े। दूध साफ-सफाई और सच्चाई, दही शुद्धता के लिए, शहद मिठाई जीभ के लिए, सफलता के लिए घी, चीनी अनुमोदन के लिए और पानी पवित्रता के लिए माना जाता हैं।

शिवरात्रि रोशनी

महाशिवरात्रि की रस्में[संपादित करें]

इस दिन भक्तों व्रत रखते हैं और शिव की मंदिर पर यात्रा करते हैं। विवाहित स्त्रियाँ अपने पति और बेटा की अच्छी जिंदगी के लिए प्रार्थना करते हैं और अविवाहित स्त्रियाँ भविष्य में शिव जैसे पति मिलने के लिए प्रार्थना करते हैं और लड़के भविष्य में अच्छी पत्नि मिलने के लिये प्रार्थना करते हैं। इस दिन भक्तों सुबह जल्दी जागते हैं और गंगा जल के पवित्र जल में स्नान करते हैं और नए कपड़े पहनकर शिव जी की मंदिर में जाकर शिवलिंग पर दूध, शहद और पानी से अभिषेक करते हैं। वे फल, धतूरे, भांग के पत्तों, मिठाई और गंगा जल का प्रस्ताव भी करते हैं। वे भगवान से अपनी लंबी इच्छाओं की पूरी करने का भी प्रार्थना करते हैं। लोग अनुष्ठान गीत गाते हैं, आरती करते हैं और भांग पीकर संगीत मे गाते और नाचते हैं।

महाशिवरात्रि की विधि[संपादित करें]

महाशिवरात्रि से एक दिन पहले सिर्फ एक ही बार खाया जाता हैं। यह यकीन किया जाता हैं कि पचाया भोजन उपवास के दिन पर पाचन तंत्र मे छोड़ नहीं दिया जाता हैं। महाशिवरात्रि के दिन सुबह जल्दी ऊठकर गंगा नदी मे स्नान किया जाता हैं। स्नान करने के बाद भक्तों को संकल्प लिया जाता है ताकि वह बिना कोई रुकावट के भगवान शिव जी के लिए व्रत ले सकें। व्रत के समय वे पानी भी नहीं पी सकते। वे फल खा सकते हैं और साथ ही दूध भी पी सकते हैं। भक्तों को दोबारा शिव जी की पूजा या मंदिर जाने से पहले स्नान करना पड़ेगा। शिव जी की पूजा रात को ही करनी चाहिए। शिवलिंगा की दूध, दही, घी आदि से अभिषेख किया जाता हैं। अभिषेख के बाद शिवलिंग को बिलवा पत्तों से विभूषित किया जाता हैं। भक्तों को अगले दिन नहाकर व्रत को तोड़ देना चाहिए।

नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर का चित्र

महाशिवरात्रि दिन के व्यंजन[संपादित करें]

महाशिवरात्रि के दिन कई व्यंजनों पकाया जाता हैं जैसे कि लौकी का हलवा, थंडाई, काजू कतली, आलू टिक्की आदि।

संदर्भ[संपादित करें]

http://www.mahashivratri.org/mahashivaratri-festival.html

http://www.theholidayspot.com/shivratri/origin.htm

http://hinduism.about.com/od/festivalsholidays/p/mahashivratri.htm

http://www.rudraksha-ratna.com/articles/mahashivaratri