पेंटाक्वार्क

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विशाल हैड्रन कोलाइडर के वैज्ञानिकों द्वारा सब-एटॉमिक पार्टिकल पेंटाक्वार्क की मौजूदगी की खोज की है।

परिचय[संपादित करें]

यूरोपीय नाभिकीय अनुसंधान संगठन (सर्न) में मौजूद वैज्ञानिकों की एक टीम ने 14 जुलाई 2015 को एक विशेष सब-एटॉमिक पार्टिकल पेंटाक्वार्क की मौजूदगी की खोज की जो अब तक केवल सैधांतिक रूप से ही मौजूद था। यह खोज सर्न, जिनेवा में विशाल हैड्रन कोलाइडर के प्रयोग के दौरान की गयी।

जिन वैज्ञानिकों ने पेंटाक्वार्क की खोज की है उनके निष्कर्षों की रिपोर्ट पत्रिका फिजिकल रिव्यू लेटर्स में प्रकाशित की गयी।

पेंटाक्वार्क[संपादित करें]

यह पांच क्वार्कों (चार क्वार्क और एक एंटी क्वार्क) से बना एक उप परमाणु कण है। यह नए कण नहीं हैं लेकिन क्वार्कों का एकत्रीकरण है जिसमें साधारण प्रोटोन, न्यूट्रोन शामिल हैं जो तीन क्वार्कों से मिलकर बने हैं।

पेंटाक्वार्क की खोज के लिए विशाल हैड्रन कोलाइडर के वैज्ञानिकों ने लाम्ब्दा बी बैरयन को तीन अन्य अणुओं के साथ रखकर शोध किया। जेप्सी तथा प्रोटोन का अध्ययन करने पर यह पाया गया कि इसमें संक्रमण स्थिति में अप्रत्याशित अणु पीसी (4450) + तथा पीसी (4380) की मौजूदगी होती है।

इन कणों का अध्ययन करने के बाद शोधकर्ताओं ने पाया कि यह केवल पेंटाक्वार्क की स्थिति पर निर्भर है, इसमें एक अप क्वार्क, एक डाउन क्वार्क, एक चार्म क्वार्क एवं एक एंटी-चार्म क्वार्क शामिल है।

खोज का महत्व[संपादित करें]

पेंटाक्वार्क की खोज एक महत्वपूर्ण विकास है, अब तक इस सन्दर्भ में की गयी सभी प्रयोग अनिर्णायक रहे हैं। यह पिछले शोधकार्यों से इसलिए भी भिन्न है क्योंकि इसमें पेंटाक्वार्क को विभिन्न पहलुओं से देखा गया है।

इसके गुणों का अध्ययन करने पर पता चलेगा कि एक साधारण पदार्थ किस प्रकार महत्वपूर्ण हो सकता है तथा इसमें प्रोटॉन और न्यूट्रॉन का किस प्रकार गठन किया जाता है।

विश्लेषण के अगले चरण में यह अध्ययन किया जायेगा कि पेंटाक्वार्क में क्वार्क किस प्रकार आपस में बंधे हुए हैं।

पृष्ठभूमि[संपादित करें]

पेंटाक्वार्क शब्द का प्रयोग पहली बार वर्ष 1987 में हैरी जे लिपकिन द्वारा किया गया था तथा पेंटाक्वार्क का पहला प्रमाण जापान की एक कार्यशाला में रिकॉर्ड किया गया था।

वैज्ञानिक वर्ष 1964 से ही पेंटाक्वार्क की खोज में जुटे हैं, उस समय दो शोधकर्ताओं मुर्रे जेल मैन तथा जॉर्ज विग ने स्वतंत्र रूप से शोध करने के उपरांत क्वार्क की मौजूदगी के बारे में घोषणा की थी।

उन्होंने अपने शोध में यह बताया था कि कुछ कण बैरयन तथा मेसन के नाम से जाने जाते हैं लेकिन उनके मॉडल में कुछ अन्य क्वार्क की मौजूदगी के बारे में भी जिक्र किया गया था जिसमे हायपोथेटिकल पेंटाक्वार्क के बारे में जानकारी दी गयी थी।

विग ने एसेस नामक सिद्धांत के बारे में जानकारी दी थी जिसमें तीन सब-एटॉमिक कणों के बारे में बताया गया था। इसके अनुसार प्रोटोन तथा न्यूट्रॉन की मौजूदगी की जानकारी भी दी गयी, लेकिन जेल मैन के सिद्धांत का नाम “क्वार्क” था जिसे बाद में पहचान प्राप्त हुई।

जेल मैन को वर्ष 1969 में भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।

सन्दर्भ[संपादित करें]